Thursday, 21 March 2024

जाने 25 मार्च सोमवार को 2024 कंहा दिखेगा ग्रहण

 


 भारत में अदृश्य  दिखाई  देने वाला यह ग्रहण 

 वर्ष 2024 का पहला उपछाया चन्द्र ग्रहण 25  मार्च 2024 सोमवार 12 गते चैत्र को लगने जा रहा है। उपछाया ग्रहण  25  मार्च 2024 सोमवार 12 गते चैत्र  ये ग्रहण  पूर्णिमा सोमवार को भारतीय  समय  अनुसार के अनुसार  दिन में 10:23 से 3बजकर 02 मि0  तक दिखाई देगा 


 यह ग्रहण भारत में दिखाई  नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा।न कोई परहेज़ ही भारत में माना जाएगा ।

 

यह ग्रहण इंग्लैंड आयरलैंड इटली पुर्तगाल स्पेन फ़्रान्स जर्मनी बेल्जियम हालैण्ड स्विजरलैंड दक्षिण नार्वे भी उतर व दक्षिणी अमेरिका और रूस जापान ऑस्ट्रेलिया न्यूज़ीलैंड अधिकतर अफ़्रीका के देशों में दिखाई देगा। 


Wednesday, 6 March 2024

कब है महाशिवरात्रि का सर्व कल्याणकारी व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ के तुल्य फल की प्राप्ति होती है



 08 मार्च शुक्रवार को महाशिवरात्रि का सर्व कल्याणकारी व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ के तुल्य फल की प्राप्ति होती है इस दिन काले तिलों सहित स्नान कर व्रत पालन कर रात्रि में भगवान शिव शंकर की विधिवत पूजा करनी चाहिए  पूजन के समय शिव कथा शिव सहस्त्रनाम तथा शिव स्त्रोत आदि का पाठ करना चाहिए दूसरे दिन व्रत का उद्यापन करने के पश्चात स्वयं भोजन करे।

समय: -
 महाशिवरात्रि पूजा के लिए निशीथ काल मुहूर्त सबसे शुभ माना गया है। वैसे भक्त रात्रि के चारों प्रहर में से किसी भी प्रहर में शिव पूजा कर सकते हैं।


प्रथम प्रहर पूजा समय - 06:27 PM से 09:29 PM 8 मार्च
द्वितीय प्रहर पूजा समय - 09:29 PM से 12:31 PM, 9 मार्च 
तृतीय प्रहर पूजा समय - 12:31 PM से 03:32 PM,9  मार्च 
चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:32 PM से 06:34 PM,  9 मार्च

