*आ रहा है साल का सबसे बड़ा खग्रास चंद्र ग्रहण: जानिए संपूर्ण जानकारी, समय और सूतक काल**
आकाश में होने वाली खगोलीय घटनाओं का हमारे जीवन और संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण घटना है चंद्र ग्रहण। जल्द ही, 7 और 8 सितंबर 2025 को, हम एक **खग्रास चंद्र ग्रहण** (Total Lunar Eclipse) के साक्षी बनेंगे। यह ग्रहण न केवल एक अद्भुत खगोलीय दृश्य होगा, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है।
आइए, इस आगामी चंद्र ग्रहण के बारे में सब कुछ विस्तार से जानें।
#### **चंद्र ग्रहण क्या होता है?**
जब हमारी पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस स्थिति को **चंद्र ग्रहण** कहा जाता है। यह खगोलीय घटना हमेशा पूर्णिमा के दिन ही होती है। हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण को एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना माना जाता है और इस दौरान कई विशेष नियमों और अनुष्ठानों का पालन किया जाता है।
#### **7-8 सितंबर 2025 चंद्र ग्रहण का विस्तृत समय**
इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट की होगी। नीचे ग्रहण के हर चरण का समय दिया गया है:
* **उपच्छाया से पहला स्पर्श:** 08:59 पी एम (7 सितंबर)
* **खण्डग्रास (आंशिक) ग्रहण प्रारम्भ:** 09:58 पी एम (7 सितंबर)
* **खग्रास (पूर्ण) ग्रहण प्रारम्भ:** 11:01 पी एम (7 सितंबर)
* **परमग्रास चंद्र ग्रहण (अधिकतम ग्रहण):** 11:42 पी एम (7 सितंबर)
* **खग्रास समाप्त:** 12:22 ए एम (8 सितंबर)
* **खण्डग्रास समाप्त:** 01:26 ए एम (8 सितंबर)
* **उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श:** 02:24 ए एम (8 सितंबर)
**ग्रहण की कुल अवधियाँ:**
* **खग्रास की अवधि:** 01 घण्टा 21 मिनट्स 27 सेकण्ड्स
* **खण्डग्रास की अवधि:** 03 घण्टे 28 मिनट्स 02 सेकण्ड्स
* **उपच्छाया की अवधि:** 05 घण्टे 24 मिनट्स 37 सेकण्ड्स
#### **सूतक काल का समय और नियम**
हिंदू धर्म में ग्रहण से पहले की एक निश्चित अवधि को सूतक माना जाता है। यह एक अशुभ समय होता है, जो ग्रहण शुरू होने से कुछ घंटे पहले आरंभ होता है और ग्रहण समाप्त होने पर खत्म होता है।
* **सूतक प्रारम्भ:** 12:19 पी एम (दोपहर), 7 सितंबर 2025
* **सूतक समाप्त:** 01:26 ए एम (देर रात), 8 सितंबर 2025
**बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिए सूतक:**
* **प्रारम्भ:** 06:36 पी एम (शाम), 7 सितंबर 2025
* **समाप्त:** 01:26 ए एम (देर रात), 8 सितंबर 2025
सूतक काल के दौरान भोजन करना, पकाना, सोना और मनोरंजन जैसे कार्य वर्जित होते हैं। इस दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं और गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
# **चंद्र ग्रहण और इसका धार्मिक महत्व**
हिंदू धर्म में केवल उन्हीं चंद्र ग्रहणों का धार्मिक महत्व होता है, जिन्हें नंगी आँखों से देखा जा सकता है, यानी **प्रच्छाया वाले चंद्र ग्रहण**। उपच्छाया वाले ग्रहण दिखाई नहीं देते, इसलिए पंचांग में उनका धार्मिक महत्व नहीं होता और उनसे जुड़े कोई कर्मकांड नहीं किए जाते।
यह भी महत्वपूर्ण है कि ग्रहण से संबंधित कर्मकांड तभी किए जाते हैं जब ग्रहण आपके शहर में दिखाई दे रहा हो। हालांकि, यदि खराब मौसम के कारण ग्रहण दिखाई न दे, तब भी सूतक के नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है।