Sunday 23 October 2022

जाने कब दीपावली पर्व कैसे करें पूजा

  






23अक्तूबर 2022 शुभ संवत् 2079 रविवार वार को धनत्रयोदशी को नवीन बर्तन का क्रय सांय काल में लक्ष्मी नारायण का पूजन करने के बाद अनाज वस्त्र खुशियों एवं उनके निमित्त दीपदान करें इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।


24 अक्टूबर 2022मास 8 गते कार्तिक नरक चतुर्दशी के दिन बिजली , अग्नि, उल्का आदि से मृतकों की शांन्ति के लिए चार मुख वाले दीपक को प्रज्वलित करके तथा शक्ति दान करे। सांय काल को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल,तिल और कुश लेकर तर्पण करें।इस दिन की अर्धरात्रि के समय घृत पूर्ण दीपक जलाकर श्री नुमान जयन्ति मनाई जाती है।


उन्हें मोदक के लिए फल आदि अर्पण करें एवं सुंदरकांड आदि हनुमान स्तोत्र का पाठ करें 24 अक्टूबर सोमवार को कार्तिक मास अमावस्या दीपावली को प्रदा प्रदोष काल में दीपदान करके अपने गृह के पूजा स्थान में मंत्र पूर्वक दीप प्रज्वलित करके श्री महालक्ष्मी की यथा विधि पूजा करनी चाहिए।


ब्रह्म पुराण अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को अर्धरात्रि के समय लक्ष्मी महारानी सभी लोगों के घर में जहां-तहां वितरण करती हैं इसलिए अपने घर को सब प्रकार से स्वच्छ शुद्ध और सुशोभित करके दीपावली तथा दीप मालिका मनाने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होते हैं तथा वहां स्थाई रूप से निवास करती है कि अमावस्या प्रदोष काल एवं आज रात्रि व्यापिनी हो तो विशेष विशेष शुभ होती है।


दीपावली दिन के कृत्य इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक कृतियों से निवृत हो मित्र गण तथा देवताओं का पूजन करना चाहिए संभव हो तो दूध दही और खेत से पितरों का पावन याद करना चाहिए यदि यह संभव हो तो दिनभर उपवास कर गोधूलि बेला में अथवा दृश्य सिंह वृश्चिक और स्थिर लग्न में श्री गणेश कलश षोडश मातृका ग्रह पूजन पूर्वक भगवती लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए इसके अंदर महाकाली का दावा के रूप में मां सरस्वती का कलम वही आदि के रूप में कुबेर का तुला के रूप में सभी जी पूजन करें ना चाहिए इसी समय दी पूजन कर यमराज तथा मित्र गणों के निमित्त सत्संग क्लब दीप दान करना चाहिए तदुपरांत यथो लब्ध निशीथ आदि शिव मूर्तियों में मंत्र जप यंत्र सिद्धि आदि अनुष्ठान संपादित करने चाहिए दीपावली वास्तव में पांच पर्वों का मौसम माना जाता है जिसकी व्याप्ति कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धनत्रयोदशी कार्तिक शुक्ल द्वितीया भैया दूज 26 अक्टूबर 2022 कार्तिक10गते तक रहती है दीपावली के पर्व पर धन की प्रभुत प्राप्ति के लिए धनदा की अधिष्ठात्री भगवती लक्ष्मी का समारोह पूर्वक आभार षोडशोपचार सहित पूजा की जाती है आगे दिए निर्देश शुभ कार्यों में किसी स्वच्छ एवं पवित्र स्थान पर आटा हल्दी अक्षत पुष्प आदि से अष्टदल कमल बनाकर श्री लक्ष्मी का आवाहन स्थापना करके देवों की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए।


लक्ष्मी पूजा सोमवार, अक्टूबर 24, 2022पर 8गते कार्तिक


लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:25 पी एम से 07:19 पी एम


अवधि - 01 घण्टा 55 मिनट्स


प्रदोष काल - 05: 32पी एम से 08:12 पी एम


वृषभ काल - 06:11 पी एम से 08:05 पी एम



इसमें श्री गणेश लक्ष्मी पूजन प्रारंभ कर लेना चाहिए दीपदान महालक्ष्मी पूजन कुबेर बहीखाता पूूूूजन करके घर एवं मंदिरों में दीपजलाने चाहिए। आश्रितों को भोजन मिष्ठान आदि बांटना चाहिए।