महा शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दिन के साथ कई किंवदंतियां जुड़ी हैं। अधिकांश किंवदंतियों के अनुसार, महा शिवरात्रि का दिन भगवान शिव से जुड़ा होता है और उसी दिन उनसे संबंधित कई ब्रह्मांडीय घटनाएं हुई थीं।
महा शिवरात्रि उत्पत्ति | महत्व
कई किंवदंतियाँ हैं जो शिवरात्रि से जुड़ी हैं। महा शिवरात्रि को मानने के पीछे कुछ प्रचलित मान्यताएँ हैं -
ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के निर्माण के दौरान, भगवान शिव की कृपा से महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि के दौरान भगवान शिव रुद्र के रूप में अवतरित हुए थे।
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती से उसी दिन हुआ था। त्योहार को शिव और शक्ति के अभिसरण के रूप में मनाया जाता है। इसलिए, कई शिव भक्तों के लिए, शिवरात्रि को भगवान शिव और देवी पार्वती की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म के अनुसार, ब्रह्मांड का निर्माण और विनाश एक चक्रीय प्रक्रिया है। जब समय आता है, भगवान शिव तांडव के रूप में जाने जाने वाले लौकिक नृत्य करते हुए अपनी तीसरी आंख की आग से पूरी सृष्टि को नष्ट कर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह महा शिवरात्रि का दिन है जब भगवान शिव तांडव करते हैं। इसलिए, महा शिवरात्रि भगवान शिव द्वारा किए गए लौकिक नृत्य की वर्षगांठ का प्रतीक है।
ऐसा माना जाता है कि महान महासागर के मंथन के दौरान समुद्र से विष भी निकला था। इसमें पूरी सृष्टि को नष्ट करने की शक्ति थी। भगवान शिव ने जहर पी लिया और पूरी दुनिया को विनाश से बचाया। इसलिए, महा शिवरात्रि को भगवान शिव के धन्यवाद के रूप में देखा जाता है।
महा शिवरात्रि का दिन भगवान शिव का सबसे पसंदीदा दिन माना जाता है। इसलिए भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और प्रसन्न करने के लिए और अपने पसंदीदा दिन पर भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए दिन-रात उपवास करते हैं।
महा शिवरात्रि देवता
भगवान शिव महा शिवरात्रि के मुख्य देवता हैं। लिंगम के रूप में भगवान शिव की पूजा महा शिवरात्रि के शुभ दिन की जाती है।
महा शिवरात्रि तिथि और समय
पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार महा शिवरात्रि को मनाया जाता है -
फाल्गुन (12 वें महीने) के दौरान कृष्ण पक्ष चतुर्दशी (14 वां दिन)
अमांता कैलेंडर के अनुसार महा शिवरात्रि को मनाया जाता है -
माघ (11 वें महीने) के दौरान कृष्ण पक्ष चतुर्दशी (14 वां दिन)
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि दोनों कैलेंडर में एक ही दिन महा शिवरात्रि मनाई जाती है। यह चंद्र महीनों का नामकरण है जो दोनों कैलेंडर में भिन्न होता है।
महा शिवरात्रि त्यौहारों की सूची
महा शिवरात्रि हर्ष और उल्लास का दिन होने के बजाय तपस्या का दिन है। महा शिवरात्रि एक ही दिन और रात के लिए मनाई जाती है।
महा शिवरात्रि का पालन
दिन और रात उपवास
शिव लिंगम की पूजा
अभिषेकम यानी शिव लिंगम को जल, दूध और शहद से स्नान कराना
बेल पत्र यानी लकड़ी-सेब के पत्ते शिव लिंगम को अर्पित करना
शिव लिंगम को सफेद फूल चढ़ाएं
शिव मंत्र और स्तोत्रम का जाप करते हुए रात्रि जागरण
महा शिवरात्रि व्यंजन
भांग और ठंडाई
शाम के समय अधिकांश शिव मंदिरों में शिव लिंगम के विशिष्ट दर्शन होते हैं और हजारों भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए शिव मंदिरों में पहुंचते हैं।
महा शिवरात्रि पूजा विधान
अधिकांश लोग महा शिवरात्रि पर उपवास रखते हैं। जिस तरह से उपवास मनाया जाता है उसे समय के साथ बदल दिया गया है। धार्मिक ग्रंथों में जिस तरह से पूजा प्रक्रिया का सुझाव दिया गया है, शिवरात्रि के दौरान उसका पालन शायद ही किया जाता है।
बहुत से लोग प्रसाद के रूप में भांग के साथ मीठे पेय वितरित करते हैं। भांग, जिसे भांग के पौधे से बनाया जाता है, को भगवान शिव से प्रसाद के रूप में आसानी से समाज में स्वीकार किया जाता है।
