आरोग्य सुखम



🖤P261:-

❤❤❤शारीरिक संकेतो से रोगों की पहचान:-

💚रोगी स्वयम ही सबसे बड़ा चिकित्सक होता है,हर आने वाली बीमारी या शरीर में होने वाले परिवर्तन को वो खुद बता देता हैं लेकिन हम शरीर के इन संकेतों को अनदेखा कर देते हैं। 

💙 जीभ पर सफेद या भूरे रंग का मैल जमना पेट की खराबी को बताता है।

💙निमोनिया, प्लूरिसी आदि रोग में नाक के नथुने तेजी से फड़कते हैं।

💙अधिक थकावट या पुराने कब्ज में आखों के नीचे कालापन आ जाता है।

💙कमजोरी, खून की कमी, ल्यूकोरिया (श्वेत-प्रदर) आदि में आंखों के चारों तरफ कालापन आ जाता है।

💙किडनी के कार्य में रुकावट आने पर आंखों के नीचे सूजन आ जाती है।

💙बुखार आने पर होठों के कोने पर सफेद छाले हो जाते हैं।

💙पीरियड्स कम आने पर गालों पर झाइयां हो जाती हैं।

💙बार बार औऱ जल्दी जल्दी पेशाब आने पर एव पैरो की एड़ी में दर्द होने पर शुगर की समस्या हो सकती है

💙एड़ी में दर्द होने पर यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ी होती है

💙फेफड़ों में इन्फेक्शन होने पर गाल लाल हो जाते हैं।

💙टायफाइड में शाम को शरीर का तापमान एक डिग्री बढ़ जाता है।

💙पेट में कीड़े होने पर बच्चे सोते समय दांत किटकिटाते हैं या सोते समय बिस्तर पर यूरिन कर देते हैं।

💙पेट में कीड़े होने पर बच्चों को नाक और मलद्वार में खुजली होती है।

💙पेट में कीड़े होने पर चेहरे पर हल्के सफेद रंग के धब्बे हो जाते हैं।

💙तिल्ली बढ़ने पर जीभ का रंग सफेद हो जाता है।

💙आंतों और पेट के रोग में जीभ पर छाले या घाव हो जाते हैं।

💙लो ब्लडप्रेशर और खून की कमी होने पर आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है।

💙महिलाओं में यूट्रस (बच्चेदानी) में रोग होने पर हाथ की उंगलियों के पीछे कालापन आ जाता है।

💙पेट के रोग या किसी लंबी बीमारी में होंठ फटने लगते हैं।

💙हाइपोथायरॉइडिज्म (थाइरॉइड ग्लैंड का हरमोन कम निकलना) में गले में सूजन आ जाती है।

💙यूरीन का रंग पीला आना से शरीर मे पानी की कमी को बताता है

💙पेशाब रुक रुक कर आना पथरी की समस्या बताता है

इलाज से बेहतर बचाव है
स्वदेशी बने प्रकृति से जुड़े
धन्यवाद
🙏
############################

❤❤❤देशी गाय के गोबर के अदभुत लाभ:-

💚बर्र, मच्छर, मक्खी, मकड़ी के काटने पर काटे हुए स्थान पर तुरंत गाय का गोबर मलें और लेप करके बांध दें ऐसा दिन में 2-3 बार करें इससे जहर का असर कम हो कर आराम मिलता है. 

💚मिर्गी में सहायक सूखे गोबर की राख को पानी में मिला ले और छान ले.छानकर इस पानी को पीने से मिर्गी की बीमारी में लाभ होगा. 

💚पेट के कीड़े पेट में कीड़े होने की अवस्था में गाय के गोबर की सफेद राख को 1 गिलास पानी में 1 चम्मच मिला कर इसे कपडे से छान ले| रोगी को तीन दिन तक सुबह शाम यह पानी पिलाने से लाभ होगा.

💚खाज खुजली में गाय के गोबर को सुखा कर जला कर भस्म बना लें. गाय के मक्खन को 100 बार पानी से धो लें. इसके बाद इस मक्खन में 25 ग्राम भस्म को मिला कर रख लें. और जब भी खाज खुजली हो इसे लगायें तुरंत लाभ होता है. 

💚एड़ी का दर्द जब किसी भी कारण से एड़ी में दर्द होने लगे और चलने फिरने में परेशानी हो तो रोज सूर्य उदय से पहले गाय के ताजा गोबर में एड़ी को रख कर 10 मिनिट खड़े रहें अगर सुबह शाम दोनों टाइम करें तो और भी ज्यादा लाभ देता है.( गोबर ताजा और गर्म होना चाहिए) इससे दर्द कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा.

💚किसी गर्भवती माँ को डिलीवरी के दौरान बच्चा उल्टा हो, या फंस गया हो तो तुरंत देशी गाय का गोबर और देशी गाय का मूत्र बराबर मात्रा में लेकर मिलाये एयर  सूती कपड़े से छानकर सुबह शाम 100 ग्राम पिला दे, बच्चा सीधा हो जाएगा और डिलीवरी नॉर्मल हो जाएगी

💚देशी गाय के गोबर के उपले जलाकर पाउडर बनाकर इसमे थोड़ा नमक और फिटकरी मिलाकर दांत साफ करें यह दांतो के लिए सबसे अच्छा मंजन है और दांतो के किसी भी रोग को ठीक कर देता है

इलाज से बेहतर बचाव है
स्वदेशी बने प्रकृति से जुड़े
धन्यवाद
🙏



























यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान से कम नही

आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जिसका तना, पत्ती, बीज, फूल, और जड़ पौधे का हर हिस्सा औषधि है, इस पौधे को अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree), लटजीरा कहते है। अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) का पौधा भारत के सभी सूखे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है यह गांवों में अधिक मिलता है खेतों के आसपास घास के साथ आमतौर पाया जाता है इसे बोलचाल की भाषा में आंधीझाड़ा या चिरचिटा (Chaff Tree) भी कहते हैं-अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं-सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं इसके अलावा फल चपटे होते हैं जबकि लाल अपामार्ग (RedChaff Tree) का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।
 
इस पर बीज नुकीले कांटे के समान लगते है इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है फिर भी सफेद अपामार्ग(White chaff tree) श्रेष्ठ माना जाता है इनके पत्ते गोलाई लिए हुए 1 से 5 इंच लंबे होते हैं चौड़ाई आधे इंच से ढाई इंच तक होती है- पुष्प मंजरी की लंबाई लगभग एक फुट होती है, जिस पर फूल लगते हैं, फल शीतकाल में लगते हैं और गर्मी में पककर सूख जाते हैं इनमें से चावल के दानों के समान बीज निकलते हैं इसका पौधा वर्षा ऋतु में पैदा होकर गर्मी में सूख जाता है।
 
अपामार्ग तीखा, कडुवा तथा प्रकृति में गर्म होता है। यह पाचनशक्तिवर्द्धक, दस्तावर (दस्त लाने वाला), रुचिकारक, दर्द-निवारक, विष, कृमि व पथरी नाशक, रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला), बुखारनाशक, श्वास रोग नाशक, भूख को नियंत्रित करने वाला होता है तथा सुखपूर्वक प्रसव हेतु एवं गर्भधारण में उपयोगी है।
चिरचिटा या अपामार्ग (Chaff Tree) के 20 अद्भुत फ़ायदे :
1. गठिया रोग :
 
अपामार्ग (चिचड़ा) के पत्ते को पीसकर, गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द व सूजन दूर होती है।
 
2. पित्त की पथरी :
 
पित्त की पथरी में चिरचिटा की जड़ आधा से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से पूरा लाभ होता है। काढ़ा अगर गर्म-गर्म ही खायें तो लाभ होगा।
 
3. यकृत का बढ़ना :
 
अपामार्ग का क्षार मठ्ठे के साथ एक चुटकी की मात्रा से बच्चे को देने से बच्चे की यकृत रोग के मिट जाते हैं।
 
4. लकवा :
 
एक ग्राम कालीमिर्च के साथ चिरचिटा की जड़ को दूध में पीसकर नाक में टपकाने से लकवा या पक्षाघात ठीक हो जाता है।
 
5. पेट का बढ़ा होना या लटकना :
 
चिरचिटा (अपामार्ग) की जड़ 5 ग्राम से लेकर 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम कालीमिर्च के साथ खाना खाने से पहले पीने से आमाशय का ढीलापन में कमी आकर पेट का आकार कम हो जाता है।
 
6. बवासीर :
 
अपामार्ग की 6 पत्तियां, कालीमिर्च 5 पीस को जल के साथ पीस छानकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ हो जाता है और उसमें बहने वाला रक्त रुक जाता है।
खूनी बवासीर पर अपामार्ग की 10 से 20 ग्राम जड़ को चावल के पानी के साथ पीस-छानकर 2 चम्मच शहद मिलाकर पिलाना गुणकारी हैं।
 
7. मोटापा :
 
अधिक भोजन करने के कारण जिनका वजन बढ़ रहा हो, उन्हें भूख कम करने के लिए अपामार्ग के बीजों को चावलों के समान भात या खीर बनाकर नियमित सेवन करना चाहिए। इसके प्रयोग से शरीर की चर्बी धीरे-धीरे घटने भी लगेगी।
 
8. कमजोरी :
 
अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें। 1 कप दूध के साथ 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से शरीर में पुष्टता आती है।
 
9. सिर में दर्द :
 
अपामार्ग की जड़ को पानी में घिसकर बनाए लेप को मस्तक पर लगाने से सिर दर्द दूर होता है।
 
10. संतान प्राप्ति :
 
अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित रूप से 21 दिन तक सेवन करने से गर्मधारण होता है। दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्तों के 2 चम्मच रस को 1 कप दूध के साथ मासिक-स्राव के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ स्थिति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
 
11. मलेरिया :
 
अपामार्ग के पत्ते और कालीमिर्च बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें, फिर इसमें थोड़ा-सा गुड़ मिलाकर मटर के दानों के बराबर की गोलियां तैयार कर लें। जब मलेरिया फैल रहा हो, उन दिनों एक-एक गोली सुबह-शाम भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से इस ज्वर का शरीर पर आक्रमण नहीं होगा। इन गोलियों का दो-चार दिन सेवन पर्याप्त होता है।
 
12. गंजापन :
 
सरसों के तेल में अपामार्ग के पत्तों को जलाकर मसल लें और मलहम बना लें। इसे गंजे स्थानों पर नियमित रूप से लेप करते रहने से पुन: बाल उगने की संभावना होगी।
 
13. दांतों का दर्द और गुहा या खाँच (cavity) :
 
इसके 2-3 पत्तों के रस में रूई का फोया बनाकर दांतों में लगाने से दांतों के दर्द में लाभ पहुंचता है तथा पुरानी से पुरानी गुहा या खाँच को भरने में मदद करता है।
 
14. खुजली :
 
अपामार्ग के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फूल और फल) को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और इससे स्नान करें। नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ ही दिनों cavity में खुजली दूर जाएगी।
 
15. आधाशीशी या आधे सिर में दर्द :
 
इसके बीजों के चूर्ण को सूंघने मात्र से ही आधाशीशी, मस्तक की जड़ता में आराम मिलता है। इस चूर्ण को सुंघाने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ पतला होकर नाक के द्वारा निकल जाता है और वहां पर पैदा हुए कीड़े भी झड़ जाते हैं।
 
16. ब्रोंकाइटिस :
 
जीर्ण कफ विकारों और वायु प्रणाली दोषों में अपामार्ग (चिरचिटा) की क्षार, पिप्पली, अतीस, कुपील, घी और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से वायु प्रणाली शोथ (ब्रोंकाइटिस) में पूर्ण लाभ मिलता है।
 
17. खांसी :
 
खांसी बार-बार परेशान करती हो, कफ निकलने में कष्ट हो, कफ गाढ़ा व लेसदार हो गया हो, इस अवस्था में या न्यूमोनिया की अवस्था में आधा ग्राम अपामार्ग क्षार व आधा ग्राम शर्करा दोनों को 30 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में बहुत ही लाभ होता है।
 
18. गुर्दे का दर्द :
 
अपामार्ग (चिरचिटा) की 5-10 ग्राम ताजी जड़ को पानी में घोलकर पिलाने से बड़ा लाभ होता है। यह औषधि मूत्राशय की पथरी को टुकड़े-टुकड़े करके निकाल देती है। गुर्दे के दर्द के लिए यह प्रधान औषधि है।
 
19. गुर्दे के रोग :
 
5 ग्राम से 10 ग्राम चिरचिटा की जड़ का काढ़ा 1 से 50 ग्राम सुबह-शाम मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म हो जाती है । या 2 ग्राम अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़ को पानी के साथ पीस लें। इसे प्रतिदिन पानी के साथ सुबह-शाम पीने से पथरी रोग ठीक होता है।
 
20. दमा या अस्थमा :
 
चिरचिटा की जड़ को किसी लकड़ी की सहायता से खोद लेना चाहिए। ध्यान रहे कि जड़ में लोहा नहीं छूना चाहिए। इसे सुखाकर पीस लेते हैं। यह चूर्ण लगभग एक ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के साथ खाएं इससे श्वास रोग दूर हो जाता है।
अपामार्ग (चिरचिटा) का क्षार 0.24 ग्राम की मात्रा में पान में रखकर खाने अथवा 1 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से छाती पर जमा कफ छूटकर श्वास रोग नष्ट हो जाता है।




    