निशिता काल मुहूर्त


08 :12मि0 पी एम से 22:51पी एव निशीथ काल में 8:52से पहले पूजन हो जाना चाहिए। 


इस समय श्री सूक्त कनकधारा स्त्रोत लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए



महानिशिथा काल मुहूर्त


लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 

22:55 रात्रि से 25:32 पी एम, नवम्बर 4


श्री महा लक्ष्मी पूजन


श्री महालक्ष्मी पूजन दीपदान आदि के लिए प्रदोष काल से आधी रात तक रहने वाली अमावस श्रेष्ठ होती है यदि अर्धरात्रि काल में अमावस तिथि का अभाव हो तो प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलन, महालक्ष्मी पूजन, गणेश एवं कुबेर आदि पूजन कृत्य करने का विधान है। प्रस्तुत बर्ष में कार्तिक अमावस्या 24 अक्टूबर सोमवार सन 2022 ईस्वी को प्रदोष व्यापनी तथा रात्रि निशीथव्यापनी होने से दीपावली पर्व इसी दिन होगा दीपावली  चित्रा नक्षत्र तथा कन्या चंद्रमा कालीन होगा। सायं सूर्यास्त प्रदोष काल प्रारंभ के बाद मेष वृष लग्न एवं स्वाति नक्षत्र विद्यमान होने से यह समय अवधि श्री गणेश, महालक्ष्मी पूजन और कृतियों के आरंभ के लिए विशेष रूप से प्रशस्त रहेगी। वहीं खातों एवं नवीन शुभ कार्यों के लिए भी यह मुहर्त अत्यंत शुभ होगा। बुधवार की दीपावली व्यापारियों ,क्रय विक्रय करने वालों के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। लक्ष्मी पूजन दीप दान आदि के लिए प्रदोष काल की विशेषता प्रशस्त माना गया है ।

कार्तिके प्रदोषे तु विशेषण अमावस्या निशावर्धके। तस्यां सम्पूज्येत् देवी भोग मोक्ष प्रदायनी।। दीपावली के दिन गृह में प्रदोष काल से महालक्ष्मी पूजन प्रारंभ करके अर्धरात्रि तक जप अनुष्ठान आदि का विशेष महत्व में होता है । प्रदोष काल से कुछ समय पूर्व स्नान आदि उपरांत धर्म स्थल पर मंत्र पूर्वक दीपदान करके अपने निवास स्थान पर श्री गणेश सहित महालक्ष्मी कुबेर पूजा आदि करके अल्पाहार करना चाहिए। तदुपरांत निशिथा आदि मुहूर्तों में मंत्र जप यंत्र सिद्धि आदि अनुष्ठान संपादित करने चाहिए।

दीपावली वास्तव में पांच पर्वों का महत्व माना जाता है। जिसकी व्याप्ति कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धनतेरस से लेकर कार्तिक शुक्ल द्वितीया भाई दूज तक रहती है। दीपावली के पर्व पर धन की प्राप्ति के लिए धन की अधिष्ठात्री धनदा भगवती लक्ष्मी की समारोह पूर्वक आवाहन षोडशोपचार सहित पूजा की जाती है ।आगे दिए गए निर्दिष्ट शुभ कालो में किसी स्वस्थ एवं पवित्र स्थान पर आटा, हल्दी, अक्षत, पुष्प आदि से अष्टदल कमल बनाकर महालक्ष्मी का आवाहन स्थापना करनी चाहिए देवों का विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए।

 आवाहन मंत्र है -

कां सोस्मितां हिरणयप्रकारामाद्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम्। 

पूजा मंत्र है

 ॐ गं गणपतये नमः । लक्ष्म्यै नम:।नमस्ते सर्व देवानां वरदासि हरे: प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा में भूयात्वदर्चनात।।  श्री लक्ष्मी की

 ' एरावतसमारुढो म बज्रहस्तो महाबल:।शत यज्ञाधिपो देवस्तस्मा इंद्राय नमः ।

इस मंत्र से इनकी कुबेर की निम्नलिखित मंत्र से पूजा करें 

कुबेराय नमः, धनदाय नमस्तुभ्यं निधि पद्माधिपाय च। भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पद: । 