भगवान शिव पूजा
धार्मिक पुस्तकों के अनुसार शिवरात्रि पूजा विधान
महा शिवरात्रि के दौरान पूजा विधान का पालन विभिन्न धार्मिक ग्रंथों से किया गया है। हमने सभी मुख्य अनुष्ठानों को शामिल किया है जो महा शिवरात्रि के दौरान सुझाए गए हैं।
महाशिवरात्रि व्रत से एक दिन पहले केवल एक बार भोजन करने का सुझाव दिया गया है। यह उपवास के दौरान आम प्रथाओं में से एक है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उपवास के दिन पाचन तंत्र में कोई भी अवांछित भोजन नहीं छोड़ा जाता है।
शिवरात्रि के दिन व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। पानी में काले तिल डालने का सुझाव दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन पवित्र स्नान न केवल शरीर को बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है। यदि संभव हो तो गंगा में स्नान करना पसंद किया जाता है।
स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं को संकल्प (संकल्प) लेना चाहिए कि वे पूरे दिन उपवास रखें और अगले दिन उपवास तोड़ें। संकल्प के दौरान श्रद्धालु उपवास अवधि के दौरान आत्मनिर्णय के लिए प्रतिज्ञा करते हैं और बिना किसी व्यवधान के भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने का आशीर्वाद लेते हैं। हिंदू उपवास सख्त हैं और लोग आत्मनिर्णय के लिए प्रतिज्ञा करते हैं और उन्हें सफलतापूर्वक समाप्त करने के लिए शुरू करने से पहले भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं।
उपवास के दौरान भक्तों को सभी प्रकार के भोजन से दूर रहना चाहिए। उपवास के सख्त रूप में भी पानी की अनुमति नहीं है। हालांकि, दिन के समय फलों और दूध की खपत का सुझाव दिया जाता है, जो रात के दौरान सख्त उपवास के साथ होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, दिन के समय फल और दूध का सेवन किया जा सकता है।
भक्तों को शिव पूजा करने या मंदिर जाने से पहले शाम को दूसरा स्नान करना चाहिए। यदि कोई मंदिर जाने में सक्षम नहीं है तो पूजा गतिविधियों को करने के लिए मेकशिफ्ट शिव लिंग बनाया जा सकता है। यहां तक कि लिंग रूप में भी कीचड़ को आकार दे सकते हैं और घर पर अभिषेक पूजा करने के लिए घी लगा सकते हैं।
रात के समय शिव पूजा करनी चाहिए। शिवरात्रि पूजा एक या चार बार रात के दौरान की जा सकती है। पूरी रात की अवधि को चार बार विभाजित किया जा सकता है ताकि चार बार शिव पूजा करने के लिए चार प्रहर (प्रहर) मिल सकें। जो भक्त एकल पूजा करना चाहते हैं, वे इसे मध्यरात्रि के दौरान करें। अपने शहर के लिए चार प्रहरों का समय जानने के लिए महा शिवरात्रि पूजा का समय देखें।
पूजा विधान के अनुसार, शिव लिंगम का अभिषेक विभिन्न सामग्रियों से किया जाना चाहिए। अभिषेक के लिए दूध, गुलाब जल, चंदन का पेस्ट, दही, शहद, घी, चीनी और पानी का इस्तेमाल किया जाता है। चार प्रहर पूजा करने वाले भक्तों को पहले प्रहर के दौरान जल अभिषेक, दूसरे प्रहर के दौरान दही अभिषेक, तीसरे प्रहर के दौरान घी अभिषेक और चौथे प्रहर के दौरान शहद अभिषेक के अलावा अन्य सामग्रियों से पूजा करनी चाहिए।
अभिषेक अनुष्ठान के बाद, शिव लिंग को बिल्व के पत्तों से बनी माला से सजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बिल्व पत्ते भगवान शिव को ठंडा करते हैं।
उसके बाद चंदन या कुमकुम शिव लिंग पर लगाया जाता है और उसके बाद दीपक और धूप जलाया जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जिन अन्य वस्तुओं का उपयोग किया जाता है, उनमें मदार (मदार) का फूल भी शामिल है, जिसे आक (देस), विभूति के नाम से भी जाना जाता है। विभूति पवित्र राख है जिसे सूखे गोबर के उपयोग से बनाया जाता है।
पूजा की अवधि के दौरान जप करने का मंत्र ऊँ नमः शिवाय (ओम नमः शिवाय) है।
भक्तों को स्नान करने के बाद अगले दिन उपवास तोड़ना चाहिए। भक्तों को व्रत का अधिकतम लाभ पाने के लिए सूर्योदय के बीच और चतुर्दशी तिथि के अंत से पहले उपवास तोड़ना चाहिए।

