Monday 18 October 2021

अमृत तुल्य खीर खाने से मिलती है क्लिष्ट रोगों से शांति (शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर रविवार को) इस दिन यह उपाय करने से

 


अक्टूबर 9 अक्तुवर 2022 रविवार  को 23 गते आश्विन मास को


शरद पूर्णिमा जिसे कोजागरी या रास पूर्णिमा भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक शरद पूर्णिमा को कहा जाता है शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के बहुत नजदीक होता है। वह अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस रात्री चन्द्रमा का ओज सबसे तेजवान और उर्जावान होता है।
मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है अमृत बरसता है इस दिन इस दिन रविवार 9अक्टूबर की रविवार को रात्रि को मेवा ,बादाम, किशमिश ,सहित खीर की छिटकती, चांदनी में रात भर सुरक्षित रखकर दूसरे दिन   प्रातः भगवान विष्णु को भोग लगाकर सब परिवार सहित समय ग्रहण करने से अनेक प्रकार के मानसिक शारीरिक और लोगों की शांति होती है माताएं अपने संतान की मंगल कामना के लिए देवताओं का पूजन करती है।
इस बात का ज्ञान बहुत कम लोगो को होता है अतः अपने मित्रों तथा सम्बन्धियो को शयर करे। हमारा ध्यय हैं कि अधिक से अधिक लोग स्वस्थ एवं निरोग रहे।

*शरद पूर्णिमा*


🌏 वर्ष के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस पूर्णिमा को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, तो धन की देवी महालक्ष्मी रात को ये देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जाग रहा है और वह अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं।

🌏 शरद पूर्णिमा का एक नाम *कोजागरी पूर्णिमा* भी है यानी लक्ष्मी जी पूछती हैं- कौन जाग रहा है? अश्विनी महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है इसलिए इस महीने का नाम अश्विनी पड़ा है।

🌓 एक महीने में चंद्रमा जिन 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है, उनमें ये सबसे पहला है और आश्विन नक्षत्र की पूर्णिमा आरोग्य देती है।

🌎 केवल शरद पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट भी। चंद्रमा की किरणों से इस पूर्णिमा को अमृत बरसता है।

🌏 आयुर्वेदाचार्य वर्ष भर इस पूर्णिमा की प्रतीक्षा करते हैं। जीवनदायिनी रोगनाशक जड़ी-बूटियों को वह शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखते हैं। अमृत से नहाई इन जड़ी-बूटियों से जब दवा बनायी जाती है तो वह रोगी के ऊपर तुंरत असर करती है।

🌓 चंद्रमा को वेदं-पुराणों में मन के समान माना गया है- *चंद्रमा मनसो जात:।* वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक बताया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है।

🌏 ब्रह्मपुराण के अनुसार- सोम या चंद्रमा से जो सुधामय तेज पृथ्वी पर गिरता है उसी से औषधियों की उत्पत्ति हुई और जब औषधी 16 कला संपूर्ण हो तो अनुमान लगाइए उस दिन औषधियों को कितना बल मिलेगा।

🌏 शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं। ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का जो संचय हो जाता है, शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी खीर खाने से पित्त बाहर निकलता है।

🌓 लेकिन इस खीर को एक विशेष विधि से बनाया जाता है। पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, शरीर निरोगी होता है।

🌏 शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। स्वयं सोलह कला संपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ी है यह पूर्णिमा। इस रात को अपनी राधा रानी और अन्य सखियों के साथ श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं।

🌏 कहते हैं जब वृन्दावन में भगवान कृष्ण महारास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर अमृत की वर्षा आरंभ कर दी।

🌓 गुजरात में शरद पूर्णिमा को लोग रास रचाते हैं और गरबा खेलते हैं। मणिपुर में भी श्रीकृष्ण भक्त रास रचाते हैं। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा को जो महालक्ष्मी का पूजन करते हैं और रात भर जागते हैं, उनकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।

🌏 ओडिशा में शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। आदिदेव महादेव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म इसी पूर्णिमा को हुआ था। गौर वर्ण, आकर्षक, सुंदर कार्तिकेय की पूजा कुंवारी लड़कियां उनके जैसा पति पाने के लिए करती हैं।

🌏 शरद पूर्णिमा ऐसे महीने में आती है, जब वर्षा ऋतु अंतिम समय पर होती है। शरद ऋतु अपने बाल्यकाल में होती है और हेमंत ऋतु आरंभ हो चुकी होती है और इसी पूर्णिमा से कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।


  1. शरद पूर्णिमा के अतिरिक्त प्रत्येक महा की पूर्णमासी को खीर के चमत्कारिक फायदें !!

