30 तारिक १५गते भाद्रपद विक्रम संवत २०७८ सोमवार को जनमष्टमी ब्रत
अपनी कुल परंपरा अनुसार 29 अगस्त रविवार को सप्तमी रात्रि को भोजन करें रविवार 29 अगस्त 2021विक्रम संम्बत २०७८ को रात्री 11:26 मिनट बाद अष्टमी तिथि आरंभ आगामी दिवस सोमवार 30 अगस्त को प्रातः ध्वजारोहण श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत के संकल्प व्रत जप अनुष्ठान का महत्व होगा। 8 वर्षों के पश्चात अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी तिथि सोमवार रोहिणी नक्षत्र एवं बृषथ स्थित चंद्रमा का दुर्लभ एवं पुण्यप्रदायक योग बन रहा है । रात्रि को 11:30 बजे चंद्र उदय होने पर अर्घ्य देकर के चंद्र दर्शन करके पूजन करें भगवान के जन्म का उत्सव मनाए। मंगलवार 31 तारीख 16गते भाद्रपद अगस्त को व्रत का पारायण 31 अगस्त को गुग्गा नवमी का पर्व बहुत ही हर्ष उल्लास से मनाया जाता है।
श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का अवतार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृषभ के चंद्रमा कालीन अर्धरात्रि के समय हुआ था ।
'मासी भाद्रपदे अष्टमअष्टमम्यां कृष्ण पक्षे अर्धरात्रअर्धरात्रके,
वृष राशि स्थिति चंद्रे नक्षत्रे रोहिणी युते।। (भविष्य पुराण उत्तर)
पंचांग गणित के कारण अनेक वर्षों तक उपरोक्त तिथि नक्षत्र चंद्र आदि सभी तत्वों की विद्यमानता किसी एक वर्ष में नहीं हो पाती अर्थात यदि अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि प्राप्त हो जाती है तो उस दिन बुधवार अथवा रोहिणी नक्षत्र का अभाव रहता है यदि किसी अर्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र आ जाएं तो कृष्ण अष्टमी उत्तरार्ध व्यापनी नहीं होती । परंतु इस वर्ष हमें 8 वर्ष पश्चात ऐसा संयोग बना है।
कृष्ण जन्माष्टमी निशीथ व्यापिनी ग्राह्या।
पूर्व दिन एवं निशीथ योगे पूर्वा।।(धर्मसिंधु )
रात्रि में भगवान का किर्तन आदि करे ओम नमोः भगवते वासुदेवाय नम: ' का जाप करे।
क्योंकि जिस मनुष्य को श्री कृष्ण अष्टमी के उपवास पूजन आदि का सौभाग्य मिलता है उसके कोटी जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा वह जन्म बंधन से युक्त मुक्त होकर दिव्य वैकुंठ आदि भगवत धाम में निवास करता है ।
No comments:
Post a Comment