प्रतिपदा 17 अक्टूबर से शरद नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं इस दिन श्री दुर्गा माता के सम्मुख अखंड दीप प्रज्वलित करके श्री दुर्गा पूजन कलश स्थापन प्रमुख देवी देवताओं का आवाहन पूजन आदि के बाद श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ किया जाता है प्रतिपदा 17 अक्टूबर शनिवार को 7:25 प्रातः कलश की स्थापना करनी चाहिए इस बार सप्तमी और अष्टमी इकट्ठे आ रही है क्योंकि सप्तमी शुक्रवार के दिन सुबह सूर्योदय से कुछ 46 पल तक ही रहेगी और अष्टमी तुरंत बाद लग जाएगी तथा शनिवार को कम होने की वजह से यह शुक्रवार को ही व्रत के लिए मानी जाएगी इसलिए सप्तमी और अष्टमी का व्रत इकट्ठा होगा।
देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।
नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ रातें || नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों -महालक्ष्मी माँ सरस्वती और माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है ||
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी ,चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता ,कात्यायनी कालरात्रि, महागौरी ,सिद्धिदात्री ॥
।इस दिन स्नान ध्यान आदि के बाद शुद्ध पात्र में रेत मिट्टी डालकर मंगल पूर्वक जो गेहूं सप्तधान्य के बीज वपन करने चाहिए तथा श्री दुर्गा जी की मूर्ति के सम्मुख अखंड दीप प्रज्वलन एवं मंत्र उच्चारण सहित घट स्थापन करना चाहिए फिर षोडशोपचार पूजन सहित श्री दुर्गा पूजन करके संकल्प पूर्वक प्रतिपदा से नवमी तिथि तक देवी के सम्मुख दीप जलाकर श्री दुर्गा सप्तशती का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए प्रतिपदा के दिन ॥