💐💐पहला सुख निरोगी काया💐💐अपने डॉक्टर खुद बने(वैद्यकीय डॉक्टर से सलाह भी ले)
=============
1 =  केवल सेंधा नमक प्रयोग करे!थायराईड बी पी और पेट ठीक होगा!
2 = केवल स्टील का कुकर ही प्रयोग करें!अल्युमिनियम में मिले हुए लेड से होने वाले नुकसानों से बचेंगे!
3 = कोई भी रिफाइंड तेल ना खाकर केवल तिल! मूंगफली सरसों और नारियल का प्रयोग करें!रिफाइंड में बहुत केमिकल होते है!जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते है!
4 = सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करे!
5 = रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है!प्रदूषित हवा बाहर करे!
6 = काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में भी अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी!
7 = देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता!
8 = ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा!
9 = ज्यादा से ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं! आयरन की कमी किसी को नहीं होगी!
10 = भोजन का समय निश्चित करे!पेट ठीक रहेगा! भोजन के बीच बात न करें!भोजन ज्यादा पोषण देगा!
11 = नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें!पोषक विटामिन और फाइबर मिलेंगे!
12 = सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें पेट ठीक रहेगा!
13 = चीनी कम से कम प्रयोग करें!ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी!
14 = चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर ले!
15 = छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करे! फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते!
16 = चाय के समय आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे!
17 = एक डस्टबिन रसोई में और एक बाहर रखें!सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें!
18 = रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों का तेल लगाएं सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें!
19 = करेले मैथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा!
20 = पानी मटके वाले से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे!
21 = प्लास्टिक और अल्युमिनियम रसोई से हटाएं दोनों केन्सर कारक है!
22‌ = माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग कैंसर कारक है!
23 = खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ पेट और दांत को खराब करती हैं!
24 = बाहर का खाना बहुत हानिकारक है!खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं!
25 = तली चीजें छोड़ें वजन पेट एसिडिटी ठीक रहेंगी!
26 = मैदा बेसन छौले राजमां और उड़द कम खाएँ गैस की समस्या से बचेंगे!
27 = अदरक अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं गैस और शरीर के दर्द कम होंगे!
28 = बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है!
29 = पानी का फिल्टर R O वाला हानिकारक है!-U V वाला ही प्रयोग करे!सस्ता भी और बढ़िया भी!
30 = रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं!इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें!
31 = रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें!सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छानने के बाद जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें!रात को पी जाएं!पेट साफ होगा कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा
32 = सुबह रसोई में चप्पल न पहनें शुद्धता भी एक्यू प्रेशर भी!
33 = रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं एसिडिटी खतम!
34 = एक्यूप्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारियां शरीर से निकल जायेंगी!
35 = चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी!
36 = रसोई के मसालों से बनी चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है!
37 = सर्दियों में नाखून के बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा!
38 = सर्दी में बाहर जाते समय 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए सर्दी से नुकसान नहीं होगा!
39 = रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी! नमक फिटकरी रख कर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा!
40 = कभी - कभी नमक - हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता!
41 = बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा!
42 = सुबह के खाने के साथ घर का जमाया देशी गाय का ताजा दही जरूर शामिल करें! प्रोबायोटिक का काम करेगा!
******************************
     हृदय की बीमारी के आयुर्वेदिक इलाज!
हमारे देश भारत मे 3000 साल पहले एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे!उनका नाम था महाऋषि वागवट जी!!

उन्होने एक पुस्तक लिखी थी!जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!-(Astang Hridayam)

इस पुस्तक मे उन्होने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे!
              यह उनमे से ही एक सूत्र है !! 

वागवट जी लिखते है!कि कभी भी हृदय को घात हो रहा है!मतलब दिल की नलियों मे Blockage होना शुरू हो रहा है तो इसका मतलब है कि रक्त (Blood) मे Acidity (अम्लता) बढ़ी हुई है! 

अम्लता आप समझते है!जिसको अँग्रेजी में Acidity भी कहते हैं और यह अम्लता दो तरह की होती है !

एक होती है पेट कि अम्लता ! 
और 
एक होती है रक्त (Blood) की अम्लता !

आपके पेट मे अम्लता जब बढ़ती है तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है!खट्टी खट्टी डकार आ रही है!मुंह से पानी निकल रहा है!और अगर ये अम्लता (Acidity) और बढ़ जाये तो इसे Hyperacidity कहते हैं!

फिर यही पेट की अम्लता बढ़ते - बढ़ते जब रक्त मे आती है!तो रक्त अम्लता-(Blood Acidity) होती है!और जब Blood मे Acidity बढ़ती है तो ये अम्लीय रक्त दिल की नलियों में से निकल नहीं पाता और नलियों में Blockage कर देता है और तभी Heart Attack होता है!इसके बिना Heart Attack नहीं होता और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है!जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं!क्योंकि इसका इलाज सबसे सरल है !! 
           एसीडिटी का इलाज क्या है!
वागबट जी आगे लिखते है कि जब रक्त (Blood) में अम्लता (Acidity) बढ़ गई है!तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करें जो क्षारीय है!

आप जानते है!दो तरह की चीजे होती है!

अम्लीय (Acidic)
और 
क्षारीय (Alkaline)

अब अम्ल और क्षार (Acid and Alkaline) को मिला दें तो क्या होता है!

हम सब जानते है!Neutral होता है!

तो वागबट जी लिखते है!कि रक्त की अम्लता बढ़ी हुई है! तो क्षारीय (Alkaline) चीजे खाओ!तो रक्त की अम्लता (Acidity) Neutral हो जाएगी और जब रक्त मे अम्लता Neutral हो गई तो Heart Attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं होगी!

ये है सारी कहानी!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो क्षारीय है! और हम खाये!

आपके रसोई घर मे ऐसी बहुत सी चीजे है जो क्षारीय है! जिन्हें अगर आप खायें तो कभी Heart Attack न आयेगा और अगर आ गया तो दुबारा नहीं आएगा!

आपके घर में जो सबसे ज्यादा क्षारीय चीज है वह है! लौकी जिसे हम दुधी भी कहते है!और English मे इसे Bottle Gourd भी कहते हैं जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है!

इससे ज्यादा कोई क्षारीय चीज ही नहीं है!इसलिये आप हर रोज़ लौकी का रस निकाल कर पियें या अगर खा सकते है!तो कच्ची लौकी खायें!

वागवतट जी के अनुसार रक्त की अम्लता कम करने की सबसे ज्यादा ताकत लौकी में ही है!इसलिए आप लौकी के रस का सेवन करें!

कितना मात्रा में सेवन करें!

रोज 200 से 300 ग्राम लौकी का रस ग्राम पियें!

कब पिये!

सुबह खाली पेट (Toilet) शौच जाने के बाद पी सकते है!या फिर नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते हैं!

इस लौकी के रस को आप और ज्यादा क्षारीय भी बना सकते हैं!जिसके लिए इसमें 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लें क्योंकि तुलसी बहुत क्षारीय है!

इसके साथ आप पुदीने के 7 से 10 पत्ते भी मिला सकते है!क्योंकि पुदीना भी बहुत क्षारीय होता है!

इसके साथ आप इसमें काला नमक या सेंधा नमक भी जरूर डाले!ये भी बहुत क्षारीय है!याद रखे नमक काला या सेंधा ही डालें दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डालें!

ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है!

तो मित्रों आप इस लौकी के जूस का सेवन जरूर करे 2 से 3 महीने आपकी सारी Heart की Blockage ठीक कर देगा!-21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा और फिर आपको कोई आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी!

घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा और आपका अनमोल शरीर और लाखों रुपए आपरेशन के बच जाएँगे और जो पैसे बच जायें उसे अगर इच्छा हो किसी गौशाला मे दान कर दें क्योंकि डाक्टर को देने से अच्छा है किसी गौशाला दान दे!

हमारी गौ माता बचेगी तो भारत बचेगा....!!
************************************
हल्दी का पानी
•~~~~~~~~•      
पानी में हल्दी मिलाकर पीने से यह 7 फायदें होते है...!!

1. गुनगुना हल्दी वाला पानी पीने से दिमाग तेज होता है! सुबह के समय हल्दी का गुनगुना पानी पीने से दिमाग तेज और उर्जावान बनता है!

2.‌ आप यदि रोज़ हल्दी का पानी पीते हैं!तो इससे खून में होने वाली गंदगी साफ होती है!और खून जमता भी नहीं है!यह खून साफ करता है!और दिल को बीमारियों से भी बचाता है!

3. लीवर की समस्या से परेशान लोगों के लिए हल्दी का पानी किसी औषधि से कम नही है!क्योंकि हल्दी का पानी टाॅक्सिस लीवर के सेल्स को फिर से ठीक करता है! इसके अलावा हल्दी और पानी के मिले हुए गुण लीवर को संक्रमण से भी बचाते हैं!

4. हार्ट की समस्या से परेशान लोगों को हल्दी वाला पानी पीना चाहिए क्योंकि हल्दी खून को गाढ़ा होने से बचाती है जिससे हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है...!!

5. जब हल्दी के पानी में शहद और नींबू मिलाया जाता है!तब यह शरीर के अंदर जमे हुए विषैले पदार्थों को निकाल देता है!जिसे पीने से शरीर पर बढ़ती हुई उम्र का असर नहीं पड़ता है!हल्दी में फ्री रेडिकल्स होते हैं जो सेहत और सौंदर्य को बढ़ाते है...!!

6. शरीर में किसी भी तरह की सूजन हो और वह किसी दवाई से ना ठीक हो रही हो तो आप हल्दी वाला पानी का सेवन करें!हल्दी में करक्यूमिन तत्व होता है!जो सूजन और जोड़ों में होने वाले असहय दर्द को ठीक कर देता है! सूजन की अचूक दवा है हल्दी का पानी!

7. कैंसर खत्म करती है हल्दी!हल्दी कैंसर से लड़ती है! और उसे बढ़ने से भी रोक देती है!क्योंकि हल्दी एंटी - कैंसर युक्त होती है!और यदि आप सप्ताह में तीन दिन हल्दी वाला पानी पीएगें तो आपको भविष्य में कैंसर से हमेशा बचे रहेगे!
🕉🕉🕉🕉🕉🕉
हमारे वेदों के अनुसार स्वस्थ रहने के १५ नियम हैं...!!

१ - खाना खाने के १.३० घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए!

२ - पानी घूँट घूँट करके पीना है!जिससे अपनी मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जा सके पेट में Acid बनता है और मुँह में छार दोनो पेट में बराबर मिल जाए तो कोई रोग पास नहीं आएगा!

३ - पानी कभी भी ठंडा (फ़्रिज़ का) नहीं पीना है!

४ - सुबह उठते ही बिना क़ुल्ला किए २ ग्लास पानी पीना चाहिए!रात भर जो अपने मुँह में लार है!वो अमूल्य है! उसको पेट में ही जाना ही  चाहिए!

५ - खाना जितने आपके मुँह में दाँत है!उतनी बार ही चबाना है!

६ - खाना ज़मीन में पलोथी मुद्रा में बैठकर या उखड़ूँ बैठकर ही खाना चाहिए!

७ - खाने के मेन्यू में एक दूसरे के विरोधी भोजन एक साथ ना करे जैसे दूध के साथ दही प्याज़ के साथ दूध दही के साथ उड़द की दlल!

८ - समुद्री नमक की जगह सेंधा नमक या काला नमक खाना चाहिए!

९ - रीफ़ाइन तेल डालडा ज़हर है!इसकी जगह अपने इलाक़े के अनुसार सरसों तिल मूँगफली या नारियल का तेल उपयोग में लाए!सोयाबीन के कोई भी प्रोडक्ट खाने में ना ले इसके प्रोडक्ट को केवल सुअर पचा सकते है! आदमी में इसके पचाने के एंज़िम नहीं बनते हैं!

१० - दोपहर के भोजन के बाद कम से कम ३० मिनट आराम करना चाहिए और शाम के भोजन बाद ५०० क़दम पैदल चलना चाहिए!

११ - घर में चीनी (शुगर) का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि चीनी को सफ़ेद करने में १७ तरह के ज़हर (केमिकल ) मिलाने पड़ते है!इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए और आज कल गुड़ बनाने में कॉस्टिक सोडा (ज़हर) मिलाकर गुड को सफ़ेद किया जाता है!इसलिए सफ़ेद गुड़ ना खाए!प्राकृतिक गुड़ ही खाये!प्राकृतिक गुड़ चाकलेट कलर का होता है!

१२ - सोते समय आपका सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए!

१३ - घर में कोई भी अलूमिनियम के बर्तन या कुकर नहीं होना चाहिए!हमारे बर्तन मिट्टी पीतल लोहा और काँसा के होने चाहिए!
 
१४ - दोपहर का भोजन ११ बजे तक अवश्य और शाम का भोजन सूर्यास्त तक हो जाना चाहिए!

१५ - सुबह भोर के समय तक आपको देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंधl नमक और ज़ीरा बिना भुना हुआ मिलाकर) पीना चाहिए!

यदि आपने ये नियम अपने जीवन में लागू कर लिए तो आपको डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और देश के ८ लाख करोड़ की बचत होगी!यदि आप बीमार है!तो ये नियमों का पालन करने से आपके शरीर के सभी रोग (BP, शुगर ) अगले ३ माह से लेकर १२ माह में ख़त्म हो जाएँगे!
*******************************************
सर्दियों में उठायें मेथी दानों से भरपूर लाभ
     ➡ मेथीदाना उष्ण वात व कफनाशक पित्तवर्धक पाचनशक्ति व बलवर्धक एवं ह्रदय के लिए हितकर है! यह पुष्टिकारक शक्ति स्फूर्तिदायक टॉनिक की तरह कार्य करता है!सुबह–शाम इसे पानी के साथ निगलने से पेट को निरोग बनाता है!कब्ज व गैस को दूर करता है!इसकी मूँग के साथ सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं!यह मधुमेह के रोगियों के लिए खूब लाभदायी है!