Saturday, 10 February 2024

 



तारीख़ 14 तक मंगल उच्च राशि गत रहने से कुछ बिगड़े काम बनेंगे आय के साधनों में सुधार व्यवसाय संबंधी कोई नवीन योजना बनेगी तारीख़ 15 से मंगल शनि योग होने से स्वास्थ्य में विकार शरीर कष्ट  तथा आर्थिक परेशानियाँ का सामना रहेगा ।

2

तारिक़ 7  से शुक्र शनि के साथ कुंभ राशि में होने से निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे ।परंतु ख़र्च भी बढ़ चढ़कर रहेंगे व्यस्तता अधिक रहे ,क्रोध पर नियंत्रण रखें । 

3

बुध 6  तारीख़ तक 9 स्थान पर होने से लाभ हव उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे । तारीख़ 7से 25 तक बुध  मीन राशि में आने से स्वास्थ्य हानी अत्यधिक तनाव एवं बनते कार्यों में अर्डचने पैदा होगी । आर्थिक घरेलू उलझनें बढ़ेंगी । 

4

तारीख़ 14 से ही मंगल की दृष्टि रहने से ही क्रोध एवं उत्तेजना बढ़ेगी वाहन आदि सावधानी से चलाना चाहिए आँखों में कष्ट एवं सिर दर्द से परेशानी हो तारीख़ 15 से मंगल अष्टम  शनि युक्त रहने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना रहे गुप्त रोग का भय रहे ।

सूर्य शनि मंगल और गुरू आदि ग्रहों की दृष्टियां रहने से व्यावसायिक एवं पारिवारिक उलझनें तथा व्यवस्ततांएं  रहेगी । वृथा  भाग दौड़ धनलाभ मान सम्मान में वृद्धि होगी किंतु क्रोध एवं जल्दबाज़ी में किए गए कार्यों से नुक़सान हो सकता है सावधानी बरतें। 

६ 

आय के साधनों में मामूली वृद्धि होगी स्त्री व संतान की ओर से शुभ समाचार मिलने के योग हैं तारीख़ 7 से बुद्ध नीच राशीगत  रहने से पारिवारिक एवं व्यवसायिक उलझनों के कारण मन अशांत रहेगा स्वास्थ्य में ख़राबी तथा चोट आदि का भय रहेगा

७ 


मास आरंभ में रुके हुए कार्यों में कुछ सफलता प्राप्त होगी निर्वाह योग्य धन प्राप्ति के साधन बनेंगे व्यवसाय में संघर्ष पूर्ण परिस्थितियों का सामना रहेगा घरेलू उलझनो से तनाव रहेगा । 

८ 

किसी नवीन कार एक की योजना बनेगी मान सम्मान में वृद्धि पराक्रम एवं उत्साह में बढ़ोतरी उच्च प्रतिष्ठित लोगों से संपर्क लाभकारी रहेंगे तारीख़ 15 से अचानक ख़र्चो में वृद्धि एवं घरेलू परेशानियों का सामना होगा।

गुरु की दृष्टि के प्रभावस्वरूप वृद्धसज्जनों के सहयोग एवं परिश्रम के बाद धन लाभ व उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे । परंतु परिवार में संतान संबंधी चिंता मन अशांत एवं असंतुष्ट रहेगा । उत्तरार्ध भाग में हालात बदलेंगे ख़र्च अधिक एवं मनोरंजन आदि कार्यों में ध्यान रहेगा । 

१० 

उच्च प्रतिष्ठित लोगों से संपर्क बढ़ेगे।  परंतु अनावश्यक दौड़ धूप एवं आकस्मिक धन का अपव्यय अधिक होगा तारीख़15  से मंगल शनि योग से ही परिवार में मतभेद भी रहे क्रोध अधिक स्वभाव में तेज़ी एवं उत्तेजना स्वास्थ्य परेशानी के योग है । 

11 

यद्यपि  कार्यक्षेत्र में स्थिति असंतोषजनक रहेगी ।परंतु अत्यधिक परिश्रम के पश्चात निर्वाह योग्य धन की प्राप्ति होगी।  स्वास्थ्य संबंधी परेशानी रहे महीने के अंत में कुछ भी बड़े कामों में सुधार एवं पारिवारिक सहयोग से कुछ कार्य  बनेंगे । शनिवार को पीपल के प्रदक्षिणा करना लाभप्रद रहेगा ।

