Thursday, 31 March 2022

जाने कैसा रहेगा यह नया बर्ष 2079






इस बार नल नामक संवत्सर रहेगा।जब भी कोई बर्ष में शुभ कार्य होगा नल नामक संवत्सर का प्रयोग किया जाएगा इस सम्बतसर का प्रयोग होगा। इस वक्त सृष्टि के संम्वत् अनुसार 19558 85123 (१९५५९९५१२३) यह सृष्टि का बर्ष चला हुआ है सृष्टि को इतना समय हो गया है तथा विक्रम संवत 2079 चला हुआ है शक संवत 1944 (१९४४)होगा और कलियुग का समय अभी 5122(५१२२) वर्ष बीत चुका है तथा कलियुग वर्तमान 5123 (५१२३) बर्ष चल रहा है। जबकि कलियुग की कुल अवधि 432000 (४३२०००) बर्ष है।कृष्ण संवत 5258(५२५८) चला है ।श्री बुद्ध संवत 2645 (२६४५)महावीर जैन संवत 2547(२५४७) और हिजरी सन 1443 (१४४३)अंग्रेजी का 2022(२०२२) खालसा का 323(३२३) सृष्टि के अनुसार सतयुग का प्रमाण 1728000(१७२८०००) बर्ष तथा त्रेता युग 1296 000 (१२९६०००)बर्ष द्वापर युग प्रमाण 864000(८६४०००) बर्ष कलयुग का प्रमाण 432000 (४३२०००)वर्ष का होता है।

नल नामक नव संवत्सर का फल 

2 अप्रैल 2022 तथा 20 गते चैत्र को पहले ही नल नामक संवत्सर प्रारंभ हो चुका होगा नया संवत का प्रवेश 1 अप्रैल 2022 ईस्वी शुक्रवार को दोपहर 11:54 पर रेवती नक्षत्र में होगा मिथुन लग्न में प्रवेश करेगा परंतु शास्त्र अनुसार नव संवत्सर तथा राजा अधिकार निर्णय चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के बार आदि अनुसार ही किया जाता है इसलिए नल नामक संवत्सर संवत 2079 नवरात्रों का प्रारंभ 2 अप्रैल शुक्रवार 11.54 पर रेवती नक्षत्र में होगा नवरात्रि अर्थात 2 अप्रैल शनिवार से जब पाठ पूजन दान व्रत एक धार्मिक अनुष्ठान कर्मों के लिए संकल्प आदि का प्रयोग कार्यों में नल नामक संवत्सर तथा का प्रयोग होगा इस वर्ष राजा शनि मंत्री गुरु होगा। नल नामक संवत्सर में देश में दुर्भिक्ष यानी अकाल जन्य परिस्थितियां बनेगी फलस्वरूप आवश्यक वस्तुओं के मूल्यों में विशेष वृद्धि होगी केंद्रीय एवं राज्य सरकारों की दोषपूर्ण नीतियों के कारण परिस्थितियां अधिक खराब चिंताजनक बन सकती है। बच्चों में विशेष प्रकार के रोग फैलने का भय रहेगा।
 नल नामक संवत्सर से वर्ष में अग्निकांड अग्नि से संबंधित दुर्घटनाएं होने का भय अधिक रहेगा तथा वृष्टि मध्यम रहे अनाज के मूल्यों में वृद्धि होगी राजाओं में क्षुब्द्धता के कारण युद्ध जैसी स्थिति निरंतर बनी रहेगी । डकैती लूट मार आदि दुर्घटना में वृद्धि से जनसामान्य में भय उपस्थित रहेगा।

