ग्रह उपाय

                                     ग्रह उपाय


सूर्य - कनक (गेहूं) माणिक्य, तांबा, सोना,लाल गाय,गुड़, घी,  आदि लाल रंग का वस्त्र लाल चंदन, मूंगा,केसर , दान देने का दिन रविवार जप संख्या 7000 जप का समय सूर्योदय के समय जप मंत्र ओम् ह्रां ह्रीं ह्रों  स:  सूर्याय नमः हवन समिधा आक की लकड़ी से। स्नान हेतू मना शीला, इलायची, देवदारू, केसर, खस, रक्त पुष्प, रक्त चंदन, कनेर पुष्प, गंगाजलग।





चंद्र- चावल, मोती, चांदी, सोना, श्वेत बैल, मिश्री ,दही श्वेत पुष्प,श्वेत वस्त्र, श्वेत चंदन, शंख, कपूर, जप संख्या 11,000 जब का समय संध्याकाल जप मंत्र ओम् श्राम् श्रीम् श्रौम् स: चंद्रमसे नमः जप के लिए सुविधाएं पलाश स्नान के लिए चंद्रमा की शांति हेतु  पंगव्यम, गो दूध, गोबर, गए मद, शंख सीपी,  गंगाजल, श्वेत चंदन  स्फटिक, गोमूत्र।
 



मंगल - मंसूर , मूंगा, तांबा, सोना, लाल बैल, गुड़, घी, लाल कनेर, लाल वस्त्र, लाल चंदन, केसर, कस्तूरी,जप संख्या 10,000 जब काल सूर्योदय जप मंत्र ओम्  क्रां  क्रीम्  क्रौम्  स: भोमाय नमः जप के लिए संविधाए खैर की चाााए। स्नान के लिए बिल्व छाल, लाल पुष्प, गोधनी, जटामांसी, मौलश्री, सिगरप, मालकांगनी, गंगाजल ।






  बुध-  साबुत मूू मूंग, पन्ना, कांस्य, सोना, शस्त्र,
 शक्कर, घी, सर्व रंग पुष्प, हरा वस्त्र, अनेक फल, हाथी दांत, कपूर, जप  लिए संख्या 9000 जप का समय सूर्योदय जप का मंत्र ओम् ब्रां ब्रीं ब्रौं   स: बुधाय नमः जप के लिए समिधाएं  अपामार्ग स्नान हेतु गोबर,  मोती, शहद, सुवर्ण, जायफल , पिपरामूल ,ना गंगाजल।





बृहस्पति - पीतधान, पुखराज, कांसे का पात्र,सोना,  अश्व, लवण, घी, पीले फूल, पीत वस्त्र, पीला फल, धर्म ग्रंथ और शहद जप संख्या 19000 जप का समय संध्याकाल जप का मंत्र ओम्  ओम ग्राम् ग्रीम् ग्रौं स: गुरुवे नमः  संमिधाए पीपल की। स्नान हेतु चमेली पुष्प, पुष्प, श्वेत सरसों, शहद, गुल्लर, दमयंती मुलेठी, नवीन पते, गंगाजल




शुक्र- चावल, हीरा, चांदी, सोना, श्वेत घोड़ा, मिश्री, दूध, श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र, सफेद चंदन, दही, सुगंधित द्रव्य, जप  संख्या 16 हजार जप समय सूर्य उदय काल जप मंत्र ओम द्रां द्रीं द्रौं स:  शुक्राय नमः जप के लिए समिधाएं  गुलर। स्नान हेतु  पिरामोल, जायफल, केसर, मूली, बीज, मनासील, इलायची, श्वेत चंदन, गंगाजल, श्वेत कमल।





शनि- उड़द, नीलम, लोहा, सोना, काली गाय, कुलथी, तेल, कृष्ण पुष्प, काला वस्त्र, काले जूते, भैंस, कस्तूरी जप संख्या 23000 जप का समय संध्याकाल ओम् प्रांम् प्रीं प्रौम्  स: शनैश्चराय  नमः जप कि समिधाएं शमी । स्नान हेतु काले तिल, सुरमा, लोबान, खस्, खिल्ला, शत कुसुम, गांद मिश्रित ।




राहु -  काले-नीले फूल, गोमेद, नारियल, मूली, सरसों, नीलम, कोयले, खोटे सिक्के, नीला वस्त्र दान देने का दिन बुधवार जप संख्या 18000 राहु मंत्र ओम् भ्रां भ्रीं ब्रौं स: राहवे नमः।