पूजन सामग्री में विभिन्न प्रकार की मिठाई फल ,पुष्प ,अक्षत, धूप, दीप आदि सुगंधित वस्तु में सम्मिलित करनी चाहिए। दीपावली पूजन में प्रदोष निश्चित एवं महा निशित काल के अतिरिक्त चौघड़िया मुहूर्त भी पूजन बहीखाता, पूजन ,कुबेर पूजा ,जप आदि अनुष्ठान की दृष्टि से विशेष प्रशस्त एवं शुभ माने जाते है।

इस वार मंगलवार को दिन में 2बजे से ग्रहण 6:32तक लगने से  अमावस्या इसी दिन शाम तक  रहने से पड़वा प्रतिपदा बुधवार की होगी।

शुक्ल प्रतिपदा 26 अक्टूबर बुधवार को श्री कृष्ण, भगवान की प्रसन्नता के लिए अन्नकूट पर्व मनाया जाता है तथा श्री कृष्ण व गोओ की पूजा की जाती है। 25अक्तुवर  को में भाई बहन के परस्पर स्नेह का प्रतीक भातृ दूज का पर्व मनाया जाएगा इसमें शिव पार्वती विवाह पूजन उपरांत बहन अपने भाई की मंगल कामना हेतु उसे रोली वा केसर का तिलक लगाती है भाई बहन अपनी बहन को श्रद्धा अनुसार उपहार देता है।

 अक्षय नवमी 4नवंबर को क्या हुआ पूजा पाठ दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है

 इसी प्रकार हरि प्रबोधिनी एकादशी 4 नवंबर को भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाती है।



Thursday 13 October 2022

जाने दीपावली को लगने वाला सूर्य ग्रहण कहां लगेगा




 खंडग्रास सूर्य ग्रहण 



25 अक्टूबर 2022 कार्तिक अमावस मंगलवार यह खंडग्रास सूर्यग्रहण लगभग संपूर्ण भारत में असम राज्य के गुवाहाटी नगर से दाएं और मेघालय राज्य के नलबाड़ी नगर के दाएं ओर से क्षेत्र राज्य को छोड़कर बाकी सब जगे लगेगा और दिखाई देगा पूर्व भारत को छोड़कर समस्त भारत में यह ग्रस्ता अस्त रूप में ही देखा जा सकेगा भारत में ग्रहण का मोक्ष समाप्ति होने से पहले ही सूर्यास्त हो जाएगा।

अक्टूबर 25 दिसंबर 2022 मंगलवार ९गते कार्तिक 
ग्रहण प्रारंभ दिन 2बजकर29 मिनट 
परम घास - 4:30 दोपहर बाद 
 ग्रहण  समाप्ति का समय  शाम - 6बजकर 32 मिनट


संपूर्ण ग्रहण रहेगा 04घण्टाट 03 मिनट्स 

सूतक प्रारम्भ 24अक्तुवर रात 25 अक्तूबर 2022सूर्यउदय से पहले प्रातः 2बजकर 30मिनट से प्रारम्भ हो जाएगा।


पर्व काल- ध्यान रहे क्योंकि लगभग संपूर्ण भारत पूर्वी भारत को छोड़कर यह ग्रहण ग्रस्त अस्त होगा इसलिए ग्रहण का पर्व का सूर्यास्त के साथ ही समाप्त हो जाएगा इसलिए धार्मिक लोगों को सूर्यास्त के बाद स्नान करके सायं संध्या जप आदि करना चाहिए लेकिन उन्हें तब तक भोजन नहीं करना चाहिए जब तक वह 26 अक्टूबर बुधवार प्रातः सूर्योदय के समय सूर्य ग्रहण मुक्त सूर्य बिन को नहीं देख लेती कार्तिक अमावस तथा मंगलवार भोमवती अमावस को सूर्य ग्रहण घटित होने से इस दिन तीर्थ स्नान दान तर्पण श्राद्ध आदि का विशेष तथा अनंत महत्त्व  होगा।

सूतक प्रारम्भ शाम 25 अक्तूबर 2022सूर्यउदय से पहले प्रातः 2बजकर 30मिनट से प्रारम्भ हो जाएगा।

ग्रहण  काल और बाद में क्या करें?