 शरद पूर्णिमा के अतिरिक्त प्रत्येक माह में पड़ने वाली पूर्णिमा के अलावा, प्रत्येक माह की पूर्णिमा की रात लक्ष्मी जी के स्वागत में चन्द्रमा भी अपनी रौशनी में कोई कमी नहीं रखता। इस दिन के बाद से सर्दियों का आगमन शुरू हो जाता है, इस दिन मंदिरों में जो खीर बनती है, उसका बड़ा महत्त्व है। खीर बनने के बाद भोग लगने तक खुले आसमान में रखने से वो एक दवा का रूप ले लेती है, चंद्र दर्शन और पॉजिटिव एनर्जी के बाद खीर एक दवा होती है, जो श्वसन जैसी बिमारियों में काम ली जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी का आगमन होता है, इस दिन खीर खाने से एवं चंद्र देवता और भगवती लक्ष्मी को भोग लगाने से जीवन में धन- धान्य की कोई कमी नहीं रहती प्रत्येक माह ऐसा करने से धीरे-धीरे आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती जाती है।
अन्य दिनों के अलावा प्रत्येक पूर्णमासी को अपने गुरु और आराध्य देव के मंदिर जाएँ, वहां अपनी श्रद्धा अनुसार दूध या मेवे आदि लेकर जाएँ और खीर बनने में योगदान करें, रात्रि में जब खीर का भगवान को भोग लगाया जाए, तब तक भजन संध्या में आनंद उठाएं। खीर की प्रसादी को अपने परिवार में सभी सदस्यों को बांटे। सुबह रोजाना का कार्य से निवृत होकर खाना खाने से पहले खीर खाएं इस खीर से पेट और श्वसन सम्बंधित बीमारियां दूर होती है।


घर पर भी बना सकते हैं।


मंदिर में खीर प्रसादी के तौर पर मिलती है, जिसकी मात्रा कम होती है, ऐसे में आप अपने घर पर भी बना सकते हैं। खीर बनाने के बाद उसे सूती कपडे से ढककर छत पर रख दें। यहाँ चन्द्रमा की किरणे खीर पर पड़ती रहें। कपड़ा सिर्फ मक्खी मच्छर के लिए हो, सिर्फ नाम का। इस खीर को रात्रि में और सुबह जल्दी खाने से बहुत लाभ होता है।


– शरद पूर्णिमा की खीर दिल के मरीज़ों और फेफड़े के मरीज़ों के लिए भी काफी फायदेमंद होती है. इसे खाने से श्वांस संबंधी बीमारी भी दूर होती हैं. – स्किन रोग से परेशान लोगों को शरद पूर्णिमा की खीर खाने से काफी फायदे मिलते हैं. मान्यता है कि, अगर किसी भी व्यक्ति को चर्म रोग हो तो, वो इस दिन खुले आसमान में रखी हुई खीर खाएं !


यह भी एक दवा जो शरद पूर्णिमा पर विशेष तैयार की जाती है।
100 ग्राम काली मिर्च
400 ग्राम देशी घी
400 ग्राम बुरा तीनो को मिलाकर रात्रि में छत के ऊपर रख देवें। चन्द्रमा की किरणों के द्वारा उनमें पॉजिटिव एनर्जी समा जाती है। इस मिश्रण को परिवार के सदस्यों के साथ खाना चाहिए। मात्रा के तौर पर आप एक चम्मच ही लें, जो सुबह खाली पेट खाएं, इससे आँखों की रौशनी में बढ़ोतरी होती है, बुखार और पित्त के रोगियों के लिए बहुत ही लाभकारी है ।






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