१२

शनि साढ़ेसाती होने से आयी कम व खर्च अधिक रहेगा।  व्यर्थ की भागदौड़ और फ़िज़ूलख़र्ची बढ़ेगी धन हानि एवं स्वास्थ्य नरम होगा बनते कामों में बिघ्न  उत्पन्न होते रहेंगे।  तारीख़ 14 से ही सूर्य राहु का योग बन जाने के कारण क्रोध उत्तेजना शत्रु भय रहेगा । परंतु निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेगे । 

जाने अपने नाम राशि के मुताबिक कैसा रहेगा फरवरी मास 2024 मास।

 


मेष राशि चू चे चो ला ली लू ले लो अ 

 फ़रवरी 5 से राशि स्वामी मंगल उच्च राशि होने से प्रतिष्ठित लोगों के साथ संबंध बनेगे । निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगें । सवारी आदि सुखों की प्राप्ति होगी मास के अंत में आय कम ख़र्च अधिक होगें।  पारिवारिक उलझनें बढ़ेंगी।



वृष राशि ई ई उ ए ओ वा वि वू वे वो

 तारीख़ 11 से ही व्यर्थ की भागदौड़ अधिक विरोधी हानि पहुँचाने का प्रयास करेगें। तारीख़ 12 के पश्चात धर्म कर्म में रुचि होगी और अधिकतर समय शुभ कार्यों में ही व्यतीत होगा।



मिथुन राशि का की कू घ ड छ के को ह

 19 तारीख़ तक बुद्ध अस्त होने से बनते कार्यों में रुकावटें पैदा होगी निकट बंधु बांधवों सेमनमुटाव   पैदा होंगे आर्थिक परेशानियाँ बढ़ेगी ।


कर्क राशि ही हू हे हो डा डी डू डे डो

 मंगल की अशुभ दृष्टी रहने से भी मानसिक तनाव क्रोध की अधिकता दुर्घटना में चोट आदि का भय रहेगी ।  किसी पर भी भरोसा करना हानिकारक होगा व्यर्थ के तनावों से ही स्वास्थ्य में गड़बड़ी एवं परेशानी होगी । 


सिंह राशि मा मी मू मे टा टी टू टे

 तारीख़ 5  से ही मंगल की भी इस राशी पर दृष्टि  रहने से यद्यपि उत्साह एवं पुरुषार्थ में वृद्धि होगी । परंतु स्वास्थ्य कुछ ढीला एवं आनावश्यक ख़र्च बढ़ेंगे । 13 तारीख़ तेरा से सूर्य शनि दोनों की संयुक्त दृष्टी रहने से पारिवारिक मतभेद उभरेंगे। 


कन्या राशि टो पा पी पू ष ण ठ पे पो

 इस समय उस वुध मकर व कुम्भ राशि गत संसार करने से ही पारिवारिक उलझनें एवं व्यवसायिक क्षेत्रों में अत्यधिक भागदौड़ के उपरांत भी लाभ में कमी रहेगी । तारीख़ 10 से बुध अस्त होने पर विपरीत परिस्थतियों के कारण अल्प लाभ होगा । स्वास्थ्य कुछ ढीला एवं माँग से यातनाओं ख़र्च अधिक रहे । 


तुला राशि रा री रू रे रो ता ती तू ते

 शुक्र 11 तारीख़ से ही शत्रु दत्त रहने से सर्विस अथवा व्यवसाय मे अनेक   नई नई परेशानी का सामना रहे । शत्रु प्रबल रहेंगे तारीख 12 से शुक्र चौथे भावों में होने से ही व्यवसाय में अनेक उतार चढ़ाव एवं परिवर्तनों का सामना रहेगा । स्थान परिवर्तन भी होने के योग हैं । विदेशी संबंधों से लाभ के योग हैं ।


वृश्चिक राशि तो ना नी नू नै नो या ती यू

 5 तारिक़ वहाँ से ही मंगल उच्च राशि में संचार करने से विघ्नों बाधाओं के बावजूद व्यवसायिक कार्यों में सफलता मिलेगी । ज़मीन ज़्यादातर आदि का क्रय विक्रय करने की योजना बनेगी । धन लाभ एवं पारिवारिक सुख को में वृद्धि होगी । परिवार में शुभ मंगलकारी कार्य  भी संपन्न होंगे। 