➡ अपनी आयु के जितने वर्ष व्यतीत हो चुके हैं!उतनी संख्या में मेथीदाने रोज धीरे–धीरे चबाना या चूसने से वृद्धावस्था में पैदा होने वाली व्याधियों जैसे घुटनों व जोड़ों का दर्द भूख न लगना हाथों का सुन्न पड़ जाना सायटिका मांसपेशियों का खिंचाव बार -बार मूत्र आना, चक्कर आना आदि में लाभ होता है!गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भुने मेथी दानों का चूर्ण आटे के साथ मिला के लड्डू बना के खाना लाभकारी है!
        मेथी दाने से शक्तिवर्धक पेय
दो चम्मच मेथीदाने एक गिलास पानी में ४ – ५ घंटे भिगोकर रखें फिर इतना उबालें कि पानी चौथाई रह जाय इसे छानकर २ चम्मच शहद मिला के पियें!
      औषधीय प्रयोग

1. कब्ज : २० ग्राम मेथीदाने को २०० ग्राम ताजे पानी में भिगो दें. ५-६ घंटे बाद मसल के पीने से मल साफ़ आने लगता है!भूख अच्छी लगने लगती है और पाचन भी ठीक होने लगता है!

2. जोड़ों का दर्द : १०० ग्राम मेथीदाने अधकच्चे भून के दरदरा कूट लें!इसमें २५ ग्राम काला नमक मिलाकर रख लें!-२ चम्मच यह मिश्रण सुबह-शाम गुनगुने पानी से फाँकने से जोड़ों कमर व घुटनों का दर्द आमवात (गठिया) का दर्द आदि में लाभ होता है!इससे पेट में गैस भी नहीं बनेगी!

3. पेट के रोगों में :१ से ३ ग्राम मेथी दानों का चूर्ण सुबह दोपहर व शाम को पानी के साथ लेने से अपच दस्त भूख न लगना अफरा दर्द आदि तकलीफों में बहुत लाभ होता है!

4. दुर्बलता : १ चम्मच मेथीदानों को घी में भून के सुबह - शाम लेने से रोगजन्य शारीरिक एवं तंत्रिका दुर्बलता दूर होती है!

5. मासिक धर्म में रुकावट : ४ चम्मच मेथीदाने १ गिलास पानी में उबालें!आधा पानी रह जाने पर छानकर गर्म–गर्म ही लेने से मासिक धर्म खुल के होने लगता है!

6. अंगों की जकड़न :भुनी मेथी के आटे में गुड़ की चाशनी मिला के लड्डू बना लें-१–१ लड्डू रोज सुबह खाने से वायु के कारण जकड़े हुए अंग १ सप्ताह में ठीक हो जाते हैं तथा हाथ–पैरों में होने वाला दर्द भी दूर होता है!

7. विशेष : सर्दियों में मेथीपाक मेथी के लड्डू मेथीदानों व मूँग–दाल की सब्जी आदि के रूप में इसका सेवन खूब लाभदायी हैं!
                 IMPORTANT
HEART ATTACK और गर्म पानी पीना!

यह भोजन के बाद गर्म पानी पीने के बारे में ही नहीं Heart Attack के बारे में भी एक अच्छा लेख है!

चीनी और जापानी अपने भोजन के बाद गर्म चाय पीते हैं!ठंडा पानी नहीं!अब हमें भी उनकी यह आदत अपना लेनी चाहिए!जो लोग भोजन के बाद ठंडा पानी पीना पसन्द करते हैं!यह लेख उनके लिए ही है!

भोजन के साथ कोई ठंडा पेय या पानी पीना बहुत हानिकारक है!क्योंकि ठंडा पानी आपके भोजन के तैलीय पदार्थों को जो आपने अभी अभी खाये हैं!ठोस रूप में बदल देता है!

इससे पाचन बहुत धीमा हो जाता है!जब यह अम्ल के साथ क्रिया करता है!तो यह टूट जाता है!और जल्दी ही यह ठोस भोजन से भी अधिक तेज़ी से आँतों द्वारा सोख लिया जाता है!यह आँतों में एकत्र हो जाता है!फिर जल्दी ही यह चरबी में बदल जाता है!और कैंसर के पैदा होने का कारण बनता है!

इसलिए सबसे अच्छा यह है!कि भोजन के बाद गर्म सूप या गुनगुना पानी पिया जाये!एक गिलास गुनगुना पानी सोने से ठीक पहले पीना चाहिए!इससे खून के थक्के नहीं बनेंगे और आप हृदयाघात से बचे रहेंगे!💐💐अपने वेद जी की सलाह जरूर ले💐डॉक्टर से भी पूछे💐💐














*100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए*
1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी ।
6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी ।
8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* ।
10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* ।
11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।
16. *अस्थमा , मधुमेह , कैंसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है ।
21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
23.  *भोजन* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
24.  *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26.  *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है ।
27.  *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
28. *वात* के असर में नींद कम आती है ।
29.  *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है ।
31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है ।
33.  *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
35.  *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए* ।
36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांति होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
41.  *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।*
46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
51. *अवसाद* में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है
52.  *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
53.  *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. *अस्थमा में नारियल दें ।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
61.  *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62.  *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।*
63.  *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए
64.  *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।*
65.  *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
66.  *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है ।
69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है
71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें
72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।*
75.  *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78. *सुबह के नाश्ते* में फल , *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए ।
79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
80.  *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।*
83. *जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।*
84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
86 .  *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
89.  *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
90. *चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।*
91.  *गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।*
92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।
93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा
94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए*।
95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*।
98 . *तेज धूप* में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त , कफ* तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।
100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा। लार* है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके ।

_*जनजागृति हेतु लेख को पढ़ने के बाद साझाअवश्य करे*







































हस्त मुद्रा चिकित्सा पद्धति क्या है ?
हमारा शरीर अनन्त रहस्योंसे भरा हुआ है एवं इस शरीरको स्वस्थ बनाए रखनेकी शक्ति हमारे शरीरमें ही ईश्वरने निहितकी है । शरीरकी अपनी एक मुद्रामयी भाषा है, जिसे सूक्ष्म ज्ञानके अभावमें हम कालान्तरमें भूल चुके हैं एवं इन्हें शास्त्रानुसार करनेसे हमें शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक तीनों स्तरपर लाभ प्राप्त होते हैं । ऋषि–मुनियोंने सहस्रों वर्षों पूर्व इस सूक्ष्म विधाको अपनी प्रज्ञाशक्तिके बलपर ढूंढ निकाला था एवं वे उसके नियमित उपयोगसे स्वस्थ रहते थे तथा हिन्दू धर्मके अनेक आचारधर्मके पालनमें इसे समाविष्ट भी किया गया था, जैसे नमस्कार, हाथसे भोजन ग्रहण करना, पैर मोडकर भिन्न प्रकारके आसन बनाकर अपनी दिनचर्याके मध्य बैठना, ये सब विशिष्ट मुद्राओंसे प्रभावित रहे हैं ।  यथार्थमें मुद्राएं शरीरमें चैतन्यको अभिव्यक्ति देनेवाली कुंजियां हैं । मुद्राओंका प्रयोग हमारे देवी-देवताओंकी मूर्तियोंमें, देवालयोंकी कलाकृतियोंमें तथा भारतीय नृत्य शैलीमें हुआ है । यहांतक कि हाथसे भोजन ग्रहण करते समय उस विशेष मुद्रासे हमें लाभ मिलता है; अतः हम हाथसे भोजन करते हैं ।
पञ्च तत्त्वोंसे बने इस शरीरके यदि इन तत्त्वोंको सन्तुलित रखा जाए तो आरोग्यता प्राप्त होती है । मात्र कुछ शतकोंसे धर्म और अध्यात्मसे दूर जानेके कारण ऐसे सभी सूक्ष्म प्राकृतिक एवं सरलतासे उपलब्ध चिकित्सा पद्धतियोंसे हम दूर हो गए हैं; किन्तु हम उनके प्रति कृतज्ञ हैं जिन्होंने ऐसी सभी चिकित्सा पद्धतियोंको कहीं न कहीं प्रचलित कर, उसे जीवित रखा है; अतः अब हम ऐसी सभी चिकित्सा पद्धतियोंको उनके विशेषज्ञोंसे सीखकर उसे अपनानेका पुनः प्रयास करेंगे । इस हेतु इन्हें सीखकर, अभ्यास करनेकी मात्र आवश्यकता है ।
हस्त मुद्राओंकी संख्या
मुद्राओंकी निश्चित संख्याको बताना थोडा कठिन है एवं शास्त्रोंमें इसका भिन्न स्थानोंपर वर्णन तथा प्रकार दिए गए हैं । मुद्राके विषयमें बतानेवाला सबसे प्राचीन ग्रन्थ घेरण्ड संहिता है । हठयोगपर आधारित इस ग्रन्थको महर्षि घेरण्डने लिखा था । घेरण्ड संहितामें २५ और हठयोग प्रदीपिकामें १० मुद्राओंका उल्लेख मिलता है; परन्तु अन्य योगके ग्रन्थोंमें भी अनेक मुद्राओंके विषयमें जानकारी दी गई है; किन्तु प्रमुखत: मुद्रा चिकित्सा पद्धतिके प्रचारक ७२ मुद्राओंका विशेष रूपसे प्रचार-प्रसार करते हैं । इनमेंसे ५० से ६० हस्त मुद्राएं अधिक प्रचलित हैं ।
हस्त मुद्रा किसप्रकार कार्य करती है ?
हस्त मुद्राओंका सम्बन्ध शरीरके स्वयं कार्य करनेवाले अंगों एवं स्नायुओंसे है । मानव शरीर पञ्च तत्त्वों अर्थात् पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाशसे मिलकर बना है । मुद्राशास्त्र अनुसार जबतक शरीरमें ये तत्त्व सन्तुलित रहते हैं, तबतक शरीर नीरोगी रहता है एवं यदि इन तत्त्वोंमें असन्तुलन हो जाए तो नाना प्रकारके रोग उत्पन्न हो जाते हैं । इन तत्त्वोंको यदि हम पुन: सन्तुलित करेंगे तो शरीर नीरोगी हो जाएगा । हस्तमुद्रा चिकित्साशास्त्र अनुसार हाथोंकी पांचों अंगुलियां पञ्च तत्वका प्रतिनिधित्व करती हैं और ब्रह्माण्डीय ऊर्जाके माध्यमसे इन तत्त्वोंको बल प्रदान करती हैं । अंगूठेमें अग्नि तत्त्व, तर्जनीमें वायु तत्त्व, मध्यमामें आकाश तत्त्व, अनामिकामें पृथ्वी तत्त्व तथा कनिष्ठामें जल तत्त्वकी ऊर्जाका केन्द्र है । इसप्रकार अंगुलियोंको आपसमें मिलाकर मुद्राएं बनाईं जाती हैं एवं भिन्न तत्त्वोंको शरीरमें सन्तुलित किया जाता है ।
एक और मतानुसार अंगुलियोंके पांचों वर्गसे भिन्न-भिन्न विद्युत धारा प्रवाहित होती हैं । इसलिए मुद्रा विज्ञानमें जब अंगुलियोंको रोगानुसार आपसी स्पर्श करते हैं, तब हमारी सूक्ष्म नाडियों एवं नसोंमें विद्युतकी अवरुद्ध धारा बहने लगती है या असन्तुलित विद्युत प्रवाह ठीक हो जाता है इससे हमारा शरीर नीरोग होने लगता है । पद्मासन, स्वस्तिकासन, सुखासन या वज्रासनमें करनेसे जिस रोगके लिए जो मुद्रा वर्णित है उसको इस भावसे करना चाहिए कि मेरा रोग ठीक हो रहा है, तब ये मुद्राएं शीघ्रतासे रोगको दूर करनेमें लग जाती हैं । मुद्रा शास्त्रमें बिना विश्वासके लाभ अधिक नहीं मिल पाता ।
हस्त मुद्रा कितने समयतक करना चाहिए ?
सामान्यतः दिनमें ४८ मिनिटतक एक मुद्राको किया जाए तो पूरा लाभ प्राप्त होता है कुछ मुद्राओंको रोगके अनुसार इससे अधिक कालतक भी किया जा सकता है एवं कुछ मुद्राओंको रोगके अनुसार या शरीरके वात, पित्त या कफ प्रकृति अनुसार न्यून या अधिक समयतक भी किया जाता है । एक बारमें यदि बताए गए समय अनुसार एक ही सत्रमें मुद्रा करना सम्भव न हो तो ८ या १६ मिनिटके सत्रोंमें इसे विभाजित कर किया जा सकता है ।
मुद्राके अभ्यासके समय किन बातोंका ध्यान रखना चाहिए ?
१. मुद्राका अभ्यास नित्य कर्म एवं स्नानादि करनेके पश्चात् करना चाहिए ।
२. जब मुद्रा बाएं हाथसे की जाती है तो शरीरका बायां भाग प्रभावित होता है एवं उसीप्रकार जब दाहिने हाथसे मुद्रा की जाती है तो वह शरीरके दाहिने भागको प्रभावित करती है; अतः शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु दोनों हाथोंसे मुद्रा करना अपेक्षित है ।
३. हस्त मुद्रा करते समय जब किसी भी अंगुलीके अग्र भागको अंगूठेका स्पर्श कराया जाता है तो उस अंगुलीसे सम्बन्धित तत्त्वमें वृद्धि होती है एवं जब अंगुलीको अंगूठेके मूल या जडमें स्पर्श किया जाता है तो उस अंगुलीसे सम्बन्धित तत्त्व घटते हैं, हस्त मुद्राका यह सिद्धान्त अति महत्त्वपूर्ण है और अभ्यासकने इसका अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए ।
४. आकाश शामक एवं अपान वायु मुद्राको छोडकर शेष सभी मुद्राओंको प्रतिदिन ४८ मिनिटतक न्यूनतम (कमसे कम) १५ दिवसतक करनेसे ही आवश्यक लाभ मिलता है ।
५. रोग अनुसार पथ्यके पालनसे मुद्रामें अधिक लाभ मिलता है ।
६. मुद्राके साथ किसी भी प्रणालीकी औषधियोंका प्रयोग किया जा सकता है ।
मुद्रा यदि रोग अनुसार किसी मुद्रा विशेषज्ञसे पूछकर किया जाए तो अधिक लाभ होता है । आपको बता दें उपासनाके आध्यात्मिक उपाय केन्द्रमें हम शारीरिक एवं मानसिक या आध्यात्मिक स्वरूपके शारीरिक और मानसिक कष्टोंके निवारण हेतु विशिष्ट मुद्राओंके विषयमें बताते हैं ।





