परंतु किसी रोग और आधी कष्ट आदि में किए जाने वाले जब अनुष्ठान जन्मदिन संतान के जन्म संबंधी कृते गर्भाधानप पुंसवन संस्कार सीमन्तोन्नयन संस्कार तथा पहले से आरंभ किए की निर्माण कार्य किए जा सकते हैं
श्रावण अधिक मास में नियमोका पालना करते हुए विशेषकर एकादशी पूर्णिमा आदि पर्व तिथियों पर भगवान लक्ष्मीनारायण के मंदिर में भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना दान आदि पुरुषोत्तम महात्मय का पाठ करना श्री सूक्त के मंत्र कूर्माय नमः सहस्रशीषाय नमः आदि मंत्र पढ़ते हुई गंध युक्त पुष्प चढाने से मनुष्य श्री लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है आधीमास शुरू होने से प्रातः स्नानादि नित्यक्रम निवृत्तहोकर के एक भूख या नक्त पर रखकर के विष्णु रूप हज़ारों किरण वाले सूर्यनारायण का मंत्रों सहित रक्त पुष्प द्वारा पूजन कर आदित्यसस्त्रोत तथा पुरुषोत्तम मास महातम का पाठ करना चाहिए । कास्य पात्र में फल गुड मिष्ठान वस्त्रों का दक्षिणा सहित दान करना लाभप्रद रहता है ।
अधिक मास में व्रत नियमों की पालना करते हुए भगवान विष्णु का विधिपूर्वक अर्चन व्रत स्नान आदि तथा पुरुषोत्तम महत्तम में का पाठ करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है अधिमास शुरू होने पर प्रात: स्नान नित्य कर्म से निवृत्त होकर के भगवान भास्कर की मंत्रों सहित पुष्पों से पूजा करनी चाहिए और सूर्य स्त्रोत आदित्य हृदय पुरुषोत्तम मास का पाठ करना कांसे के पात्र में अक्षत पुष्प आदि से ध्यान करना लाभकारी होता है
भविष्य पुराण अनुसार पुरुषोत्तम मास में ईश्वर के निमित्त जो व्रत उपवास स्नान दान पूजा किए जाते हैं उसका फल अक्षय हो जाता है व्रत के समय अनिष्ट नष्ट हो जाते हैं पुराणों में अधिक मास में पूजन व्रत दान संबंधी भिन्न प्रकार का विधान बताए गए हैं प्रातः कॉल उठकर के स्नान संध्या आदि अपने अपने अधिकार के अनुसार नित्य कर्म करके भगवान का स्मरण करना चाहिए और कुछ उत्तम मास के नियम ग्रहण करने चाहिए श्रीमद् श्रीमद् श्रीमद् भागवत पुराण का पाठ करना लाभप्रद रहता है एक लाख तुसी पत्र से शालीग्राम भगवान का पूजन करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है
गोवर्धनधरं बंदे गोपालं गोपरूपिणंम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविंदम् गोपीका प्रियम ।।
इस मंत्र का 1 महीने तक भक्ति पूर्वक जाप करने से उत्तम भगवान लाभ देते हैं प्राचीन काल में श्री कोण्डलीय् ऋषि ने यह मंत्र बताया था मंत्र जपते समय नवीन में एक शाम देव मुरलीधर प्रभारी श्री राधिका जी के सहीत भगवान का ध्यान करना चाहिए ।।
उत्तम मास आरंभ होने पर प्रातः स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर के एक वक्त भोजन करके विष्णु स्वरुप भगवान भास्कर का लाल पुष्पों से पूजन करना चाहिए इसके अतिरिक्त से अधिक मास में प्रतिदिन उसमें का पाठ निश्चित समय में श्रद्धा पूर्वक करना चाहिए विष्णु स्त्रोत विष्णु सहस्त्रनाम श्री सूक्त पाठ करना चाहिए अधिक मास की समाप्ति पर भगवान के३३ नामों का जाप करना चाहिए।