Sunday 6 November 2022

जाने अपने नाम राशि के मुताबिक कैसा रहेगा नवम्बर मास।

 



नवम्बर 2022

मेष राशि चू चे चो ला ली लू ले लो अ
नवम्बर 2022 

 सूर्य - बुध - शुक्र ग्रहों की दृष्टियां रहने से दैनिक कार्यों में प्रगति धन लाभ एवं व्यवसाय में विस्तार के लिए मित्रों व सम्बन्धियों का सहयोग प्राप्त होगा । मान - प्रतिष्ठा में वृद्धि स्वभाव में तेजी एवं शीघ्र उत्तेजित होने से कोई कार्य बिगड़ सकता है । 

वृष राशि ई ई उ ए ओ वा वि वू वे वो

तक शुक्रछठे भाव में सूर्य केतु के साथ होने सेतारीख़ 24 तक हस्तगत होने से स्वास्थ्य नरम एवं बनते कार्यों में विघ्न रहेंगे संतान सम्बंधित चिंता व्यक्त की भाग दौड़ फ़िज़ूलख़र्ची एवं गुप्त चिंता रहेगी तारीख़ से शुक्कर की सामग्री दृष्टि होने से परिस्थितियों तथा कुछ बिगड़े कार्यों में सुधार आकस्मिक धनलाभ के अवसर भी बनेंगे ।


मिथुन राशि का की कू घ ड छ के को ह
ता .13 तक वक्री मंगल का संचार तथा बुध - सूर्य - केतु का संचार पंचमस्थ रहने से सन्तान सम्बन्धी चिन्ता दौड़ - धूप के पश्चात् गुजारे योग्य आय के साधन बनेंगे । ता .13से बुध षष्ठस्थ होने से वृथा भाग - दौड़ आय में कमी धन का खर्च अधिक और स्वास्थ्य कुछ ढीला रहेगा ।

 

कर्क राशि ही हू हे हो डा डी डू डे डो
पंचमेश मंगल द्वादशस्थ,सप्तमस्थ शनि पर दृष्टि के कारण सन्तान सम्बन्धी चिन्ता,दाम्पत्य जीवन में तनाव,घरेलु कलह - क्लेश रहे । गुरु की शुभ दृष्टि होने से उच्च प्रतिष्ठित लोगों के साथ सम्पर्क बनेंगे,शुभ धार्मिक कार्यों की ओर प्रवृत्ति बढ़ेगी 


सिंह राशि मा मी मू मे टा टी टू टे

पंचमेश मंगल द्वादशस्थसप्तमस्थ शनि पर दृष्टि के कारण सन्तान सम्बन्धी चिन्ता दाम्पत्य जीवन में तनाव घरेलु कलह - क्लेश रहे । गुरु की शुभ दृष्टि होने से उच्च प्रतिष्ठित लोगों के साथ सम्पर्क बनेंगे शुभ धार्मिक कार्यों की ओर प्रवृत्ति बढ़ेगी । 

कन्या राशि टो पा पी पू ष ण ठ पे पो


मासारम्भ में सूर्य - बुध - शुक्र - केतु द्वितीय भाव में होने से उच्च प्रतिष्ठित भी लोगों के साथ सम्पर्क रहेंगे । आकस्मिक धन लाभ एवं मनोरंजन आदि के कार्यों पर धन का खर्च अधिक होगा । स्त्री - सुख वाहनादि सुखों में वृद्धि होगी । ता .13 से बुध तृतीयस्थ आश होने से कार्य - व्यवसाय में लाभ व उन्नति के अवसर मिलेंगे । 

तुला राशि रा री रू रे रो ता ती तू ते


 शुक्र का संचार होने से मान - प्रतिष्ठा एवं धन लाभ के अवसर बढ़ेंगे । किसी क्लिष्ट समस्या का प्रियजन के सहयोग से समाधान होने के योग हैं । ता .11से शुक्र द्वितीयस्थ होगा । परन्तु ढैय्या के कारण व्यवसायिक क्षेत्र में यथोचित लाभ में कमी रहेगी ।


वृश्चिक राशि तो ना नी नू नै नो या ती यू


 नवम्बर - ता .12 तक मंगल अष्टमस्थ रहने से स्वास्थ्य में गड़बड़ी रक्त - पित्त विकार, नेत्र पीड़ा एवं परिश्रम वहाँ उत्साह में कमी रहेगी तारीख़ के रास्ते मंगल की अपने गृह दृष्टी रहने से उत्साह में वृद्धि तथा कोई भी विगबडा हुआ कार्य बनेगा । 