पृथ्वी मुद्रा


पृथ्वी मुद्राको अग्नि-शामक मुद्रा भी कहते है, इस मुद्राके नियमित अभ्याससे पृथ्वी तत्त्व कि न्यूनता (कमी) पूरी होती है ।
विधि : वज्रासन, सुखासन या पद्मासनमें बैठ कर, अनामिका अंगुलीके अग्र भागसे लगाकर रखनेसे पृथ्वी मुद्रा बनती है । इस मुद्राको करते समय हाथकी शेष अंगुलियोंको सीधी रखें ! वैसे तो पृथ्वी मुद्राको किसी भी आसनमें किया जा सकता है; परन्तु इसे वज्र आसनमें करना अधिक लाभकारी है; अत: यथासम्भव इस मुद्राको वज्रासनमें बैठ कर करना चाहिए । अग्नि तत्व, शरीरके तापमान एवं चयापचयको (मेटाबोलिज्म) नियन्त्रित करता है; अत:पृथ्वी मुद्राको पृथ्वी-वर्धक मुद्रा भी कहा जाता है, यह बढे हुए अग्नि तत्त्वको घटाता है जिस कारण ज्वर, शोथ (सुजन) और दर्बलताको दूर करनेमें लाभकारी है । यह मुद्रा, पित्त –प्रधान व्यक्तिके लिए अति उत्तम मुद्रा है ।
पृथ्वी मुद्रासे होनेवाले लाभ
  • शरीरमें स्फूर्ति, कान्ति एवं तेजस्विता आती है । सात्त्विक गुणोंका विकास करती है ।
  • दुर्बल व्यक्ति मोटा बन सकता है, शरीरका भार (वजन) बढता है या शरीरकी ऊंचाई अनुसार सन्तुलित हो जाता है, जीवनी–शक्तिका विकास होता है ।
  • यह मुद्रा पाचन–तन्त्रको स्वस्थ करती है । इस मुद्राको भोजनके पश्चात् १६ मिनिट तक किया जा सकता है, ऐसा करनेसे पाचन क्रियासे सम्बन्धित रोग दूर होते हैं ।
  • सभी प्रकारके विटामिनोंकी ‘कमी’को दूर करती है ।
  • पृथ्वी मुद्राके अभ्याससे नेत्र, कान, नाक और गलेके समस्त रोग दूर हो जाते हैं । पृथ्वी मुद्रा करनेसे कंठ सुरीला हो जाता है । गलेमें बार-बार खराश होना, गलेमें वेदना रहना जैसे रोगोंमें बहुत लाभ मिलता है ।
  • पृथ्वी मुद्राको प्रतिदिन करनेसे महिलाओंके सौन्दर्यमें वृद्धि होती है, मुखपर जो भी दाग – धब्बे होते हैं, वे इसके नियमित अभ्याससे दूर होते है एवं सम्पूर्ण शरीर कान्तिमय हो जाता है । चर्मरोगके लिए विशेष कर सूखी त्वचाके लिए उपयुक्त है, यह मुद्रा त्वचामें जलनका नाश करती है ।
  • शरीरमें ठोस तत्त्व और तेलकी मात्रा बढाने केलिए पृथ्वी मुद्रा सर्वोत्तम है ।
  • केशसे सम्बन्धित सर्व समस्याओंको दूर करनेमें यह मुद्रा अत्यन्त लाभप्रद है । जिनके केश अल्पायुमें पकने आरम्भ हुए हों, वे यदि कुछ माह इस मुद्राका नियमित अभ्यास करें तो केश पुनः काले हो जाते हैं ।
  • अस्थि-भंग (हड्डियोंके टूटनेपर) होनेपर यह मुद्रा करनेसे अस्थियां शीघ्र जुडती है । अस्थिसंधिशोथमें (ओस्टीयोअरिथ्रायटिस) यह मुद्रा लाभकारी है ।
  • जिन्हें शीघ्र थकावट हो जाती है, उनके लिए भी यह मुद्रा लाभकारी है ।
आध्यत्मिक लाभ : हस्त मुद्राओंमें पृथ्वी मुद्राका अत्यधिक महत्त्व है, यह हमारे भीतर पृथ्वी तत्त्वको संतुलित या जागृत करती है । पृथ्वी मुद्राके अभ्याससे मनमें वैराग्य भाव उत्त्पन्न होता है । जिस प्रकारसे पृथ्वी मां, प्रत्येक स्थिति जैसे –‘सर्दी’, ‘गर्मी’, वर्षा आदिको सहन करती है एवं प्राणियोंद्वारा मलमूत्र आदिसे स्वयं अस्वच होनेपर भी उन्हें क्षमा कर देती है, वैसे ही करुणा, प्रसन्नता, क्षमा, धैर्य एवं स्थिरता जैसे दिव्य गुण, इस मुद्राके नियमित अभ्यासमें आत्मसात् होते हैं ।
वैसे किसी भी समय एवं कहीं भी इस मुद्राको कर सकते हैं । इस मुद्राको ४५ मिनिटसे अधिक समय भी किया जा सकता है । किसी रोगके निवारण हेतु इसे नियमित ४५ मिनिट करना आवश्यक है । यह मुद्रा प्रात:काल ६ से १० बजेके मध्य करनेसे अधिक अच्छे परिणाम आते हैं ।
सावधानी – कफप्रधान लोगोंने इस मुद्राको सयंमित रूपसे करना चाहिए या मुद्रा विशेषज्ञसे पूछ कर करना चाहिए । – उमादत्त शर्मा 



मिट्टीके बर्तनमें भोजन पकानेसे भोजनके सर्व पोषक तत्त्वोंका सुरक्षित रहना



पुरातन कालसे हमारे यहां मिट्टीके पात्रोंका उपयोग होता आया है । कुछ वर्षो पूर्वतक भी गांवमें अनेक घरोंमें मिट्टीके बर्तन उपयोगमें लिए जाते थे । घरोंमें दाल पकाने, दूध ‘गर्म’ करने, दही जमाने, चावल बनाने और आचार रखनेके लिए मिट्टीके बर्तनोंका उपयोग होता रहा है । मिट्टीके बर्तनमें जो भोजन पकता है, उसमें सूक्ष्म पोषक तत्त्वोंकी (Micronutrients) न्यूनता नहीं होती है, जबकि ‘प्रेशर कूकर’ व अन्य बर्तनोंमें भोजन पकानेसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वोंका प्रमाण घट जाता है, जिससे हमारे भोजनकी पौष्टिकता न्यून हो जाती है । भोजन धीरे-धीरे पकाना चाहिए तभी वह पौष्टिक और स्वादिष्ट पकता है एवं उसके सूक्ष्म पोषक तत्त्व सुरक्षित रहते हैं तथा उस भोजनके पकने हेतु आवश्यक अग्नि एवं जल तत्त्व, भोज्य पदार्थमें सरलतासे समाविष्ट होते हैं, जो ‘प्रेशर कूकर’में या सूक्ष्म तरंगीय भट्टीमें (माइक्रोवेव) बनानेसे नहीं होता है । आधुनिक शोधोंके अनुसार ‘एल्युमिनियम’के ‘प्रेशर कूकर’में भोजन बनानेसे ८७% पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं एवं रूसी शोधकर्ताओने सूक्ष्म तरंगीय चूल्हेमें (माइक्रोवेव) पके सभी भोज्य पदार्थोंमें ६० से ९०% तक पोषक तत्त्वको नष्ट हुआ पाया है । मिट्टीके बर्तनोंके उपयोगसे भोजनके अन्दर १००% पोषक तत्त्व मिलते हैं । मिट्टीके बर्तनमें बनी दालको भारत सरकारद्वारा ‘केन्द्रीय औषध अनुसन्धान संस्थान’की (Central Drug Research Instititue) प्रयोगशालामें कराए गए परीक्षणोंसे यह बात कई बार पुष्ट हो चुकी है । कांसेके बर्तनोंमें जो भोजन बनता है, उसमें ९७% पोषक तत्त्व विद्यमान रहते हैं । पीतलके बर्तनमें बननेवाले भोजनमें ९३% पोषक तत्त्व विद्यमान रहते हैं । यह सभी तथ्य CDRI की प्रयोगशालासे प्रमाणित हैं । हमारे शरीरको प्रतिदिन १८ प्रकारके सूक्ष्म पोषक तत्त्व चाहिए, जो मिट्टीसे ही आते हैं, जैसे – आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सल्फर, पोटेशियम, ताम्र (कॉपर) आदि । मिट्टीके इन्हीं गुणों और पवित्रताके कारण हमारे यहां पुरीके मन्दिरोंके (उडीसा) साथ ही अन्य कई मन्दिरोंमें आज भी मिट्टीके पात्रोंमें प्रसाद बनता है ।



विरुद्ध आहार (भाग -२)



जिस प्रकार पौष्टिक आहार खानेसे स्वास्थ्य की रक्षा होती है और रोग दूर होते हैं उसीप्रकार कुपौष्टिक आहार खानेसे अनेक प्रकारके रोगोंका बुरा प्रभाव हमारे शरीरपर पडता है ।  प्रकृतिमें कुछखाद्य पदार्थ ऎसे होते है जो रोगोंका कारण होती है । और कुछ पदार्थ ऎसे होते है जो अनेक गुणोंका खान होते हैं । जिसके सेवनसे शरीर स्वस्थ रहता  है; परन्तु जब इन्हीं गुणकारी खाद्य पदार्थोंका सेवन किसी और खाद्य पदार्थमें मिलाकर किया जाए तो इससे हमारे शरीरको हानि होता है और अनेक प्रकारके रोग उत्पन्न हो जाते हैं । ये विरुद्ध आहार कहलाते हैं । विरुद्धहारका लगातार सेवन करनेसे शरीरपर धीरे – धीरे कुप्रभाव पडता है और शरीर रोग्रस्त हो जाता है त आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ विरुद्ध आहारके विषयमें – दूधके साथ दही , मूली , मूलीके पत्ते , खट्टे पदार्थ,  नमक , कच्चे सलाद , इमली, खरबूजा, बेलफल, नारियल, आंवला , निम्बू, मौसंबी या संतरेका रस, जामुन कैथ , कुल्थी, तिलकुट , गलगल(तोरई), अनार, सत्तू , अन्य प्रकारके खट्टे फल आदिका सेवन स्वास्थ्यके लिए हानिकारक होता है

विरुद्ध आहार लेना स्वास्थ्यके लिए हानिकारक हो सकता है, इसे लेना टालें ! (भाग – १)


आजकल अनेक लोग जब भिन्न प्रकारके व्यंजन बनाते हैं तो उसे बनाते समय कुछ बडी चूकें करते हैं, जैसे मैंने देखा है कि कुछ लोग तरकारी या पनीरके भिन्न प्रकारके व्यंजन बनाते समय उसमें दूध डालते हैं, दूध और नमक, यह आयुर्वेद अनुसार विरुद्ध आहार है, इसे एक साथ कभी नहीं बनाना या ग्रहण करना चाहिए, इससे चर्म रोग होनेकी संभावनाएं होती हैं ! पनीरमें नमक डाल सकते हैं; क्योंकि पनीर दूधको फाडकर (उसके मूल स्वरूपको बिगाडकर) बनता है; अतः वह तमोगुणी होता है; इसलिए उसमें नमक डाल सकते हैं ! पनीर तमोगुणी होनेके कारण पहले सम्पूर्ण भारतमें इसका प्रचलन नहीं था; किन्तु आजकल तमोगुणी बातें ही प्रचलनमें हैं; इसलिए अब इसका व्यंजन परोसना प्रतिष्ठासे जोडकर देखा जाने लगा है !
कुछ विरुद्ध आहारकी सूची इसप्रकार है –
* दूध और कटहलका कभी भी एक साथ सेवन नहीं करना चाहिए ।
* दूध और कुलत्थी भी कभी एक साथ नहीं लेना चाहिए ।
* दूध और सभी प्रकारकी खटाइयां, दूध और मूंगफली, दूध और मछली  एक साथ प्रयोग न करें ।
* शहद और घी समान परिणाममें मिलाकर लेना विषके समान है ।































   
लेख • गोल्डन फंड • इंटरव्यू

सूजन, दर्द और मांसपेशियों में अकड़न: "चोक" हो चुकी नसों के 3 वफ़ादार साथी। इनसे घर बैठे कैसे राहत पाएँ?