 जब ग्रहण प्रारंभ हो तो स्नान जप मध्यकाल में होम देव पूजा और ग्रहण का मोक्ष समीप होने पर दान तथा पूर्ण मोक्ष होने पर स्नान करना चाहिए।



स्पर्शे स्नानं जपं कुर्यान्मध्ये होमो सुराचर्नम्।

मुच्यमाने सदा दानं विमुक्तौ स्नानमाचरेत्।।


  सूर्य का काल में सूर्य की पूजा करने के लिए सूर्य की शुरुआत में सूर्य अष्टक का खराब होना सूर्य स्तोतोत्रु का पाठ होना चाहिए।

ग्रहण काल में क्या सावधानियां रखें*

 पका हुआ अन्न,कटी हुई सब्जी, ग्रहण काल में दूषित हो जाते हैं उन्हें नहीं रखना चाहिए परंतु तेल घी दूध दही लस्सी मक्खन पनीर अचार चटनी रब्बा आदि में तिल या कुछ कुशा रख देने से ग्रहण काल में दूषित नहीं होते सूखे खाद्य पदार्थों में डालने की आवश्यकता नहीं।

 ध्यान रहे ग्रस्त सूर्य को नंगी आंखों से कदापि नहीं देखे वेल्डिंग वाले काले गिलास में से देख सकते हैं ग्रहण के समय तक ग्रहण की समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करना निषिद्ध है रोगी गर्भवती स्त्रियां बालकों के लिए निश्चित नहीं है काल में सोना खाना-पीना तेल मदन मित्र पुरुषोत्तम निषिद्ध है नाखून भी नहीं काटने चाहिए।

*ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।

                                       

*ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं। 

*ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।

*ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है।

*ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।

*ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।

*ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करते रहना चाहिए।

 *गर्भवती स्त्रियां क्या करें*

ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो। गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। सुई से सिलाई भी न करें। माना जाता है इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं। ग्रहण काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करती रहें।


यह ग्रहण स्वाती नक्षत्र तथा तुला राशि में होगा आते इस राशि नक्षत्र में उत्पन्न लोगों के लिए विशेष अशुभ है अतः इस राशि वालों को ग्रहण ग्रहण दान तथा आदित्य स्त्रोत सूर्य अष्टक स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। सूर्य का जप दान चन्द्र दान करें।

 ग्रहण का राशियों पर असर


                                       




मेष राशि -स्त्री पति के कार्य में अड़चनें 

वृषराशि- सुख

 मिथुन - चिंता खर्चे कर्य  विलम्ब

कर्क -कार्य सिद्ध 

सिंह- खर्च धन लाभ

 कन्या- धन हानि 

तूला- घात

 वृश्चिक राशि धन हानि 

धनु-लाभ

 मकर- सुख

कुंभ- मान

 मीन -कष्ट 


सभी से मेरा विनम्र  अनुरोध रहेगा कि आप सभी इस विषय में अधिक से अधिक लोगों को अवगत कराएं ताकि जनमानस को इसके नुकसान से बचाया जा सके।तथा ग्रहण की खतरनाक किरणों से गर्भावस्था में पल रहे शिशु के लिए अच्छी नहीं होती ताकि गर्भावस्था में शिशु को कोई भी विकार ना आ पाए है तथा शीशु के शरीर में किसी प्रकार की विकृति ना आए हमरा उद्देश्य है कि सभी लोग स्वस्थ और निरोग रहे।

#सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः 

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।।



Sunday 9 October 2022

जाने कब है करवा चौथ का व्रत कब होगा चाँद उदय

 







कार्तिक कृष्ण चतुर्थी  जो कि इस बार 1नवम्बर  16 गते कार्तिक सोर मास को मनाया जाएगा। इस दिन  पतिव्रता स्त्रियां अपने पति के मंगल हेतु एवं आयु वृद्धि की कामना से करवा चौथ का व्रत रखती हैं । पुरा श्रृगार आदि करती है तथा निराहार रहकर सांयकाल को  श्री गणेश पूजन, करवा दान,   शिव पार्वती पूजन एवं चंद्रमा को अर्घ्य दान कर पति की प्रतिष्ठा करने के उपरांत ही स्वयं भोजन करती है।