धनु राशि ये यो भा भी भू धा पा ढ भे


12 तक मंगल की सप्तम दृष्टि रहने से यद्यपि तनाव एवं क्रोध अधिक रहेगा । पारिवारिक उलझनों के कारण मानसिक तनाव तथा खर्च अधिक रहेगा । अत्यधिक अनाव परिश्रम करने पर भी मनोऽनुकूल लाभ प्राप्त नहीं होगा । आराम कम और वृथा दौड़ - धूप रहेगी । ता .16से स्वास्थ्य सम्बन्धी कष्ट घरेलु उलझनें व चोटादि का भय ।
 


मकर राशि भो जा जी खी खू खे खो गा गी

 मानसिक तनाव गुप्त परेशानियां तथा निकट बन्धुओं से मनमुटाव रहेगा घरेलू एवं व्यवसायिक क्षेत्रों में विघ्न - बाधाओं व अड़चनों का सामना रहेगा । क्रोध एवं उत्तेजना से कोई बना हुआ कार्य बिगड़ सकता है । 


कुंभ राशि गू गे गो सा सी सू से सो दा

ता .15तक भाग्यस्थान पर सूर्य - केतु का संचार रहने से यह समयावधि में परि विशेष तनावपूर्ण तथा समस्याओं से पूर्ण रहेगी । परिवार में मतभेद उभरेंगे । परन्तु ता .16 से उच्चप्रतिष्ठित लोगों से सम्पर्क,धर्म - कर्म में रुझान एवं धन का खर्च अधिक हो । 

मीन राशि दि दु थ झ ‌‌ञ दे दो चा ची

  -नवम्बर - मासारम्भ में गुरु वक्री होने से खर्च अधिकउलझनों के बावजूद निर्वाह योग्य आय एवं विदेशी कार्यों में कुछ प्रगति होगी । परन्तु ता .24 से गुरु मार्गी होने से परिस्थितियों में धीरे - धीरे सुधार होगा । उत्साह से किए कार्यों में सफलता के आसार बढ़ेंगे ।




Friday 4 November 2022

8 नवम्बर को लगेगा चंन्द्रग्रहण जाने आपके लिए इसका प्रभाव




8 नवंबर 2022 ई० २३गते कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार को यह खग्रास चंद्रग्रहण 8 नवंबर 2022 ईसवी को संपूर्ण भारत में ग्रस्तोदय रूप में दिखाई देगा अर्थात भारत के किसी भी नगर में जब 8 नवंबर 2022 ई० को सायंकाल को चंद्र उदय होगा उससे काफ़ी समय पहले ही चंद्रग्रहण प्रारम्भ हो चुका होगा।

 इस ग्रहण का प्रारंभ खग्रास प्रारंभ भारत की किसी भी नगर राज्य में दिखाई नहीं देगा केवल उत्तर पूर्वी भारत में खग्रास समाप्ति (5बजकर 12मी ) से पूर्व जहाँ चंद्रोदय होगा, वहाँ इस ग्रहण की खग्रास समाप्ति एवं कुछ सुदूर पूर्वी क्षेत्रों में 4:29 मी  से पहले ग्रहण  मध्य भी कुछ मिनट के लिए दृश्य होगा   शेष भारत (उत्तर दक्षिण) में जो चन्द्रोदय होगा तब तक खग्रास समाप्त 5बजकर 12मी  के बाद हो चुका होगा, तथा केवल ग्रहण समाप्ति ही दृष्टिगोचर होगी।  अतः भारत में इस ग्रहण का खंडग्रास रूप ही  दिखाई देगा।  भूगोल पर  इस ग्रहण का स्पर्शादिकाल  भारतीय समयानुसार इस प्रकार से हैं ।

8 तारीक मंगलवार २३ गते कार्तिक

ग्रहण स्पर्श प्रारंभ दिन में  2:39 

खग्रास क्प्रारंभ 3बजकर 46 मी 

ग्रहण मध्य ही परम ग्रास 4बजकर 29 मी 

खग्रास  समाप्त 5बजकर 12 मी 

 ग्रहण (मोक्ष)समाप्त 6बजकर 19 मी

 चंद्रमालिनीप्रारंभ 1बजकर 30 मी  तथा चन्द्रकांति निर्मल 7बजकर 28मी पर्वकाल  3घंटा 40मी 

ग्रहण सूतक 

इस ग्रहण का सूतक 8 नवंबर 222 मंगलवार को प्रातः सूर्योदय के साथ ही प्रारम्भ हो जाएगा सामान्यतः  चन्द्रग्रहण  का सूतक  नौ घंटे पूर्व माना जाता है परंतु ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण होने से पूर्ववती पूरे देश में दिन भर में ग्रहण का सूतक माना गया है ।