कौन है कॉलेस्ट्रोल और थ्रोम्बी का जानी दुश्मन और खून की नसों का सबसे वफ़ादार साथी?
सुधीर पांडे
24.11.2020
क्या शाम को आपके पैरों में सूजन आ जाती है? क्या आपके पैरों के तलवे सूज गए हैं, पैर फूले रहते हैं और आपकी एड़ियों पर निशान आ गए हैं? इसका अर्थ है कि आपको वैस्क्यूलर एडिमा है - इसमें कमजोर और चोक हो चुकी रक्त की धमनियों के चारों ओर रहने वाला तरल पदार्थ उनके अंदर प्रवेश कर जाता है। एडिमा से मांसपेशियों में दर्द होता है और वे अकड़ जाती हैं - यह रक्त के प्रवाह में बाधा पड़ने के कारण होता है।
यह सब जानते हैं कि रक्त की धमनियों के कॉलेस्ट्रोल से चोक हो जाने के कारण ही लकवा और हार्ट अटैक की बीमारी होती है। ये सभी हृदय रोग हैं। लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि समस्या इससे कहीं गहरी होती है। "चोक हो चुकी" नसें 10 में से 9 ऐसी लंबी पकड़ लेने वाली बीमारियों की जड़ होती हैं जिन्हें लाइलाज समझा जाता है।
सरदर्द, ब्लड प्रेशर ऊपर-नीचे होना। आपके जोड़ों में दर्द होता है और आप अपनी गर्दन या जोड़ों को बड़ी मुश्किल से ही घुमा पाते हैं। शाम को आपके पैरों में सूजन आ जाती है और सुबह आपका चेहरा फूल जाता है। आपको कानों में घंटियों की आवाज सुनाई देती है। आपकी उंगलियां सुन्न सी महसूस होती है और हाथ और पैर ठंडे लगते हैं। आपकी नज़र का पैनापन कम हो जाता है। मेमोरी भी खराब होने लगती है। आपके पास किसी भी चीज के लिए ऊर्जा नहीं बचती। कई लोग कहते हैं कि यह सब तो बुढ़ापे की निशानी होते हैं लेकिन यह बात सच नहीं है।
  • रक्त की धमनियाँ आपके 90% स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार क्यों होती हैं?
  • कॉलेस्ट्रोल के अलावा रक्त की धमनियों की दीवारों पर और क्या जमा होता है?
  • अस्वस्थ रक्त की धमनियों के चार प्रत्यक्ष और सात छिपे हुए लक्षण
  • क्या आप धमनियों को घर पर ही साफ कर सकते हैं?
हमें इन प्रश्नों के उत्तर यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसन एंड फार्मेसी, मुंबई में वैस्कुलर सर्जरी के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट, प्रोफेसर, न्यूरो सर्जन, डॉक्टर प्रसाद अय्यर जी ने दिए।
श्री अय्यर ने दिमाग की हजारों ओपन सर्जरी की हैं। उनका सबसे कम उम्र का पेशेंट सिर्फ 2 दिन का था।
श्री अय्यर के पास जटिल प्रक्रियाओं को भी आसान शब्दों में समझाने का हुनर है। उन्होंने मेडिकल साइंस से अनभिज्ञ लोगों के लिए 47 किताबें और स्टडी गाइड लिखी हैं। उन्हें इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि रक्त की धमनियाँ ही हमारे 90% स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार होती हैं, हमारा स्वास्थ्य और जिजीविषा इस बात पर निर्भर करती है कि ये कितनी साफ हैं।

रक्त की धमनियाँ हमारे 90% स्वास्थ्य के लिए क्यों जिम्मेदार होती हैं?

अय्यर जी आपने कई मौकों पर कहा है कि रक्त की धमनियाँ ही मानव शरीर के 90% स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार होती हैं। ऐसा क्यों है?

मानव शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग कौन सा है? बहुत कम ही लोग इसका उत्तर जानते हैं। यहां तक कि जिन लोगों ने मेडिकल साइंस की पढ़ाई की है वे भी इसका गलत जवाब देते हैं। ये दिमाग या लिवर का नाम लेते हैं। अधिक जानकार लोग कहते हैं कि यह हमारी त्वचा है। वास्तव में सबसे बड़ा अंग हमारा वैस्कुलर सिस्टम है।

हम 1 आदमी की धमनियों को
पूरी पृथ्वी को 2.5 बार लपेट सकते हैं।

जरा कल्पना कीजिए। यदि हमने किसी आदमी के शरीर से सभी धमनियाँ अलग करके उन्हें एक दूसरे से जोड़ दिया तो हमें एक ऐसी रस्सी मिलेगी जो करीब एक लाख किलोमीटर लंबाई की होगी।
आसान शब्दों में कहें तो- भूमध्य रेखा की लंबाई 40 हजार किलोमीटर है। इसलिए, एक आदमी की धमनियों से बनी रस्सी से हम पृथ्वी को 2.5 बार लपेट सकते हैं।
आप इस संख्या के बारे में क्या सोचते हैं?
धमनियाँं केवल ऐसी नालियाँ भर नहीं है जिनमें रक्त बहता है। यह बहुत ही अनोखा और जटिल अंग है और इसमें कोई भी विकार होने से तुरंत बीमारी के लक्षण उभरने लगते हैं।
पैरों की नसों का चोक हो जाना - वेरीकोज नसें, सूजन, पैरों में भारीपन, पैर जाम हो जाना या - तलवों में बहुत जलन होना। एढ़ियाँ फट जाना। रक्त प्रवाह में बाधा - बैक्टीरिया से कोई बचाव नहीं होता, मायकोसिस होने लगती है। नाखून मोटे होने लगते हैं और चमड़ी के अंदर बढ़ने लगते हैं।
लीवर को रक्त की सप्लाई करने वाली धमनियाँं कमजोर हो जाती हैं - हैपेटिक स्टीटोसिस। आप जैसे ही कोई वसा वाले खाने खाते हैं तो मुंह में कड़वा स्वाद आने लगता है।
जोड़ों की धमनियाँ कमजोर हो जाती हैं और चोक होने लगती हैं - जोड़ों की हड्डियां सूख जाती हैं। जोड़ों में दर्द करने लगता है और आपको ओस्टियोनकोंड्रोसिस, हर्निया हो जाते हैं।
हाथों की नसों की लचक चली जाती है - हेमरॉयडल गांठे उभरने लगती हैं।
आंखों की नसें - नज़र खराब होने लगती है और मोतियाबिंद आने लगता है। आंखें लाल रहती हैं और हम समझते हैं कि यह थकान के कारण हो रहा है जबकि इसके पीछे होता है माइक्रोहेमरेज, इसमें आंखों के पीछे की छोटी-छोटी नसें फट जाती हैं।
मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में बाधा - चक्कर आना, कान में आवाज सुनाई देना और मेमोरी चली जाना। क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि आप किचन में कुछ लेने जाते हैं और याद ही नहीं रहता कि किस लिए आए थे? या फिर आपको कभी शब्द याद ही नहीं आते। ये सब इसके लक्षण है कि दिमाग की नसें खराब होने लगी है।
और हाई ब्लड प्रेशर भी इस लिस्ट में जुड़ जाता है। हाई ब्लड प्रेशर ही लकवे का कारण होता है और हार्ट अटैक लाने में भी इसका योगदान होता है।
रक्त की धमनियाँ हमारी पावर सप्लाई हैं, हमारी जिंदगी इनमें ही बहती है। यदि यह महत्वपूर्ण रास्ता बंद हो जाता है तो जिंदगी भी बंद हो जाती है।
"चोक हो चुकी नालियाँ" - सभी अंगों की भूख।
मोटापे का रक्त की धमनियों से सीधा नाता है। कॉलेस्ट्रोल से चोक हो चुकी धमनियों से अंग भूखे रह जाते हैं, उन तक पोषक पदार्थों की आवश्यक मात्रा नहीं पहुंच पाती। दिमाग शरीर में यह संदेश भेजता है कि "आपको खाना खाना है"। और आदमी खाना खाने लगता है। लेकिन शरीर के अंगों को फिर भी उचित मात्रा में पोषक पदार्थ नहीं मिलते क्योंकि आपकी धमनियाँं तो चोक हो चुकी होती हैं। दिमाग फिर से यही सिग्नल भेजता है कि आपको खाना खाना है और यह चीज बार-बार ऐसे ही होती जाती है।
और इसी कारण कई लोगों को हमेशा कुछ ना कुछ खाने की इच्छा होती रहती है, आपको मिठाई या तली चीजों की भूख भी यहीं से आती है - शरीर कैलोरी मांगने लगता है।
जब मेरे साथ के डॉक्टर मरीजों को समझाते हैं: "आपका हाई ब्लड प्रेशर मोटापे के कारण है", तो लोग समझ ही नहीं पाते कि आखिर रोग की जड़ क्या है। हाई ब्लड प्रेशर मोटापे के कारण नहीं होता है, मोटापा हाई ब्लड प्रेशर के कारण होता है।
कहावत है "स्वास्थ्य अच्छा तो सब अच्छा", और इसमें यह भी जोड़ा जा सकता है कि: "साफ धमनियों के बिना अच्छा स्वास्थ्य असंभव है।"
इसलिए मैं लगातार यही कहता हूँ: यदि आपको सामान्य जीवन चाहिए तो आपको अपनी धमनियाँ साफ और स्वस्थ बनाना ही होगा। साफ धमनियों से आप 90% लंबी बीमारियों से बच सकते हैं, जिनमें से अधिकतर को "लाइलाज" माना जाता है।

कॉलेस्ट्रोल के अलावा धमनियों को क्या चोक करता है?

हम सब जानते हैं कि कॉलेस्ट्रोल कितना खतरनाक होता है। ये धमनियों को चोक कर देता है, उन्हें संकरा कर देता है और रक्त प्रवाह को बाधित करता है। लेकिन ये सिर्फ कॉलेस्ट्रोल के कारण नहीं होता है।

6.1 किग्रा
- 50 की उम्र तक धमनियों में जम चुके अपशिष्ट पदार्थों का कुल वजन।

कॉलेस्ट्रोल
यह सच है। धमनियों के अपशिष्ट में 65-70% कॉलेस्ट्रोल या "एथेरोस्क्लेरोटीक प्लाक़" ही होते हैं।
50 की उम्र तक, शरीर की नसों में 5 किलो तक कॉलेस्ट्रोल की पपड़ी जम जाती है। कॉलेस्ट्रोल के जमने से नसों की दीवार 4-5 गुना संकरी हो जाती है।
जरा सोचिए। यदि नस के अंदर का व्यास एक उंगली के बराबर हो तो 5 किलो कॉलेस्ट्रोल की पपड़ी उसे 4 माचिस की तीलियो के बराबर जगह जितना संकरा कर देती है।
ये पपड़ी जान के लिए खतरा नहीं होतीं। ज़िंदगी की गुणवत्ता खराब होने लगती है, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, सरदर्द, पीठ में दर्द, कमजोरी और चिड़चिड़ापन आने लगते हैं। नसों में जमने वाले थ्रोम्बी के थक्के इससे कहीं ज़्यादा खतरनाक होते हैं।
थ्रोम्बी का थक्का
नसों में जम चुके थ्रोम्बी का वजन काफी कम होता है, "केवल" 800 ग्राम - 1 किलो तक। लेकिन इनकी सबसे खतरनाक चीज होती है इनकी अस्थिरता। ये थ्रोम्बस (रक्त के थक्के) कभी भी टूट सकते हैं और फिर ये कहर ढा देते हैं।
एक बड़ा रक्त का थक्का रक्त की धमनी को पूरी तरह से चोक कर सकता है। इससे इस्कीमिया हो जाता है - अंग को इस धमनी से खून की आपूर्ति बंद हो जाती है।
इस्कीमिक स्ट्रोक - दिमाग की नस चोक हो जाना। हार्टअटैक - हृदय की नसों में रुकावट। लिवर का इस्कीमिया, फेंफड़े खराब हो जाना, किडनी पर ज़ोर पड़ना। बवासीर और कुछ नहीं गुदा का इस्कीमिया होते हैं। पैरों की छोटी नस में रुकावट से आगे चलकर नेक्रोसिस - या गैंगरीन हो जाता है।
कैल्सियम लवण
नसों में कैल्सियम लवण - दवाओं और फूड सप्लिमेंट के रासायनिक अवशेष। 50 साल में शरीर में करीब 300-400 ग्राम कैल्शियम लवण जमा हो जाते हैं। कैल्सियम लवण की सबसे ज़्यादा मात्रा दिमाग की नसों में जमा होती है।
अपनी क्रिस्टल जैसी संरचना के कारण कैल्शियम लवण खतरनाक होते हैं। ये तुरंत धमनी को संकरा कर देते हैं जिससे वे अकड़ने लगती हैं। तनाव, शारीरिक मेहनत या मौसम के कारण कैल्शियम के पैने क्रिस्टल धमनियों की दीवार को तोड़ सकते हैं। दिमाग की नस के फट जाने को ही हेमोरेजिक स्ट्रोक कहते हैं।

अस्वस्थ धमनियों के चार प्रत्यक्ष और सात छिपे हुए लक्षण

ऐसे कौन से लक्षण हैं जो यह दर्शाते हैं कि हमारी धमनियाँ चोक हो गई हैं? जब आपका शरीर यह संदेश दे रहा हो कि " अपनी रक्त की धमनियों को तुरंत साफ करो!", तो इसे कैसे समझें?