कब दिखेगा चंद्रमा कितने बजे होगा उदय 

नाहन में नाहन में 8:10 के पश्चात शिमला में 8:09 बजे  सोलन में 8:10 बजे पश्चात सुंदरनगर में 8:00 बज के05 मिनट में मंडी में 8:0 विलासपुर 8:05 बजे मंडी में 8:04 मनाली में 8:00 बज के 2 मिनट बेंगलुरु में 8:55  

कांगडा 8.05 चंम्बा 8.05 विलासपुर 8.05 रोहतक 8.12 चण्डीगढ़ 8.10 

Saturday 8 October 2022

जाने अपने नाम राशि के मुताबिक कैसा रहेगा दिसम्बर मास।

 


दिसम्बर 2022

मेष राशि चू चे चो ला ली लू ले लो अ
दिसम्बर 2022 

. दिसम्बर - मंगल वक्री होने से पारिवारिक / घरेलू उलझनें बढ़ेंगी । कुछ सोची हुई योजनाओं में विघ्न - बाधाओं का सामना रहेगा । अवांछित स्थान - परिवर्तन एवं अज्ञात - भय बना रहेगा । ट रहेगी । मन अशान्त एवं असन्तुष्ट रहेगा

वृष राशि ई ई उ ए ओ वा वि वू वे वो
 

मासारम्भ में शुक्र की स्वगृही दृष्टि से बिगड़े हुए कार्यों में सुधार होगा । सन्तान सुख में वृद्धि तथा सुख - साधनों पर खर्च होगा । परन्तु ता . 5 से शुक्र अष्टमस्थ होने से स्वास्थ्य परेशानी , गुप्तरोग , शरीर कष्ट एवं पेट सम्बन्धी विकार के कारण परेशानी बनी रहेगी । 

मिथुन राशि का की कू घ ड छ के को ह


  इस राशि पर बुध की स्वगृही दृष्टि रहने से यद्यपि उन्नति के अवसर मिलेंगे विशेष अधिक लाभ नहीं होगा । व्यवसाय में अनेक उतार - चढ़ाव व अल्प परेशानियों के रहते निर्वाह योग्य आय होगी । 

कर्क राशि ही हू हे हो डा डी डू डे डो

 दिसम्बर - पंचम भाव पर गुरु की सूर्य पर दृष्टि होने से सन्तान सम्बन्धी किसी विशेष कार्य में सफलता के योग बनेंगे । पिता - पुत्र में मतभेद एवं सरकारी क्षेत्रों में विघ्न तथा धन का खर्च अधिक होगा ।


सिंह राशि मा मी मू मे टा टी टू टे

मंगल की वक्र चतुर्थ दृष्टि तथा सूर्य पर भी दृष्टि होने से गुप्त चिन्ता , गुप्त रोग तता दुर्घटना में चोटादि का भय रहेगा । मानसिके तनाव व उलझनों के बावजूद धन लाभ के अवसर प्राप्त होंगे । सन्तान सम्बन्धी चिन्ता , वृथा दौड़धूप रहेगी ।

कन्या राशि टो पा पी पू ष ण ठ पे पो


- बुध चतुर्थस्थ रहने से लाभ कम और परिश्रम अधिक रहेगा । किसी विशेष व्यक्ति के सहयोग से भूमि सम्बन्धी कार्यों में कुछ प्रगति होगी । सांझेदारी के कार्यों में प्रतिष्ठा बढ़ेगी , परन्तु विशेष लाभ नहीं होगा । तॉ . 28 से बुध पंचमस्थ आने से सन्तान सम्बन्धी सुख प्राप्त होंगे । 

तुला राशि रा री रू रे रो ता ती तू ते


 ता . 5 से ही शुक्र धनु राशिस्थ होने से अधिकांश समय व्यर्थ के कामों में व्यतीत होगा । शनि - ढैय्या होने से आर्थिक उलझनों के कारण मन चिन्तित रहेगा । दाम्पत्य का जीवन में कुछ मतभेद , धन का लेन - देन करते समय कुछ विवाद हो सकता है ।