राशियों पर प्रभाव ग्रहण राशिफल ये चंद्र ग्रहण भरणी नक्षत्र मेष राशि क़ालीन घटित हो रहा है अतः इस नक्षत्र एवं इस राशि वालों के लिए ग्रस्तोदय ग्रहण का फल विशेष रूप से अशुभ एवं कष्टकारी होगा।

 जिस राशि के लिए ग्रहण का फल अशुभ है उसे यथा समय में जब पाठ ग्रह शांन्ति एवं दान आदि  अशुभ प्रभाव को  कम किया  जा सकता है इसके अतिरिक्त ग्रहण  उपरांत औषधि स्नान करने से भी  अनिष्ट ग्रहों की  शांति होती हैं यह ग्रहण मेष राशि में घटित  होगा इन  राशीयो के लिए अशुभ होगा।

जाने राशियों के लिए कैसा रहेगा ग्रहण का फल 

मेष राशि -          शरीर कष्ट चोट भय  

 वृष राशि -             धन हानि परेशानी 

मिथुन राशि-            धन एवं सुख लाभ 

     कर्क राशि -           रोग कष्ट चिंता भय  संघर्ष 

सिंह  राशि। -         संतान सम्बंधित चिंता 

        कन्या राशि -        शत्रु दुर्घटना भय  ख़र्च अधिक 

तुला राशि-             स्त्री पति संबंधी कष्ट 

          वृश्चिक राशि-              रोग गुप्त चिंता कार्य में विलंब 

धनु  -         ख़र्च अधिक भागदौड़ अधिक

 मकर राशि -           कार्यसिद्धि धन लाभ 

कुभराशि -       प्रगति उत्साह एवं पुरुषार्थ  वृद्धि 

मीन -         धन हानी  ख़र्च अधिक यात्रा

ग्रहण  काल और बाद में क्या करें?


 जब ग्रहण प्रारंभ हो तो स्नान जप मध्यकाल में होम देव पूजा और ग्रहण का मोक्ष समीप होने पर दान तथा पूर्ण मोक्ष होने पर स्नान करना चाहिए।



स्पर्शे स्नानं जपं कुर्यान्मध्ये होमो सुराचर्नम्।

मुच्यमाने सदा दानं विमुक्तौ स्नानमाचरेत्।।


  सूर्य का काल में सूर्य की पूजा करने के लिए सूर्य की शुरुआत में सूर्य अष्टक का खराब होना सूर्य स्तोतोत्रु का पाठ होना चाहिए।

ग्रहण काल में क्या सावधानियां रखें*

 पका हुआ अन्न,कटी हुई सब्जी, ग्रहण काल में दूषित हो जाते हैं उन्हें नहीं रखना चाहिए परंतु तेल घी दूध दही लस्सी मक्खन पनीर अचार चटनी रब्बा आदि में तिल या कुछ कुशा रख देने से ग्रहण काल में दूषित नहीं होते सूखे खाद्य पदार्थों में डालने की आवश्यकता नहीं।

 ध्यान रहे ग्रस्त सूर्य को नंगी आंखों से कदापि नहीं देखे वेल्डिंग वाले काले गिलास में से देख सकते हैं ग्रहण के समय तक ग्रहण की समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करना निषिद्ध है रोगी गर्भवती स्त्रियां बालकों के लिए निश्चित नहीं है काल में सोना खाना-पीना तेल मदन मित्र पुरुषोत्तम निषिद्ध है नाखून भी नहीं काटने चाहिए।

*ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।

                                       

*ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं। 

*ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।

*ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है।

*ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।

*ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।

*ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करते रहना चाहिए।

 *गर्भवती स्त्रियां क्या करें*

ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो। गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। सुई से सिलाई भी न करें। माना जाता है इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं। ग्रहण काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करती रहें।


यह ग्रहण भरणी नक्षत्र तथा मेषराशि में होगा आतः इस राशि नक्षत्र में उत्पन्न लोगों के लिए विशेष अशुभ है अतः इस राशि वालों को ग्रहण ग्रहण दान तथा आदित्य स्त्रोत सूर्य अष्टक स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। सूर्य का जप दान चन्द्र दान करें।

            सूर्य अष्टक पाठ

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।

दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥1॥

सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।

श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥2॥

लोहितं  रथमारूढं  सर्वलोक पितामहम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥3॥

त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम् ।

महापापहरं  देवं तं  सूर्यं  प्रणमाम्यहम् ॥4॥

बृहितं तेजः  पुञ्ज च वायु आकाशमेव च ।

प्रभुत्वं सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥

बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।

एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥6॥

तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् ।

महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥7॥

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥8॥

सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम् ।

अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत् ॥9॥

अमिषं  मधुपानं च  यः करोति रवेर्दिने ।

सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता ॥10॥

स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने ।

न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति ॥11॥

 

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