यदि आप 45 से ऊपर के हैं और धमनियों को साफ करने के लिए आपने कभी भी न्यूट्रास्यूटिकल्स नहीं लिए हैं तो मैं गारंटी देता हूं कि आपको धमनियों में दिक्कत आने वाली है।

45
की उम्र ही वह पड़ाव है जिस पर धमनियों को साफ करना जरूरी होता है

धमनियों का कॉलेस्ट्रोल और रक्त के थक्के से चुप हो जाना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो उम्र के बढ़ने के साथ होती ही है। आधुनिक जमाने का खाना, दवाएँ, धूम्रपान और शराब पीने से इनका जमना 5-8 गुना तेज हो जाता है। यह एक कड़वी सच्चाई है जिससे मुंह नहीं फेरा जा सकता।

धमनियों में अपशिष्ट जमने के मुख्य लक्षण

यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो इसे पढ़ना बंद कर दें क्योंकि यही धमनियों की बीमारियों का सबसे बड़ा लक्षण है।
क्या आपका ब्लड प्रेशर स्थिर नहीं रहता है? ब्लड प्रेशर दवाइयां लेने के बाद लगातार बढ़ा रहता है? यदि ऐसा है तो आपको यह जान लेना चाहिए कि आपकी धमनियों में केवल 30% खाली जगह बची है। बाकी की जगह में कॉलेस्ट्रोल की पपड़ी, रक्त के थक्के, थ्रोम्बी और कैल्शियम लवण जमा हो चुके हैं।
इसलिए, थोड़ा भी तनाव होने, मौसम में बदलाव होने, या मैग्नेटिक फील्ड के अत्यधिक बढ़ जाने के कारण भी आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। आपका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और आपको ऐसा लगता है मानो सिर में हथौड़े चल रहे हो और जोड़ों में दर्द होने लगता है।

चोक हो चुकी धमनियों के कारण होने वाली चार बीमारियां:

  • 1. हाई ब्लड प्रेशरबढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर जिसे आप को दवा लेकर कम करना पड़ता है। यह इसका मुख्य लक्षण है। क्या आपको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत है? आपकी धमनियाँ सफाई का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं!
  • 2. वेरीकोज़ नसेंपैरों पर बदसूरत और सूजी हुई नसें दिखना,भारीपन और दर्द होना,सूजन आ जाना। कॉलेस्ट्रोल और रक्त के थक्कों के टुकड़े नसों के वाल्व बंद कर देते हैं। त्वचा के ऊपर से धमनियों का "तारों" जैसा आकार दिखना शुरू हो जाता है जो समय के साथ एक पूरा "जाल" बन जाता है। वेरीकोज़ नसें ऐसे ही शुरू होती हैं।
  • 3. हेमरॉयड्सगोदा में रक्त की नसों के चोक हो जाने के कारण हेमरॉयडल गठानों में दाह उत्पन्न होता है। रक्त की धमनियों में पपड़ी जम जाने के कारण फिशर भी होता है।
  • 4. ऑस्टियोकॉन्ड्रिटिसजोड़ों में ठीक से रक्त का प्रवाह नहीं होना। इससे जोड़ कड़े हो जाते हैं और घिसने लगते हैं क्योंकि उन्हें वापस ठीक होने का समय ही नहीं मिलता। जोड़ वापस ठीक नहीं होते और सूख जाते हैं। इनका गद्दे जैसा प्रभाव कम पड़ जाता है। लवण बहते नहीं है और अनियंत्रित रूप से जमा होते चले जाते हैं।

7 छिपे हुए लक्षण:

  • 1. एडिमाचोक हो चुकी नसें खून को पंप नहीं कर पाती हैं। नमक और पानी का मेटाबॉलिज्म खराब हो जाता है। शाम को पैरों में सूजन आ जाती है और एड़ियों पर मोजों के गहरे निशान पड़ जाते हैं। सूजा हुआ चेहरा, आंखों के नीचे सूजन। आप अपनी उंगलियों में से अंगूठी नहीं उतार पाते हैं। फूला हुआ पेट भी यही दर्शाता है कि आप के अंदरूनी अंगों में सूजन आ गई है।
  • 2. कानों में आवाज आनाकानों में हल्की से लेकर तेज आवाजें तक आ सकती हैं जिनसे आपको ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होती है। यह दिमाग की नसों में दबाव बढ़ जाने के कारण होता है जिससे कान के पर्दे दबने लगते हैं।
  • 3. चक्कर आनाऐसा महसूस होना मानो नशा किया हो, कई बार अचानक सर घूमने लगना यही दर्शाता है कि धमनियों की प्रणाली भूख से परेशान है। इसके कारण कई बार सुनने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
  • 4. अनिद्राआपको दिन भर नींद आती रहती है और ऊर्जा की कमी महसूस होती है, लेकिन आप आधी रात के पहले सो भी नहीं पाते? इसलिए होता है क्योंकि पीयूष ग्रंथि में पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती। ग्रंथि मेलाटोनिन बनाना बंद कर देती है - मेलाटोनिन ही नींद का हार्मोन होता है।
  • 5. ऊर्जा में कमीआपको कमजोरी महसूस होती है। आपको कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती। आपको बस ऐसा लगता है कि बिस्तर में पड़े रहो और खाते रहो। यह तब होता है जब शरीर ऊर्जा बचाने लगता है। चोक हो चुकी नसें अंगों के लिए आवश्यक भोजन का परिवहन नहीं करने देती जिससे शरीर अपनी क्रियाओं को धीमा कर देता है ताकि मृत्यु ना हो।
  • 6. नज़र कमजोर होने लगनाआंखों के सामने तारे दिखना, धब्बे नज़र आना, नज़र में धुंधलापन। आंखों की नसों में गड़बड़ियों के लक्षण
  • 7. जोड़ों में दर्दमौसम के बदलने पर जोड़ों में दर्द होना। अच्छी नींद होने के बाद भी सुबह सोकर उठने पर आपको ऐसा लगता है मानो हाथ पर जम गए हो, एढ़ियों में दर्द होता है। आपको सुन्न पड़ चुके हाथ-पैर वापस ठीक करने में थोड़ा समय लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर के सिनोवियल फ्लूड के गुणधर्म नष्ट हो जाते हैं।
क्या आपको भी इनमें से कोई लक्षण है? आपके जोड़ आपको बता रहे हैं कि उन्हें सफाई और भोजन की जरूरत है।
कई बार, लोगों को अलग-अलग तीव्रता में कई लक्षण एक साथ होते हैं। ऐसा भी होता है कि यह सारे लक्षण एक साथ दिख जाएं।
इससे परेशान लोग हर बीमारी को अलग-अलग ठीक करने की कोशिश करते हैं। हाई ब्लड प्रेशर की दवाइयां, वेरीकोज नसों के लिए क्रीमें, हेमरॉयड्स के लिए दवाएं, ओस्टियोकांड्रोसिस के लिए जैल। और, लगभग सभी लोग दर्दनाशक दवाएं तो लेते ही हैं...
ऐसे लोग सिर्फ दवा कंपनियों की जेब में ढेरों पैसे भरते हैं। लेकिन धमनियों की सभी बीमारियों का केवल एक ही कारण होता है - रुकावट। इलाज की शुरुआत यहीं से करनी चाहिए और सबसे पहले धमनियों की सफाई होनी चाहिए।

आपको अपनी धमनियों में से कोलेस्ट्रॉल, रक्त के थक्के और पपड़ी की सफाई करने के लिए क्या उपयोग करना चाहिए?

कृपया हमें प्रोफेशनल सलाह दें। जैसे: सुनीता ओसवाल, नागपुर, 57 वर्ष, शादीशुदा हैं, उनका वजन ज्यादा है, उन्हें ब्लड प्रेशर और वेरीकोज नसों की भी शिकायत है। जब भी मौसम बदलता है उनका शरीर भी मानो बैरोमीटर के हिसाब से बदलने लग जाता है - जोड़ों में दर्द, कमजोर और दिन भर नींद आना, सरदर्द।

हम सुनीता जी की मदद कैसे कर सकते हैं? सुनीता अपनी नसों की सफाई कैसे कर सकती हैं, वे डॉक्टर के पास जाकर यह फैसला भी नहीं सुनना चाहतीं कि: " आपको वजन कम करने की जरूरत है"," आपको दौड़ना होगा"," आपको अच्छा खाना खाना होगा", आपकी उम्र वैसे भी ज़्यादा...", आदि?

अधिकतर मेडिसिनल और फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट कोई असर नहीं करते हैं लेकिन आपका पैसा खर्च करवा कर आपको दिवालिया जरूर बना सकते हैं और इनकी लत भी लग जाती है।
दुर्भाग्य से भारत में डॉक्टर और अस्पताल ऐसे ही काम करते हैं। यह बात समझ में आती है कि आखिर क्यों मरीज़ डॉक्टरों के पास नहीं जाना चाहते। लेकिन सुनीता खुद ही मैनेज कर लेंगी।
मैं सिर्फ एक ऐसे प्रोडक्ट का नाम ले सकती हूं जो धमनियों की सुरक्षित रूप से सफाई कर सकता है - यह है न्यूट्रास्यूटिकल Cardiovax. Cardiovax से 11-17 साल उम्र बढ़ जाती है, ऊर्जा मिलती है और राहत का अहसास होता है, आपको दर्द और दिक्कतों से छुटकारा मिल जाता है और यह आप की ऊर्जा नहीं पी पाते।
इससे कोई नुकसान नहीं होता, क्योंकि यह एक हर्बल चाय है, यह धमनियों की ऑपरेशन द्वारा सफाई करने के बाद Cardiovax
Cardiovax पौधों के तत्वों का एक मिश्रण है, जो पानी के संपर्क में आने पर जीवित अणुओं को सक्रिय कर देता है। इनसे धमनियों का कोलेस्ट्रॉल दूर हो जाता है, दीवारों पर चिपके रक्त के थक्के, कैल्शियम की पपड़ी, दवाइयों के अपशिष्ट आदि भी बह जाते हैं। ये सभी चीजें ही रक्त प्रवाह में बाधा डालती है।
कई सालों से जमा अपशिष्ट जो आपके शरीर को विषैला कर रहा होता है Cardiovax से केवल 1.5-2 महीनों के इलाज में ही बह जाता है।
केवल 6 महीने में, Cardiovax 4 किलो कॉलेस्ट्रोल की पपड़ी हो घोलकर दूर कर देती है। यह 900 ग्राम से लेकर 1 किलो तक रक्त के थक्के नरम करके 350 से 400 ग्राम कैलशियम क्लोराइड भी बहा देती है।
इससे, सरदर्द और कानों में आने वाली आवाज भी चले जाते हैं। दिमाग को पर्याप्त भोजन मिलने लगता है और वह सुपर कंप्यूटर की गति से काम करने लगता है। दिमाग की सोच साफ होने लगती है।
संवेदनाएं तीव्र हो जाती हैं, आपको अच्छी आवाज सुनाई देने लगती हैं जो आपने पहले कभी नहीं सुनी थीं। सुनने की क्षमता भी बेहतर हो जाती है, अब आप दूसरे कमरे में चल रही बातचीत को भी सुन सकते हैं।
सूंघने की क्षमता में नए रंग आ जाते हैं। नाक का बंद होना खत्म हो जाता है, हमेशा सर्दी बने रहना और एलर्जी भी चले जाते हैं। ब्रोंकिया सीधी हो जाती है। सांस बिल्कुल आसान और मुक्त हो जाती है। ताजी हवा भरकर पूरे शरीर में फैल जाती है और अच्छा अहसास देती है, इससे मूड बहुत अच्छा हो जाता है।
स्वाद तीव्र और गहरा हो जाता है। सामान्य खाने में भी बहुत स्वाद का एहसास होता है। आप कम खाते हैं लेकिन पेट जल्दी भर जाता है। मीठी और तली चीजों को खाने की इच्छा कम हो जाती है।
आपके जोड़ आपका धन्यवाद देने लगते हैं। इनमें दर्द होना बंद हो जाता है। अब यह चटकने नहीं है क्योंकि जोड़ों का लुब्रिकेंट तरल वापस आ जाता है और ये अच्छे से चलने लगते हैं। यह ठीक उसी तरह है जब किसी कार के इंजन ऑयल को बदला जाता है, मेटल के टुकड़ों वाले काले हो चुके पुराने तेल की जगह नया साफ तेल भर देने पर अच्छी चिकनाई आ जाती है।

बहुत ही असरदार। सच कहूं तो, मैंने इससे पहले कभी Cardiovax के बारे में नहीं सुना। मुझे सिर्फ न्यूट्रास्यूटिकल्स के बारे में कुछ सामान्य तथ्य पता हैं। जापान और इस्राइल में न्यूट्रास्यूटिकल प्राथमिक इलाज के रूप में देखे जाते हैं। लेकिन भारत में इन प्रोडक्ट को अभी भी संदेह की दृष्टि से देखा जाता है।

मुझे पक्का विश्वास है कि सुनीता जी ने इसके पहले हजारों सप्लीमेंट या गोलियां खाई होंगी और उन्हें असरदार प्रोडक्ट पर पैसा खर्च करने में डर लगता था क्योंकि यह संदेहास्पद लगते हैं।

हमारे संदेह ही हमें धोखा देते हैं, इनके कारण हम कई ऐसी चीजें नहीं पा पाते जो हमें मिल सकती हैं,क्योंकि हमें डर लगता है।
मैं आपको आत्मविश्वास की कमी के बारे में एक बहुत अच्छी कहानी बताता हूं।
1928 में दुनिया का पहला एंटीबायोटिक खोजा गया था - पेनिसिलिन। यह डिसेंट्री, टाइफाइड, बुखार को ठीक कर देती थी जिससे उस जमाने में कई लोगों ने अपनी जान गवाईं थी।
लेकिन अधिकतर लोग यह विश्वास नहीं कर रहे थे कि इससे उन्हें फायदा होगा, क्योंकि उन्होंने पहले हजारों तरह की बेकार की चीजें ट्राई करके देख लिया था। लेकिन जिन लोगों को हजारों बार असफलता मिली थी और जो एक बार और ट्राय करने में नहीं डरे वे ठीक हो गए। जिन मरीजों ने इस सोच के कारण पेनिसिलिन ट्राई नही की कि: लो आ गया "एक और बेकार का इलाज", उनकी मृत्यु हो गई, हालांकि उनकी जान बचाने का तरीका उनके सामने ही था।
जिस तरह पेनिसिलिन ने डिसेंट्री, टाइफ़ाइड और पल्मोनरी प्लेग का सफाया कर दिया था, उसी तरह Cardiovax धमनियों के विकारों को साफ कर देगी। कोरिया, जापान, कनाडा, स्विट्ज़रलैंड और इस्राइल इस दिशा में पहले कदम उठा चुके हैं। इन्होने इसके कानूनी ढांचे को तैयार कर लिया है: पहले न्यूट्रास्यूटिकल से धमनियों की सफाई की सलाह दी जाती है, और दवाओं से इलाज बाद में जरूरत पड़ने पर किया जाता है।
भारत में Cardiovax को एक जगह पर ऑफिशियल रूप से लिखा जाता है - अमीर लोगों के लिए मंहगे अस्पतालों में। जहां 'वीआईपी' लोगों का इलाज किया जाता है: मंत्री, आईएएस ऑफिसर, फिल्मी सितारे, आदि। यहाँ इस्राइल के तरीके से इलाज किया जाता है और मरीजों को बहुत जल्दी नतीजे मिल जाते हैं।
दूसरे मरीजों के लिए सरकार कंपनियों द्वारा बनाए रसायनों से इलाज के लिए कहती है जो सरकार से सेटिंग किए रहते हैं।

मैं स्वीकार करता हूँ कि संदेह ही हमारा सबसे बड़ा शत्रु है, लेकिन मैं नई चीजों को आजमाने से नहीं डरता।

चलिए मान लेते हैं मैंने Cardiovax खरीद ली, मैंने उसका नर्म डब्बा खोला, बॉटल बाहर निकाली और एक ग्लास पानी में 1/2 चम्मच घोल दी...क्या होता है? आखिर Cardiovax कैसे काम करती है?