वृश्चिक राशि तो ना नी नू नै नो या ती यू


यद्यपि मंगल की स्वगृही दृष्टि होने से धन लाभ भूमी ज़्यादातर सम्बंधी कार्यों सेलाभ होगा किन्तु तनाव व उत्तेजना बढ़ेगी वृथा भाग दौड़ भी होंगी गुरु की शुभदृष्टि होने से शुभ तीर्थ यात्रा तथा संबंधियों से मेल जोल बढ़ेगा


धनु राशि ये यो भा भी भू धा पा ढ भे


 .गुरु मार्गी होने से किसी नवीन कार्य की योजना बनेगी । भाग्येश सूर्य ता . 15 विदेश तक द्वादश भाव में होने से बनते कार्यों में विघ्न , मानसिक तनाव व्यवसायिक एवं आर्थिक पर श परेशानियां रहेंगी । ता . 16 से सूर्य लग्नस्थ , चतुर्थस्थ गुरु पर शनि की दृष्टि रहने से स्वास्थ्य नर्म , दिमागी परेशानी एवं सन्तान सम्बन्धी चिन्ता बनी रहेगी ।

मकर राशि भो जा जी खी खू खे खो गा गी

शनि - साढ़ेसाती तथा द्वादशस्थ बुध - शुक्र योग रहने से धन लाभ एवं उन्नति के पर्याप्त अवसरों के बावजूद समुचित लाभ नहीं उठा पाएंगे । बिगड़े कार्यों में धीरे - धीरे सुधार होगा । परिवारिक वातावरण कुछ बेहतर होगा । परन्तु शत्रु सरगर्म होने से परेशानी होगी ।


कुंभ राशि गू गे गो सा सी सू से सो दा

आशाओं में किंचित सफलता प्राप्त होगी । शनि द्वादशस्थ , परन्तु सूर्य दशमस्थ / एकादशस्थ होने से बीच - बीच में धन लाभ व उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे । नवीन कार्य खर्च अधिक रहेगा । को कार्यरूप देने का प्रयास लाभकारी रहेगा । मासान्त में कोई बिगड़ा कार्य बनेगा ।

मीन राशि दि दु थ झ ‌‌ञ दे दो चा ची

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परिस्थितियां में अनुकूल परिवर्तन होगा एवं संघर्ष - शक्ति प्रबल होगी । अकस्मात् किसी बिगड़े हुए कार्य के बन जाने से खुशी का माहौल रहेगा । मासान्त में अकस्मात् धन लाभ , यात्रा तथासन्तान / पति - पत्नी सम्बन्धी सुख प्राप्त होंगे । 

जाने अपने नाम राशि के मुताबिक कैसा रहेगा अक्तूबर मास।

 


अक्तूबर 2022

मेष राशि चू चे चो ला ली लू ले लो अ
अक्तूबर 2022 

. संघर्षपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद धन - लाभ सामान्य रहे , भागदौड़ व परिश्रम अधिक रहेगा । परन्तु 16 से मंगल तृतीयस्थ तथा सूर्य की भी उच्च दृष्टि होने से बन्धुओं संघर्ष के बावजूद धन लाभ के साधन बनते रहेंगे । कार्यों - आशाओं में सफलता तथा किसी में विकार नवीन कार्य की योजना भी बनेगी । 

वृष राशि ई ई उ ए ओ वा वि वू वे वो
 

- ता . 17 तक शुक्र सूर्य - बुध युक्त कन्या राशि में संचार करने से सन्तान सम्बन्धी विभिन्न परेशानियों का सामना रहेगा । घरेलु हालात चिन्ताजनक रहेंगे । किसी दुष्ट व्यक्ति द्वारा धन की हानि अथवा धोखे की सम्भावना बनी रहेगी । ता . 18 से विशेष परिश्रम दृषि एवं संघर्ष के पश्चात् निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगे ।


मिथुन राशि का की कू घ ड छ के को ह


 - राशिस्वामी  बुध एवं गुरु के मध्य समसप्तक दृष्टि सम्बन्ध रहने से अधिकतर  समय व्यापार ( क्रय - विक्रय ) के कार्यों में लोगों से मेल - मिलाप होगा । ता . 16 से मंगल का संचार इस राशि पर रहने से उत्तेजना , क्रोध से बचें ।