केतू- उड़द की दाल सरसों का तेल चाकू या ब्लेड कम्बल धुए जैसे रंग का।दान देने का दिन वीरवार या शनिवार। केतु मंत्र ओम् स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स:केतवे नमः।जप संख्या 19000

औषधीय स्नान द्वारा ग्रहों का अनिष्ट प्रभाव दूर करने के उपाय
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ग्रहों के अनिष्ट फल निवारण हेतु स्नान

खगेरिता साधुफलं जनेन तदर्चयायत्तदितं वरेण्यम्
सदौषधिस्नानविधानहोमा
अपवर्जनेभ्योSभ्युदयाय वा स्यात्।

ग्रहों द्वारा प्रदत्त अनिष्ट फल के निवारण हेतु उसी अनिष्टकारक ग्रह के दिन उसकी पूजा -जप आदि करना श्रेष्ठ होता है। ग्रहों से संबंधित औषधियों से स्नान ,हवन एवं दान करना अभ्युदय कारक होता है।

सूर्य के अनिष्ट होने पर-
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यदि सूर्य अनिष्टकारक हो तो सभी कार्यों की सिद्धि के लिए (अनिष्ट दोष निवारण हेतु ) केशर,यष्टी,मधु,पद्मक,कमल का रेशा,इलायची ,मैनसिल,खस,श्रंगवल्ली तथा देवदारु इन सबको  जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए।

चंद्रमा के अनिष्ट होने पर -
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 यदि चंद्रमा अनिष्टकारक हो तो उसकी प्रसन्नता हेतु स्फटिक , हाथी का मद, विल्वपत्र,मोती कमल, सीप तथा शंख को पञ्चगव्य(गाय का दूध, दही,घी ,मूत्र और गोबर) जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए।

मंगल के अनिष्ट दूर करने हेतु स्नान
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अनिष्टकर मंगल के दोष को दूर करने हेतु चंदन ,विल्वफल,हींग, इंगुदी,मालकांगनी,बला ,जटामासी, रक्तपुष्प,हाऊबेर,नागकेशर तथा जपाकुसुम की कोंपल से स्नान करना चाहिए।

बुध के अनिष्ट को दूर करने हेतु स्नान-
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बुध के अनिष्टकर होने पर नागकेशर ,पुष्करमूल ,धान का लावा ( लाजा ) मोती गोरोचन ,क्षौद्रफल (मधु ) तथा पञ्चगव्य को मिलाकर स्नान करने से हितकारक होता है।

गुरु के अनिष्टकर होने पर औषधि स्नान
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यदि वृहस्पति अशुभ स्थानों में स्थित होकर कष्टकर हो तो पीली सरसों ,यष्टी,मधु ,मालती पुष्प एवं यूथी पुष्प
 ( जूही,चमेली ) के पल्लवों को जल में मिलाकर स्नान करने से गुरु जनित कष्टों का शमन हो जाता है।

शुक्र के अनिष्ट को दूर करने हेतु- 
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शुक्र प्रदत्त अनिष्ट को दूर करने के लिए मनुष्य को श्वेत कमल ,मैनसिल ,इलायची ,पुष्करमूल तथा कुमकुम मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए।कुछ विद्वानों ने कमल से रहित उक्त वस्तुओं  से स्नान करने को कहा है।अर्थात कमल से स्नान का निषेध किया है।

शनि प्रदत्त अनिष्ट दूर करने हेतु स्नान-
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बला,अञ्जन(काली बेर ) काला तिल, धान का लावा ,लोंध,मोथा सूर्यमुखी के पुष्प ,इन वस्तुओं से स्नान करने पर शनि प्रदत्त अनिष्ट दूर होता है।

राहु प्रदत्त अनिष्ट दूर करने हेतु स्नान-
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अशुभ स्थानों में राहु के स्थित होने पर जल,मोंथा ,विल्वपत्र,लालचंदन,केशर,
कस्तूरी,हाथी का मद, लोंध ,कण्टक तथा दूर्वा के साथ स्नान करने से राहुकृत अनिष्ट दूर होते हैं।

केतु प्रदत्त अनिष्ट दूर करने हेतु स्नान-
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केतु के अशुभ होने पर तिलपत्रिका
 ( रक्तचंदन, रजन )मोथा ,कस्तूरी , 
 हाथी का मद , ओलों का जल , भेड़ का मूत्र , अनार ,  तथा गिलोय से स्नान करने से केतु कृत अनिष्टों से छुटकारा मिलता है।📚🖊🙏🙌
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