Thursday, 12 November 2020

दीपावली का पर्व कब और कैसे मनाए

 


13 नवंबर 2020 को धनत्रयोदशी को नवीन बर्तन का क्रय सांय काल में लक्ष्मी नारायण का पूजन करने के बाद अनाज वस्त्र खुशियों एवं उनके निमित्त दीपदान करें इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता

लक्ष्मी पूजा शनिवार, नवम्बर 14, 2020 पर

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:25 पी एम से 07:19 पी एम


अवधि - 01 घण्टा 55 मिनट्स


प्रदोष काल - 05:24 पी एम से 08:05 पी एम

वृषभ काल - 05:25 पी एम से 07:19 पी 


इसमें श्री गणेश लक्ष्मी पूजन प्रारंभ कर लेना चाहिए इसी काल में आश्रितों को भेज मिष्ठान आदि बांटना चाहिए

निशिता काल मुहूर्त

08 :08मि0 पी एम से 22:51पी एव  निशीथ काल में सुबह की चौघड़िया 8:48 10:30 तक तथा अमृत की चौघड़िया 10 :30 से रात्रि 12:12 इस समय


इस समय श्री सूक्त कनकधारा स्त्रोत लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए


महानिशिथा काल मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 

11:56 पी एम से 12:32 ए एम, नवम्बर 15

अवधि - 00 घण्टे 36 मिनट्स


निशिता काल - 11:39 पी एम से 12:32 ए एम, नवम्बर 15

सिंह लग्न - 11:56 पी एम से 02:15 ए एम, नवम्बर 15

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 14, 2020 को 02:17 पी एम बजे

अमावस्या तिथि समाप्त - नवम्बर 15, 2020 को 10:36 ए एम बजे

श्री महा लक्ष्मी पूजन

श्री महालक्ष्मी पूजन दीपदान आदि के लिए प्रदोष काल से आधी रात तक रहने वाली अमावस श्रेष्ठ होती है यदि अर्धरात्रि काल में अमावस तिथि का अभाव हो तो प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलन, महालक्ष्मी पूजन, गणेश एवं कुबेर आदि पूजन कृत्य करने का विधान है। प्रस्तुत बर्ष में कार्तिक अमावस्या 14   नवम्बर शनिवार  सन 2020 ईस्वी को प्रदोष व्यापनी तथा रात्रि  निशीथव्यापनी होने से दीपावली पर्व इसी दिन होगा दीपावली स्वाती  नक्षत्र तथा तुला के चंद्रमा कालीन होगा। सायं सूर्यास्त प्रदोष काल प्रारंभ के बाद मेष वृष लग्न एवं स्वाति नक्षत्र विद्यमान होने से यह समय अवधि श्री गणेश, महालक्ष्मी पूजन और कृतियों के आरंभ के लिए विशेष रूप से प्रशस्त रहेगी। वहीं खातों एवं नवीन शुभ कार्यों के लिए भी यह मुहर्त अत्यंत शुभ होगा। बुधवार की दीपावली व्यापारियों ,क्रय विक्रय करने वालों के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। लक्ष्मी पूजन दीप दान आदि के लिए प्रदोष काल की विशेषता प्रशस्त माना गया है ।
कार्तिके प्रदोषे तु विशेषण अमावस्या निशावर्धके। तस्यां सम्पूज्येत् देवी भोग मोक्ष प्रदायनी।। दीपावली के दिन गृह में प्रदोष काल से महालक्ष्मी पूजन प्रारंभ करके अर्धरात्रि तक जप अनुष्ठान आदि का विशेष महत्व में होता है । प्रदोष काल से कुछ समय पूर्व स्नान आदि उपरांत धर्म स्थल पर मंत्र पूर्वक दीपदान करके अपने निवास स्थान पर श्री गणेश सहित महालक्ष्मी कुबेर पूजा आदि करके अल्पाहार करना चाहिए। तदुपरांत निशिथा आदि मुहूर्तों में मंत्र जप यंत्र सिद्धि आदि अनुष्ठान संपादित करने चाहिए।
दीपावली वास्तव में पांच पर्वों का महत्व माना जाता है। जिसकी व्याप्ति कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धनतेरस से लेकर कार्तिक शुक्ल द्वितीया भाई दूज तक रहती है। दीपावली के पर्व पर धन की प्राप्ति के लिए धन की अधिष्ठात्री धनदा भगवती लक्ष्मी की समारोह पूर्वक आवाहन षोडशोपचार सहित पूजा की जाती है ।आगे दिए गए निर्दिष्ट शुभ कालो में किसी स्वस्थ एवं पवित्र स्थान पर आटा, हल्दी, अक्षत, पुष्प आदि से अष्टदल कमल बनाकर महालक्ष्मी का आवाहन स्थापना करनी चाहिए देवों का विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। आवाहन मंत्र है -
कां सोस्मितां हिरणयप्रकारामाद्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम्। पूजा मंत्र है ॐ गं गणपतये नमः । लक्ष्म्यै नम:।नमस्ते सर्व देवानां वरदासि हरे: प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा में भूयात्वदर्चनात।। से श्री लक्ष्मी की ' एरावतसमारुढो म बज्रहस्तो महाबल:।शत यज्ञाधिपो देवस्तस्मा इंद्राय नमः ।
इस मंत्र से इनकी कुबेर की निम्नलिखित मंत्र से पूजा करें कुबेराय नमः, धनदाय नमस्तुभ्यं निधि पद्माधिपाय च। भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पद: । पूजन सामग्री में विभिन्न प्रकार की मिठाई फल ,पुष्प ,अक्षत, धूप, दीप आदि सुगंधित वस्तु में सम्मिलित करनी चाहिए। दीपावली पूजन में प्रदोष निश्चित एवं महा निशित काल के अतिरिक्त चौघड़िया मुहूर्त भी पूजन बहीखाता, पूजन ,कुबेर पूजा ,जप आदि अनुष्ठान की दृष्टि से विशेष प्रशस्त एवं शुभ माने जाते है।

शुक्ल प्रतिपदा 15 नवम्बर को श्री कृष्ण, भगवान की प्रसन्नता के लिए अन्नकूट पर्व मनाया जाता है तथा श्री कृष्ण व गोओ की पूजा की जाती है। 16 नवम्बर  को  में भाई बहन के परस्पर स्नेह का प्रतीक भातृ दूज का पर्व मनाया जाएगा इसमें शिव पार्वती विवाह पूजन उपरांत बहन अपने भाई की मंगल कामना हेतु उसे रोली वा केसर का तिलक लगाती है भाई बहन अपनी बहन को श्रद्धा अनुसार उपहार देता है अक्षय नवमी 23 नवंबर को क्या हुआ पूजा पाठ दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है इसी प्रकार हरि प्रबोधिनी एकादशी 25 नवंबर को भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाती है।


3 comments:

  1. Happy Diwali to all..... Good information after all the

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  2. Atti uttam pandit ji jai shri RAM

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  3. Happy diwali with family jai siya ram

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