पानी के संपर्क में आने पर ये एक तरह से एक प्राकृतिक प्रयोगशाला सक्रिय कर देती है। कॉस्टिक सोडा - प्राकृतिक सोडा जिसे खदानों से निकाला जाता है, पानी से रिएक्शन करके Cardiovax में पाए जाने वाले प्राकृतिक सत्तों का ऑक्सिजनेशन चालू कर देता है।
पेरॉक्साइड (ऑक्सिजनेशन) का असर - ऑक्सिजन से समृद्ध हो जाने के कारण अणुओं का अवशोषण तेज हो जाता है।
पानी और ऑक्सिजन से समृद्द होने के कारण स्वास्थ्य के लिए अच्छे सत्त पेरॉक्साइड के गुण अपना लेते हैं जो है - ऑक्सिजनेशन।
जो अणु Cardiovax में पाए जाते हैं, ये एक तरह से ऑक्सिजन के बम हैं। ये धमनियों में जमे कॉलेस्ट्रोल की पपड़ी को फोड़कर रक्त प्रवाह के लिए खोल देते हैं।
सोल्यूशन में Cardiovax धुंधली होती है और हल्के पीले रंग की दिखती है। इसका स्वाद कड़वा, थोड़ा खट्टा और सौंफ की खुश्बू वाला होता है।
आपको 5 मिनट के अंदर सोल्यूशन को पी लेना होता है, मतलब, सत्तों के अणु ऑक्सिजनेशन से सक्रिय होने के बाद इतने समय के लिए ही काम करते हैं। इसलिए Cardiovax इतनी असरदार होती है - क्योंकि आप जीवित सत्त अपने सक्रिय रूप में लेते हैं। वहीं अधिकतर दवाएं आपको मृत और निष्क्रिय अणु देती हैं।
पेरॉक्साइड का असर यह सुनिश्चित करता है कि जीवित अणु तुरंत मिश्रित हो जाते हैं। ऑक्सिजन से समृद्ध अणु तुरंत भोजन नली की दीवारों में अवशोषित हो जाते हैं। इसलिए, Cardiovax से एसिडिटी नहीं होती, न कड़वा स्वाद आता है, न आंतों में जलन होती है और पेट पर कोई हानिकारक असर नहीं होता। ये पेट के अल्सर से ग्रस्त लोगों के लिए भी उचित होती है। Cardiovax.
Cardiovax ठीक करने वाले सत्तों का एक ऐसा खजाना है जिसमें अलग-अलग तरह के सत्त सामंजस्य में काम करके शुद्धता लाते हैं और रक्त की धमनियों का प्रतिरोध मजबूत करते हैं।
यह अपशिष्टों को साफ कर देती है
तिबत्ती लोफांट (हर्ब) कॉलेस्ट्रोल की रुकावट खोल देती है। लोफांट के अणु रक्त धमनियों की दीवारों पर जमे कॉलेस्ट्रोल के टुकड़ों को एक छैनी की तरह निकालते हैं। धमनियाँ अच्छे से खुल जाती हैं जिससे रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। हमारे आंतरिक अंग "पीने" लगते हैं। जोड़ "उठ कर ज़िंदगी जीने लगते हैं", क्योंकि इनमें पानी और ऑक्सीजन भर जाते हैं और इनकी खुद की अपने-आप ठीक होने की प्रणाली शुरू हो जाती है। लचक वापस आ जाती है। गर्दन घुमाने पर आने वाली आवाज आना बंद हो जाती है। मौसम बदलने पर घुटने और उंगलियों में दर्द होना बंद हो जाता है।
एडिमा गायब हो जाता है। पैरों की सूजन चली जाती है - आप दिन भर चलें तब भी कुछ नहीं होता।
त्वचा में रक्त का प्रवाह वापस आ जाता है - ऊपर से दिखने वाला नसों का जाल गायब हो जाता है। वेरिकोज़ नसें धीरे-धीरे गायब हो जाती हैं, और बवासीर की गठानें सूख जाती हैं।
इससे ऊर्जा मिलती है
अणु एल्फ़डॉक एक्सट्रैक्ट । ये कॉलेस्ट्रोल के अणुओं को पकड़ कर उनसे चिपक जाते हैं और उन्हें उच्च घनत्व वाले उपयोगी लिपोप्रोटीन में बदल देते हैं, जिससे वसा टूट जाती है।
Cardiovax 2 समस्याओं को हल कर देती है: ये कॉलेस्ट्रोल के अपशिष्ट को दूर करके वसा के सही तरह से जलने को उत्प्रेरित करती है। आपको अपनी शक्ति में अच्छी बढ़त महसूस होती है, आपको लगता है कि आप चलें-फिरें, आपको ऐसा लगने लगता है मानो आप पहाड़ भी चढ़ जाएंगे।
अकड़न दूर करते हैं
काले जीरे का सत्त धमनियों की अकड़न दूर करता है। यह रक्त की धमनियों को चिकना बना कर उनके क्रैंप दूर करता है। यह रक्त प्रवाह की कमी से ग्रस्त धमनियों को राहत देकर उन्हें रिलैक्स कर देता है। ब्लड प्रेशर वापस सामान्य हो जाता है। सरदर्द गायब हो जाता है, कान में झुनझुनाहट की आवाज कम हो जाती है, फेंफड़े और श्वसन अच्छे से काम करने लगते हैं और सांस लेना आसान हो जाता है। अब आपको सांस की कमी महसूस नहीं होती।
हृदय पर से दबाव हटा देता है
मदरवोर्ट का एक्स्ट्रैक्ट धमनियों मैं फेल कर रक्त के थक्के और थ्रोम्बी को ढूंढता है। खून को पतला कर देता है जिससे वह अच्छे से बहता है। थ्रोम्बी और रक्त के थक्कों को तोड़ देता है। कैल्शियम लवण को धमनियों की दीवारों से धोकर बहा देता है - ये दवाइयों के अपशिष्ट होते हैं।
सीने में दबाव कम हो जाता है और आप को सांस लेने में आसानी होने लगती है। हृदय गति फिर से सामान्य हो जाती है और अब आपको अतालता और हृदय की धड़कन में असामान्य तेजी की शिकायत नहीं होती। हृदय में अचानक होने वाला करंट जैसा एहसास भी बंद हो जाता है।
हार्ट अटैक होने का जोखिम शून्य हो जाता है।
धमनियों को ठीक कर देता है
राजगीर के बीज धमनियों की दीवारों को ठीक करते हैं। राजगीर बीजों के अणु धमनियों की दीवारों के टूटे हिस्सों को एक तरह से गोंद की तरह चिपका कर ठीक कर देता है। दिमाग को लकवे से अच्छी सुरक्षा मिलती है। दिमाग की कोशिकाओं को भोजन और ऑक्सीजन मिलने लगती है और आपका सर हल्का हो जाता है।

बटरफ्लाई असर

Cardiovax एक तरह से तितली के पंखों के असर की तरह है जिससे कई तरह की अविश्वसनीय प्रक्रियाएँ शुरू हो जाती हैं। इससे कई सालों से जमा हुआ धमनियों का अपशिष्ट चरणबद्ध तरीके से बाहर निकलने लगता है, Cardiovax पूरे शरीर को वापस ठीक करने की प्रक्रियाओं की एक पूरी श्रृंखला चालू कर देती है।

Cardiovax से 1 महीने इलाज करवाना बिल्कुल उसी तरह का असर करता है मानो आप फिर से पैदा हो गए हो।
आसानी से नींद खुलना
आपकी सुबह आसानी से नींद खुल जाती है और आपको अपने पैरों, पीठ और गर्दन के सुन्न एहसास के जाने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता।
सुबह उठते ही शरीर में ऊर्जा और शक्ति भर जाती है क्योंकि आपकी धमनियाँ पूरी तरह से साफ होती हैं एवं अंगों को पर्याप्त भोजन और रात का आराम मिलता है। शरीर के हिस्सों को रक्त की उचित आपूर्ति मिलती है और वे नए दिन के लिए शक्ति पा लेते हैं।
स्वादिष्ट नाश्ता
आप सुबह के नाश्ते में बटर के साथ एक ब्रेड की स्लाइस, आमलेट खाते हैं और आपका लिवर और पेट उन्हें बहुत अच्छे से स्वीकार करता है। अब आपके मुंह में कड़वा स्वाद नहीं आता और पेट में दर्द भी नहीं होता। Cardiovax आपके पेट को भोजन की आपूर्ति करने वाली धमनियों को साफ कर दिया होता है, अब आप एक लोहे की कील भी पचा सकते हैं।
बैल की तरह शक्ति
घर से निकलने पर आपको अपने पैरों की चिंता नहीं करनी पड़ती - आप दिनभर चलेंगे तब भी यह नहीं थकते, इन में सूजन भी नहीं आती। अब आपके पैरों पर जूतों और मौजों के निशान नहीं पड़ते।
गहरी शांति का अहसास
आप शांत और रिलैक्स रहते हैं। पहले हमेशा बना रहने वाला दर्द जो चेतना को धुंधला किए रहता था और आपको ध्यान केंद्रित करने से रोके रहता था, गायब हो जाता है। जब आपको कोई दर्द नहीं होता तो आपकी पसंद की चीजें, आवाजें, खुशबू है और तीव्रता से महसूस होने लगती हैं।
ऐसा जोश कि ईर्ष्या होने लगे
दिन भर कड़ी मेहनत करने के बाद भी आप घर आते हैं तो आपका दिमाग साफ रहता है। आपका दिमाग स्विस घड़ी की तरह सटीक काम करता है और आपको बिल्कुल भी थकान नहीं होती।
आरामदेह नींद
आप बिस्तर पर जाते ही तुरंत सो जाते हैं। पुराने दिनों की तरह आधी रात भर करवटें बदल-बदल कर सोने की कोशिश नहीं करनी पड़ती। अब यह बहुत आसान हो जाता है - अब आप फैसला करते हैं कि आपको कब सोना है और आपका शरीर तुरंत सोने के लिए तैयार हो जाता है।

कमी और डिस्काउंट का प्रोग्राम

Cardiovax लगभग सभी दवा की दुकानों से गायब हो गई है। क्यों?

दुर्भाग्य से यह सच है। साल की शुरुआत से ही, Cardiovax को दवा की दुकानों पर सप्लाई नहीं किया जा रहा है।
दवा कंपनियों के लालच के कारण वे Cardiovax बनाने वाली कंपनी के हर बेचे गए पैकेट पर रु 2490 ₹ की मांग करती हैं! प्रोडक्ट के रेट पर इतना मार्जिन जोड़ने के बाद (दिल्ली के कुछ क्लीनिकों में Cardiovax से इलाज 11,000 रुपए तक पहुँच जा रहा है ), दवा कंपनी वाले एक्सट्रा चार्ज भी लगाना चाहते थे।
दवा कंपनियों के मैनेजर इस फीस को पूरा सही मानते थे क्योंकि इससे इनकी दुकानदारी चलती रहती है। Cardiovax एक ऐसी दवाई है जो मरीजों को हर 7-10 साल में लेनी होती है। इससे भी अधिक, धमनियों को Cardiovax से साफ कर लेने के बाद मरीजों को दूसरी दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती जो उन्हें वैसे नियमित रूप से लेनी पड़ती है! लोग अपना ब्लड प्रेशर और जोड़ों के दर्द के लिए पेनकिलर लेना बंद कर देते हैं। दमा और मधुमेह की दवाओं की खपत भी नाटकीय रूप से कम हो जाती है। और इस सबसे दवा कंपनियों को बहुत नुकसान होता है। इसलिए इन लोगों ने Cardiovax की इतनी अधिक कीमत रखी है।
इसलिए Cardiovax को बनाने वाली कंपनी ने दवा की दुकानों से अनुबंध तोड़ दिया और केवल ऑनलाइन सेल करने लगी। वास्तव में यह अच्छा ही है। इससे उन्हें ना किराया देना पड़ता है, ना दवा की दुकानों को कमीशन देना पड़ता है। इस तरह Cardiovax दवा की दुकानों पर बेचने की तुलना में आज ज्यादा लोगों की पहुंच में है।

साफ धमनियाँं डिस्काउंट प्रोग्राम

4980₹2490₹
हमारी संस्था ने मुंबई की यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड फार्मेसी, भारतीय डाक और Cardiovax को बनाने वाल कंपनी के सान्निध्य में, एक टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट के तहत (ऑनलाइन दवाएं), डिस्काउंट का एक प्रोग्राम शुरू किया है।
इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों को Cardiovax एक स्पेशल रेट पर दी जाएगी जो 2490 ₹ तक ही होगा !

इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए आपको और क्या चाहिए?

Cardiovax को डिस्काउंट प्रोग्राम में ऑर्डर करने के लिए आपको निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होगा:

प्रोग्राम में Cardiovax की शर्तें:

  • आप Cardiovax निजी उपयोग के लिए ही ऑर्डर कर सकते हैंग्राहक और पाने वाला व्यक्ति एक ही होना चाहिए। यह इसलिए जरूरी है ताकि बिचौलिये Cardiovax को खरीदकर जमाखोरी न करें और ज़्यादा रेट पर न बेचने लगें।
  • प्रोग्राम के ऑफिशियल प्रोग्राम के जरिए ऑर्डर देंऑर्डर के ऑफिशियल प्रोग्राम से उत्पादक की ओर से रेट की गारंटी होती है और आप बिचौलियों से बच जाते हैं

डिस्काउंट प्रोग्राम कब तक चलेगा?