रोहिणी का वास (बर्षा)
रोहिणी का बास इस बार मैं सक्रांति का प्रवेश पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र कालीन हुआ है अतः रोहिणी का बास समुंदर पर होने से वर्ष में वर्षा अधिक होगी! परन्तु उपयोगी कम होगी गेहूं धान आदि सभी प्रकार की पैदावार भी अच्छी होगी कुछ जगह पर बाढ़ आदि का प्रकोप भी रहेगा परंतु देश के अन्य भाग में धन मक्का और चावल फल फूलों की पैदावार अच्छी होगी समुंदर में पास होने के कारण और माली के घर में रहने से उठ धान्य चावल फूल पैदावार अच्छी होगी पर्वतीय क्षेत्र आदि के फूलों से उत्पादन अच्छा होगा परंतु इसके बावजूद कृषि उत्पाद जो है घी तेल दैनिक वस्तुएं दाले दूध सोना चांदी आदि के भाव तेज हो जाएंगे।
 इस प्रकार राजा का वाहन भैंसा होने से धन संपदा की हानि और वर्ष में विषम वर्षा होगी । अर्थात असमान बर्षा होगी। उचित वर्षा नहीं होगी या अत्याधिक वर्षा होगी और उपयोगी वर्षा की कमी ही रहेगी।
राजा शनि का फल-
राजा शनि का फल इस बार राजा शनि होने से वर्ष में उपद्रव युद्ध दंगों मारकाट के लिए अनेक देशों में अनुकूल वातावरण बनेगा कहीं भूमंडल पर विरोधी देशों के मध्य टकराव युद्ध जन्य स्थितयां बनेगी दुर्भिक्ष अकाल की स्थिति बनेगी जनहानि किसी प्रकार से विशेष अथवा देश लोग में दुर्भिक्ष रोग आदि से प्राकृतिक प्रकोप का सामना करना पड़ेगा राजा शनि होने से कठोर विचित्र नियमों का सरकारी तंत्र संसाधनों के ऊपर लागू करेगी । जौ मक्का धन चना तेज हो जाएंगे और अधिकांश लोग वाद-विवाद मुकदमे का निर्णय लेते रहेंगे।

मंत्री गुरु का फल
 संवत्सर में गुरु मंत्री होने से अनाज गेहूं चावल धान की पर्याप्त मात्रा में लाभकारी रहेंगे सरकार लोक कल्याण लोक अनुभव से बहू योजनाएं क्रियान्वित होगी और मक्का हल्दी   व्यापार में लाभ।
फसल शुक्र का फल
धान्येश शुक्र का फल धन स्वामी शुक्र होने से जैसे जौ मक्का गन्ना गेहूं उत्पादन कम होगा प्राकृतिक प्रकोप असाममयिक वर्षा के कारण समय पूर्व ही खराब हो जाएंगी फल स्वरुप सर्व प्रकार का अनाज उड़द चने आदि दाले काली मिर्च से छोटी इलाइची लोंग हल्दी आदि गरम मसाले उपयोगी वस्तुएं सब्जी हरा चारा खिलाने और पशु चारा तेज भाव हो जाएंगे उपयोगी वर्षा की कमी रहे गाय भैंस और आयोग से दूध कम प्राप्त होगा पड़ता दूध घी और गोरस महंगे हो जाएंगे
मेघ का स्वामी बुध
वर्षा का स्वामी बुध होने से इस इस बार जल पर्याप्त वर्षा तो होगी पर उपयोगी नहीं होगी गेहूं जो दाने पशु चारा घास आदि की यथेष्ट पैदावार होगी तथा दूध गुड़ आदि रस आदि उपलब्ध की पर्याप्त मात्रा में रहेगी ब्राह्मण लोग पाठ का कीर्तन यज्ञ आदि धार्मिक कृत्य करने में विशेष रूचि रखेंगे और विशिष्ट वर्ग के लोग अनेक प्रकार के सूख से संपन्न होंगे।

फल का स्वामी मंगल का फल
 इस बार फल का स्वामी मंगल होने से फल फूल वनस्पतियों औषधियों की पैदावार कम होगी लोगों में अनेक प्रकार के कृष्ण लोगों से कष्ट भय हो राष्ट्र अध्यक्षों में परस्पर संघर्ष टकराव तनाव युद्ध की स्थिति बने।



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