धनु राशि ये यो भा भी भू धा पा ढ भे

 मास आरंभ में कार्यक्षेत्र में विशेष उतार चढ़ाव एवं संघर्ष का सामना रहेगा । कुछ सोची  योजनाओं में बिघ्न  बाधाएँ उत्पन्न होगी । मास के अंत में शुभ कार्य पर धन का ख़र्च होगा । बहानआदि का क्रय विक्रय भी होगा। 


मकर राशि भो जा जी खी खू खे खो गा गी

तारीख़ 5 से मंगल इस राशि पर उपस्थित होकर संचार  करने से विशेष परिश्रम एवं परूषार्थ अनुसार कार्य  करने से कार्य सिद्धि होगी । आकसमात लाभ तथा हानि योग है । आर्थिक उलझनें तथा भाई बंधुओं से मनमिटाव  रहेगा ।  


कुंभ राशि गू गे गो सा सी सू से सो दा

पूर्वार्ध में व्यवसाय के क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीक़े से आगे बढ़ने लाभ व उन्नति संभव होगी । घर परिवार में सुखद माहौल होते हुए भी गुप्त चिंता बनी रहेगी । 13 तारीख़ से सूर्य शनि योग होने से क्रोध अधिक पारिवारिक सदस्यों के साथ मतभेद पैदा होने के संकेत हैं ।  


मीन राशि दि दु थ झ ‌‌ञ दे दो चा ची

 व्यवसाय में परिश्रम एवं संघर्ष के बावजूद धन लाभ की स्थिति बनेगी धर्म कर्म में  रुझान एवं शुभ कार्यों पर ख़र्च होगा । परंतु वृथा भाग दौड़ मानसिक तनाव गुप्त चिंता किसी निकट बन्धु  से वृथा तनाव एवं मतभेद भी रहेंगे ।

Sunday, 4 February 2024

जाने 2 अक्तुवर बुधवार को कहाँ लगेगा सूर्यग्रहण


  


 भारत में अदृश्य  दिखाई  देने वाला यह ग्रहण 

 वर्ष 2024  सूर्य ग्रहण 2 अक्तुवर   2024 बुधवार को लगने जा रहा है। कंकण सूर्यग्रहण 2 अक्तुबर   2024  बुधवार  बार १७  गते  आशिवन ये कंकण सूर्यग्रहण अमावस्या बुधवार  को मघ्य रात्री 2-3 बुधवार   भारतीय समय के अनुसार रात्रि 9बज कर 12मिनट से रात्रि 3 बजके  17 मिनट तक दिखाई देगा 


 यह ग्रहण भारत में दिखाई  नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा।न कोई परहेज़ ही भारत में माना जाएगा ।

 

यह ग्रहण  भारत को छोड़कर संपूर्ण उत्तरी अमेरिका मेक्सीको एटलांटीक महसागर ब्राजील न्यूजीलेंड  अमेरिका दक्षिणी अमेरिका अर्जेन्यटीना  इंग्लैंड  क्षेत्रों में दिखाई देगा । 

Sunday, 24 December 2023

जाने अपने नाम राशि के मुताबिक कैसा रहेगा जनवरी मास 2024 मास।


मेष राशि चू चे चो ला ली लू ले लो अ 

गुरु का संसार होने से मान सम्मान में वृद्धि कारोबार में तरक़्क़ी होंगी परंतु शनि की दृष्टि होने से गुप्त चिंताएँ है एवं मानसिक तनाव बना रहे ख़र्च की अधिकता तथा पारिवारिक परेशानी रहे हो


वृष राशि ई ई उ ए ओ वा वि वू वे वो

मास आरंभ में कुछ सुखद घटनाएँ घटित होगी उच्च प्रतिष्ठित लोगों के सहयोग से लाभ की सम्भावनाएँ बढ़ेगी ।  18 तारीख़ के बाद धन हानि स्वास्थ्य में कमी खर्चों की अधिकता रहेगी 


