Sunday 14 July 2019

21जून ग्रहण का आपके लिए प्रभाव


 

 नाहन में आंशिक / खण्डग्रास सूर्य ग्रहण
ग्रहण प्रारम्भ काल - 10:23 ए एम 
परमग्रास - 00:03 पी एम 
ग्रहण की अवधि - 01:49 पी। एम 
खण्डग्रास की अवधि - 03 घण्टे 25 मिनट 42 सेकण्ड्स     
अधिकतम परिधि - 0.98
सूतक  प्रारम्भ - 9:54 पी एम ,  20 जून
सूतक  समाप्त - 1:49 पी एम 
बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिए सूक्त प्रारम्भ - 05:19 खोज परिणाम के लि एम बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिए सूक्त समाप्त 

21 जून, 2020 का सूर्य ग्रहण

26 जून, 2020 का ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। इसकी परिधि 0.99 होगी। यह पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं होगा क्योंकि चन्द्रमा की छाया सूर्य का केवल 99% भाग ही ढकेगी। आकाशमण्डल में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केन्द्र के साथ मिलकर सूर्य के चारों ओर एक वल्याकार आकृति बनाये हुए। यह सूर्य ग्रहण की अधिकतम अवधि के समय ० मिनट और ३ की सेकंडंड की होगी।    

यह सूर्य ग्रहण भारत , नेपाल , पाकिस्तान , सऊदी अरब , यूएई , एथोपिया और कोंगों में दिखाई देता है।         

देहरादून , सिरसा और टिहरी कुछ प्रसिद्ध शहर हैं जहाँ पर वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई देता है।    

नई दिल्ली , चंडीगढ़ , मुम्बई , कोलकाता , हैदराबाद , बंगलौर , लखनऊ , चेन्नई , शिमला , रियाद , अबू धाबी , कराची , बैंकाक तथा काठमांडू आदि कुछ प्रसिद्ध शहर हैं जहाँ से आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।               

   ग्रहण काल ​​में क्या करें?*

 जब ग्रहण प्रारंभ हो तो स्नान जप मध्यकाल में होम देव पूजा और ग्रहण का मोक्ष समीप होने पर दान और पूर्ण मोक्ष होने पर स्नान करना चाहिए।

स्पर्शे स्नानं जपं कुर्यान्मध्ये होमो सुराचर्नम्।
मुच्येँ सद दानं विमुक्तौ स्नानमचरेत् ।।


  सूर्य ग्रहण काल ​​में भगवान सूर्य की पूजा आदित्य हृदय स्त्रोत सूर्य अष्टक स्त्रोत आदि सूर्यस्त स्तोत्रौ का पाठ करना चाहिए। पका हुआ अन्न, कटी हुई सब्जी, ग्रहण काल ​​में दूषित हो जाते हैं उन्हें नहीं रखना चाहिए, लेकिन तेल घी दूध दही लस्सी मक्खन पनीर अचार चटनी रब्बा आदि में तिल या कुछ आचरण रखने देने से ग्रहण काल ​​में दूषित नहीं होते हैं। सूखे खाद्य पदार्थों को सम्मिलित करना की आवश्यकता नहीं ध्यान रहे गिरने सूरज को नंगी आँखों से कद स्थल नहीं देखा वेल्डिंग वाले काले कांच में से देख सकते हैं ग्रहण के समय तक ग्रहण की समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करने निषिद्ध है रोगी गर्भवती स्त्रियों के बालकों के लिए। निश्चित नहीं है कि अवधि में सोना है। खाना-पीना तेल मदन मित्र पुरुषोत्तम निषिद्ध है नाखून भी नहीं काटना चाहिए।

* ग्रहण काल ​​में क्या परहेज रखें *

* ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्धियों और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए ऐसे कई कार्य हैं, जिन्हें करने के दौरान नहीं किया जाता है।

* ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियों की जरूरत के अनुसार सो सकते हैं।वैसे यह ग्रहण मध्यरात्रि से लेकर तड़के के बीच होगा इसलिए धरती के अधिकांश देशों के लोग नींद में होते हैं।

* ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।

* ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका बनी रहती है।

* ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।

* ग्रहण को खुले आंखों से न देखें।

* ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करना चाहिए।

* गर्भवती महिलाएं क्या करें *

ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल ​​के दौरान गर्भवती स्त्रियाँ घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो इश पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल ​​के दौरान यदि भोजन जरूरी हो तो सिर्फ भोजन की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिसमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो। गर्भवती स्त्रियाँ ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। सुई से सिलाई भी न करें। माना जाता है कि इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं। ग्रहण काल ​​के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहो।


मेष राशि-धन लाभ वृष-धन हानि मिथुन राशि- वालों को दुर्घटना चोट में भय  कर्क- धन हानि सिंह- लाभ उन्नति कन्या- रोग कष्ट भय तुला- चिन्ता  संतान कष्ट वृश्चिक- शत्रु भय साधारण लाभ धनु- स्त्री पति कष्ट मकर- रोग गुप्त चिंताख कुंभ- खर्च अधिक कार्य विलंब मीन -कार्य सिद्धि।


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