कर्क राशि ही हू हे हो डा डी डू डे डो

मासारम्भ में यद्यपि कुछ बिगड़े कार्य बनेंगे , परन्तु शीघ्र उत्तेजित या जल्दबाजी से कोई बना हुआ कार्य बिगड़ सकता है । व्यवसाय में अस्थिरता एवं अनिश्चितता बनी काम रहेगी । दाम्पत्य जीवन में मतभेद व तनाव रहे । 


सिंह राशि मा मी मू मे टा टी टू टे

अक्तूबर 2022

ता . 15 तक मंगल की दृष्टि रहने से भाग्यवश धार्मिक कार्यों एवं सामाजिक क्षेत्रों में रुझान बढ़ेगा । मान - सम्मान में वृद्धि , धन - लाभ एवं आय के स्रोतों में वृद्धि होगी । ता . 17 से शत्रु हानि पहुँचाने का प्रयास करेंगे । परिवार में अकारण ही विरोधाभास और तनाव होगा ।

कन्या राशि टो पा पी पू ष ण ठ पे पो


बुध स्वराशिगत ही सूर्य - शुक्र युक्त होने से शुभ कार्यों पर खर्च , धन - लाभ और और उन्नति के अवसर मिलेंगे । कुछ बिगड़े कामों में सुधार एवं मान - प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी । पारिवारिक माहौल पहले से बेहतर होगा । 

तुला राशि रा री रू रे रो ता ती तू ते


 शनि - ढैय्या तथा शुक्र 12 वें होने से बनते कार्यों में विघ्न उत्पन्न होंगे । स्थ आशाओं के अनुरूप सफलता प्राप्त नहीं होगी । मन उदासीन रहेगा । ता . 17 से कुछ विवादास्पद मामले मानसिक तनाव का कारण बनेंगे । क्रोध अधिक एवं किसी निकट शेष सम्बन्धी से तकरार होगी । ता . 18 से शुक्र स्वराशि में होने से गुज़ारेलायक आय होती रहेगी ।  


वृश्चिक राशि तो ना नी नू नै नो या ती यू


शनि - ढैय्या तथा शुक्र 12 वें होने से बनते कार्यों में विघ्न उत्पन्न होंगे । स्थ आशाओं के अनुरूप सफलता प्राप्त नहीं होगी । मन उदासीन रहेगा । ता . 17 से कुछ विवादास्पद मामले मानसिक तनाव का कारण बनेंगे । क्रोध अधिक एवं किसी निकट विशेष सम्बन्धी से तकरार होगी । ता . 18 से शुक्र स्वराशि में होने से गुज़ारेलायक आय होती रहेगी । 

धनु राशि ये यो भा भी भू धा पा ढ भे


 मासारम्भ में स्वास्थ्य - कष्ट और पारिवारिक चिन्ता रहेगी । प्रयास करने पर बन्धुओ किसी रुके हुए कार्य में प्रगति होगी । खर्च की अधिकता और मानसिक तनाव रहेगा । कष्ट परिवार में भी व्यर्थ का तनाव रहेगा । अकस्मात् यात्रा होगी । । 


मकर राशि भो जा जी खी खू खे खो गा गी

भूमि - वाहनादि सुख - साधनों में वृद्धि होगी । आय के स्त्रोतों में वृद्धि , देश 15 विदेश की यात्राएं तथा गृह में कोई मंगल कार्य भी होगा । ता . 17 से दशमस्थ नीचस्थ क पर शनि की उच्च परन्तु शत्रु दृष्टि रहने से कोई बना हुआ कार्य बिगड़ सकता है । 


कुंभ राशि गू गे गो सा सी सू से सो दा

- व्यवसाय में अनिश्चितता बनी रहेगी । आय से व्यय अधिक होगा । स्वास्थ्य में विकार उत्पन्न हो । प्रयास करने पर धन लाभ के अवसर पहले से बेहतर होंगे । ता . 17 से भाग्यस्थ ( नीचस्थ ) सूर्य - शुक्र - केतु पर शनि की विशेष उच्च दृष्टि होने से व्यवसाय में अनेक उतार - चढ़ाव एवं उथल - पुथल के आसार बनेंगे । 

जाने आपके नाम राशि के मुताबिक मई मास 2024 कैसा रहेगा

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