जब तक Cardiovax का स्टॉक खत्म नहीं हो जाता। मतलब करीब 3-4 हफ्ते। और टीवी तथा रेडियो पर कोई विज्ञापन नहीं होने के बाद भी ये इतनी जल्दी खत्म हो जाती है। जो मरीज इससे ठीक हो जाते हैं वे इसके बारे में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बताते हैं। हमें भी यह बड़ा आश्चर्यजनक लगा कि Cardiovax का स्टॉक इतनी जल्दी खत्म हो जाता है। Cardiovax पर डिस्काउंट का आखिरी दिन है - 03.12.2020 मिलाकर
इसलिए मैं यही सलाह दूँगा कि आप Cardiovax का ऑर्डर जितनी जल्दी हो सके दे दें। प्रोग्राम इस साल दोबारा नहीं किया जाएगा।

सावधानी!
हमारी साइट पर आने वाले लोगों को ऑर्डर करने का एक विशेष अवसर है Cardiovax 50% तक की छूट! ऐसा करने के लिए, बटन दबाकर भाग्य का पहिया शुरू करें "SPIN",और फिर इसके पूरी तरह से रुकने का इंतजार करें। कौन जानता है, शायद आप भाग्यशाली हैं जो आज कुछ पैसे बचाने का प्रबंधन करेंगे! सौभाग्य है

SPIN

तक मान्य करें (सम्मिलित): 3.12.2020


रिव्यू

पीयूष मल्होत्रा  24.11.2020
मैंने पिछले साल इसे लिया था और इलाज में करीब 27,000 रुपए खर्च हो गए थे, तब Cardiovax को दवाई की दुकानों में बेचा जाता था। ईमानदारी से कहूं तो मुझे कोई दुख नहीं है! रेट ज्यादा होने पर भी हमने 1 साल के अंदर इतना ही पैसा दूसरी दवाओं पर खर्च होने से बचा लिया। और मुझे बहुत अच्छा भी महसूस होने लगा है, खर्च किए गए पैसे की पूरी कीमत वसूल हो गई! मुझे 52 साल की उम्र में भी ऐसा लगता था मानो पूरे बुड्ढे हो गए हो। मेरे हाथों में हमेशा कोई ना कोई दवाई रहती थी और मैं रिटायरमेंट तक जिंदा रहने की उम्मीद नहीं करता था । मुझे ऐसा लगता था मेरा सर फट जाएगा और कई बार तो यह ख्याल आते थे कि इससे अच्छा तो मर जाऊं... लेकिन इस नुस्खे से मैं 2 महीने के अंदर भूल गया कि हाई ब्लड प्रेशर क्या होता है, मुझे फिर से जवान महसूस होने लगा है और मैं एक स्वस्थ आदमी बन गया हूं (आप समझ ही गए होंगे मेरा क्या मतलब है)! इसलिए, इसे तो इसके नॉर्मल रेट पर खरीदना भी पैसे वसूल है, आपको इससे पछतावा नहीं होगा! मुझे ऐसा लगता है कि Cardiovax पर भविष्य में प्रतिबंध लग जाएगा, क्योंकि इससे कई कंपनियाँ बर्बाद हो जाएंगी।
वृंदा  24.11.2020
Cardiovax - सबसे बेहतरीन प्रोडक्ट। मैंने पहले एडेलफान दवा ली और फिर एरिनिट। मैं जानती हूं कि यह दवाएं उतना असर नहीं करती जितना डॉक्टर बताते हैं। लेकिन मुझे डॉक्टर के पास जाना अच्छा नहीं लगता और मुझे लगा कि मेरी समस्या इतनी गंभीर नहीं है। जब भी मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता था और सीने में दर्द होने लगता था तो मैं कभी-कभी दवाई ले लेती थी। लेकिन कुछ समय बाद इन दवाओं ने असर करना बंद कर दिया। मैंने एक डॉक्टर को भी दिखाया लेकिन उसने मुझे Cardiovax लेने को कहा (वो एक यंग डॉक्टर था, उन कुछ लोगों में से एक जो ये मानते हैं कि दवाइयाँ लोगों को ठीक करने के लिए होती हैं, उन्हें लूटने के लिए नहीं!)। Cardiovax से मुझे पहले दिन से ही फायदा होने लगा है - मेरा ब्लड प्रेशर तुरंत कम हो गया लेकिन मैंने इसे डॉक्टर के बताए मुताबिक लेना चालू रखा। तीन हफ्तों में तो मैं हाई ब्लड प्रेशर नाम की चीज ही भूल गई। मेरी वेरीकोज नसें भी ठीक हो गई जो मुझे 10 साल से प्रताड़ित कर रहीं थीं! मुझे कुछ गायनेकोलॉजिकल समस्याएं भी थीं जो ठीक हो गई। मैं बहुत अच्छा महसूस करती हूं, बिल्कुल एक कम उम्र की लड़की की तरह!
मनीषा तिवारी  25.11.2020
थैंक्स!!! मुझे ये डिस्काउंट पर मिल गए। मैंने इसे ट्राय करूंगी।
दिनेश गुलाटी  25.11.2020
30,000? यह तो बहुत ही कम है...
अनीता  25.11.2020
मैं क्या बोलूं, मैं हमेशा उन लोगों को देखकर आश्चर्यचकित होती रहती हूं जो दूसरों को देखकर अपनी जिंदगी जीते हैं!!! उन्हें लगता है कि पूरी दुनिया उन्हीं के लिए बनी है! जब मुझे पता चला कि मुझे Cardiovax की जरूरत है तो मैंने ज्यादा दिमाग नहीं लगाया! मैंने पैसे उधार लेकर इसे खरीद लिया ! मैंने इस पर ₹21000 खर्च किए! कुछ लोग तो इसके लिए ₹5400 ही नहीं खर्च नहीं करना चाहते और डिस्काउंट का इंतजार करते रहते हैं! क्या बेवकूफी है!
स्मिता  26.11.2020
आपको दूसरों पर कमेंट नहीं करना चाहिए। आपको भला दूसरों की स्थिति क्या पता! हो सकता है यह लोग गरीब हों, हो सकता है इनकी पास कोई नौकरी नहीं हो, ये इतना पैसा कहां से लाएंगे?
उर्वशी राजपूत  26.11.2020
कुछ महीनों पहले मेरी मम्मी को उंगलियों में सुन्न महसूस होने लगा। हमारी एक पहचान की डॉक्टर हैं जिन्होंने उन्हें धमनियों को साफ करने की सलाह दी। उन्होंने "स्टेटिन" दवाएं लिख दी लेकिन मैंने बड़ा कि इनसे कोलन कैंसर हो जाता है और मैं यह जोखिम नहीं लेना चाहती थी। बड़े संयोग की बात है कि मुझे Cardiovax के बारे में पता चल गया। मैंने तुरंत Cardiovax एक दलाल के जरिए खरीद ली, मैंने इसके लिए ₹27000 दिए। मुझे जल्दी ही इसके सकारात्मक प्रभाव नज़र आने लगे और कुछ ही दिनों में मम्मी की तो रंगत ही बदल गई, उनके बाल, नाखून और पूरे शरीर का स्वास्थ्य बहुत अच्छा हो गया, 14 दिन में उनकी उंगलियां सुन्न होना कम हो गया। डेढ़ महीने के बाद उंगलियां सुन्न होना पूरी तरह बंद हो गया, ब्लड प्रेशर फिर से सामान्य हो गया। उन्हें बहुत अच्छा महसूस होता है, अच्छी एनर्जी रहती है, उनकी मेमोरी भी सुधर गई है और जोड़ों में अब दर्द नहीं होता, यहां तक कि खराब मौसम में भी कुछ नहीं होता। यह नुस्खा बहुत ही शानदार है। मैं पूरे विश्वास से इसकी सलाह दे सकती हूं!
फ़र्ज़ाना अख्तर  26.11.2020
मैंने तुरंत ब्लड प्रेशर के लिए Cardiovax खरीद ली क्योंकि मेरा सर हर शाम दुखता रहता था, पेनकिलर से भी कोई फायदा नहीं हो रहा था। बाद में मुझे पता चला कि सरदर्द हाई ब्लड प्रेशर से होता था। मेरे ऑफिस की एक लड़की ने मुझे Cardiovax के बारे में बताया था। 2 महीने के अंदर तो मैं एक दूसरी ही लड़की बन गई! इसके बाद में समझ गई की धमनियों को साफ करने से पहले तो मैं अपनी जिंदगी ही नहीं जी पा रही थी! अब मुझे दर्द होना बंद हो गए थे, वेरीकोज नसें चली गई थीं और सबसे अच्छी बात - मैंने 18 किलो वजन भी घटा लिया था! यह ब्लड प्रेशर के सामान्य हो जाने के कारण हुआ था! अब मैं Cardiovax हर किसी को पूरे विश्वास से लेने को कह सकती हूँ!
निधि गुप्ता  26.11.2020
आपकी कमेंट के लिए धन्यवाद। मुझे डॉक्टर के पास जाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता, ये ऐसी महंगी दवाएं लिख देते हैं जो कई बार कहीं मिलती भी नहीं हैं। (मुझे याद है मैंने कैसे अपनी आंखों के लिए लिखे गए "खास" आईड्रॉप पूरे शहर भर में ढूंढे थे लेकिन कहीं नहीं मिले)। मैं क्या कहूं, डॉक्टर समस्या को जड़ से दूर करने की कोशिश नहीं करते। मेरी उंगलियां कई बार सुन्न पड़ जाती थी। आप सभी के अनुभव जानने के बाद अब मैं Cardiovax लूँगी। और यदि उंगलियां सुन्न पड़ने के पीछे कोई और कारण भी है तो भी धमनियों को साफ करने में कोई बुराई नहीं है! आखिर यह एक नेचुरल प्रोडक्ट है और इसके कई फायदे हैं। थैंक्स!!!
पूजा सिंह  26.11.2020
लेख के लिए धन्यवाद! मैंने यह बिल्कुल सही समय पर पढ़ लिया। मैंने अभी-अभी कॉलेस्ट्रोल के लिए ब्लड टेस्ट कराया था और मेरे डॉक्टर ने मुझे स्टैटिन लिख दिए थे। इन्हें लेने के पहले मैं Cardiovax लेकर देखूँगी, इसके नैचुरल घटक मुझे आत्मविश्वास से भर देते हैं।
ज्योति श्रीवास्तव  27.11.2020
मैंने बहुत समय पहले धमनियों को साफ करने की प्रक्रिया के बारे में सुना था लेकिन इसे कभी ट्राई नहीं किया... यदि यह डिस्काउंट पर मिल रही है तो अभी सही समय है... :)
पंखुड़ी सिन्हा  27.11.2020
मैंने रिस्क उठाई और इसका पछतावा नहीं हुआ। यदि आपको धमनियों में दिक्कत है तो मैं इसकी सलाह दूंगी। इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है और रिजल्ट बहुत अच्छे हैं।
दिशा  27.11.2020
मुझे हाई कोलेस्ट्रॉल है और मुझे डॉक्टर ने LIVAZO लिख दी थी। लेकिन मैं ऐसे नहीं ले पाई, 1 हफ्ते भी नहीं, लिंफ नोड सूज जाते थे और मैं गर्दन तो घूमा ही नहीं पाती थी। मेरी नज़र बहुत कमजोर हो गई थी। इन्हें लेने के 4 दिन के अंदर ही मुझे धुंधला दिखाई देने लगा। डॉक्टर बोला कि स्टेटिन का ऐसा असर होता है। डॉक्टर ने इसकी जगह CRESTOR लिख दी लेकिन मुझे इसे लेने से भी बहुत डर लगता था। अब मैं Cardiovax ट्राय करूंगी, मुझे लगता है इसके नैचुरल होने के कारण साइड-इफेक्ट नहीं होते।
सुरेश मीणा  28.11.2020
Cardiovax कोलेस्ट्रॉल को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है! इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होते क्योंकि यह पूरी तरह प्राकृतिक घटकों से बना है। हो सकता है कभी-कभार बिरले किसी को कोई एलर्जी रिएक्शन हो जाए।
सचिन  28.11.2020
कॉलेस्ट्रोल से लड़ने का सबसे अच्छा इलाज है अपने खानपान पर कंट्रोल!
सविता  28.11.2020
खानपान से कोलेस्ट्रॉल जमा होना बंद हो जाता है लेकिन पुरानी परतों का क्या। मेरा विश्वास कीजिए मैंने कई तरह की डाइट करके देखी हैं।
नूतन जैन  29.11.2020
मेरा टोटल कॉलेस्ट्रोल 6.8 पहुंच गया था जो मेरे लिए बहुत ज्यादा था। मुझे हमेशा चक्कर आते रहते थे, मेरा ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा रहता था और हमेशा चिड़चिड़ापन बना रहता था। 2 महीने के अंदर मेरा कॉलेस्ट्रोल 3.4 पहुंच गया। मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा है। अब मुझे ब्लड टेस्ट कराने की भी जरूरत नहीं पड़ती। मुझे अंतर समझ में आता है क्योंकि अब मैं साफ-साफ सोचने लगी हूँ :)) मेरी सहेलियां कहती हैं कि अब मेरी आवाज भी बहुत साफ हो गई है! मुझे अपनी जिंदगी के सभी पहलुओं में सकारात्मक बदलाव नज़र आए हैं।
योगिता शिवहरे  29.11.2020
जानकारी के लिए धन्यवाद! मैंने इसे लूँगी, ब्लड प्रेशर ज़्यादा होने से बहुत परेशानी हो रही है...
जानकी सुले  29.11.2020
मैं भी सहमत हूँ! Cardiovax बहुत ही बढ़िया है, यह सबसे किफायती और असरदार दवाओं में से एक है! दूसरी दवाओं की तुलना में डिस्काउंट के बिना भी इसकी कीमत 10 गुना कम है,और इसका रिजल्ट 10 गुना ज्यादा अच्छा आता है और कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं।


प्रोग्राम में Cardiovax का स्टॉक: 23 पीस

"Cardiovax " को डिस्काउंट वाले रेट पर लेने के लिए एप्लिकेशन प्राप्त करने की आखिरी तारीख है  

अपना ऑर्डर दें






No comments:

Post a Comment

जाने आपके नाम राशि के मुताबिक मई मास 2024 कैसा रहेगा

Monthly Horoscope - May 2024 मई मास 2024 का राशिफल https://youtube.com/shorts/KicqigAX_OY?...