मिथुन राशि का की कू घ ड छ के को ह


तारीक 7 से  31 तक  कठिन  स्थित के  बावजूद निर्वाह  योग्य आय के साधन बढ़ेंगे । क्रय विक्रय से लाभ होगा । पुरुषार्थ एंव उत्साह में वृद्धि से कार्य पूर्ण होंगे । 


कर्क राशि ही हू हे हो डा डी डू डे डो


शनि की ढैय्या का प्रभाव रहने से बनते कार्यों में विघ्न,मानसिक तनाव ,गुप्त चिंता , दुर्घटना में चोट आदि  की संभावना और भूमि ज़्यादा सम्बंधी कार्यों में परेशानी होगी । पारिवारिक परेशानी तथा आय में कमी रहेगी । 


सिंह राशि मा मी मू मे टा टी टू टे


निकट बंधुओं से तनाओ  तथा मतभेद रहेंगे ।  गुरु की दृष्टि होने से रुके हुए कार्य ठीक होते रहेंगे । शुभ एवं धार्मिक कार्यों पर ख़र्च भी होते रहेंगे । किसी का सहयोग भी प्राप्त होता रहेगा । 


कन्या राशि टो पा पी पू ष ण ठ पे पो


इस राशि पर केतु का संसार होने से संघर्ष मय परिस्थितियाँ रहेगी बनते कामों में विघ्न ,स्वास्थ्य ढीला,  स्वभाव में तेज़ी एवं वृथा भाग दौड़ अधिक होगी  । धन का अपव्यय  अधिक रहे हैं । तारीख़ 26 के बाद निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे 


तुला राशि रा री रू रे रो ता ती तू ते


गुरु की शत्रु दृष्टि रहने से निकट बंधुओं के साथ मन मिटाओ व तनाव रहें । पारिवारिक समस्याएं व उलझनें  रहेगी । किन्तु नए कार्य की योजनाएं भी बनेगी । 


वृश्चिक राशि तो ना नी नू नै नो या ती यू


मंगल धनु राशि में संचार करने से आय के साधन में वृद्धि मांगलिक कार्यों पर धन ख़र्च होगा । परंतु शनि की ढैय्या है के  प्रभाव से पारिवारिक समस्याएं एवं आर्थिक उलझने उभरती मिटती रहेगी । 


धनु राशि ये यो भा भी भू धा पा ढ भे


स्व राशि गुरु की दृष्टि होने से अचानक धन प्राप्ति के अवसर प्राप्त होंगे नौकरी एवं व्यवसाय में उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे । मनोरंजन एवं विलासादि व्यय अधिक होगा किसी प्रिय व्यक्ति से संबंध बढ़ेंगे


मकर राशि भो जा जी खी खू खे खो गा गी


शनि स्वराशीगत होने से आए वृद्धि के अनेक अवसर प्राप्त होंगे।  परंतु पारिवारिक उलझनें , स्वास्थ्य संबंधी कष्ट तथा व्यापार में लाभ की कमी रहेगी । अचानक कुछ रुके हुए कार्यों में प्रगति होगी । 


कुंभ राशि गू गे गो सा सी सू से सो दा


स्वराशी  गत शनि होने से लाभ एवं पदोन्नति के अवसर प्राप्त होंगे  । निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगे । परन्तु  साढ़ेसाती के प्रभाव से पारिवारिक मतभेद , क्रोध की अधिकता तथा तनाव की स्थिति रहे । 


मीन राशि दि दु थ झ ‌‌ञ दे दो चा ची


शनि साढ़ेसाती तथा लग्न में राहु के प्रभाव से बनते कार्यों में विघ्न बाधाएँ शरीर कष्ट मानसिक तनाव रहेगा गुरु द्वितीय स्थान तथा शनि द्वारा दुष्ट होने से कार्य व्यवसाय में भाग दौड़ अधिक रहेगी आय में कमी तथा आकस्मिक ख़र्च भी बढ़ेंगे । 

प्रबोधिनी एकादशी: देव उठनी एकादशी का पावन पर्व कब

  बोधिनी एकादशी: देव उठनी एकादशी का पावन पर्व 12 नवंबर 2024 मंगलवार को  12 नवंबर 2024 मंगलवार को  भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में एक...