Friday, 23 August 2024

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कब रखें कैसे करें पूजन।


 


 26 तारीक सोमवार ११ गते भाद्रपद को मनाया जाएगा जन्माष्टमी ब्रत है।


१० गते भाद्रपद 25 अगस्त रविवार को अष्टमी रात 3:40 से प्रारंभ होकर के दूसरे दिन सोमवार 26 तारीख रात को 2:20 बजे समाप्त हो जाएगी। अतः यह व्रत सोमवार 26 तारीख का माना जाएगा तथा गुगा नवमी का पर्व 27 अगस्त मंगलवार को मनाया जाएगा।

इसलिए रविवार 25 तारिक १० गते भाद्रपद  रात को किसी समय भी भोजन कर लेना चाहिए। तथा 26 तारिक सोमवार को पुरे दिन का ब्रत रखना चाहिए।मंगलवार बार उदय कालीन नवमी तिथि में उद्यापन करना चाहिए।


26 तारिक सोमवार ११ गते भाद्रपद विक्रम संवत 2081  को जनमष्टमी ब्रत। रात्रि में श्री कृष्ण स्त्रोत पाठ ध्यान कीर्तन करने से अनेक कायिक व मानसिक दुःखों से निवृत्ति होती है ।इन पुण्य अवसरों का लाभ उठाएं।




 भाद्रपद  को व्रत का पारायण(खोलना) चाहिए । 
कैसे खोलें व्रत - व्रत परायण अर्थात खोलने के लिए। प्रातः सूर्य को जल चढ़ाएं। संध्या वंदन आदि करें।पूजा में जोत जलाए।श्री कृष्ण भगवान का पूजन करें। आरती करें।
क्षमा प्रार्थना मांगे 

आवाहनं न जानामि न जानामि विसजृनम।
पूजाचैव न जानामि क्षमयताम परमेश्वर:।।


27 अगस्त मंगलवार को गुग्गा नवमी का पर्व बड़े हर्षौउल्लास से मनाया जाएगा ।
श्रीमद् भागवत के तिथि के हिसाब से श्री कृष्ण कृष्ण जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी  तिथि, रोहिणी नक्षत्र, शुक्रवार  को  अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र के अनुसार तिथि होगी ।और इस वार क्यों हर्षों बाद यह संजोग बन रहा हैं अष्टमी तिथि तथा रोहिणी नक्षत्र का मेल हो रहा है । 

मासी भाद्रपदे अष्टमअष्टम्यां कृष्ण कृष्ण अर्धरात्रअर्धरात्रके, 
वृष राशि की स्थिति चंद्रे नक्षत्र रोहिणी।। (भविष्य पुराण उत्तर) 


कृष्ण जन्माष्टमी निशीथ व्यापिनी गृह्या।
पूर्व दिन और निशीथ योगे पूर्वा।।(धर्मसिंधु) 

स्मार्त एवं वैष्णव में भेद
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व्रत-उपवास आदि करने वालों को 'वैष्णव' व 'स्मार्त' में भेद का ज्ञान होना अतिआवश्यक है। हम यहां 'वैष्णव' व 'स्मार्त' का भेद स्पष्ट कर रहे हैं।

'वैष्णव'- जिन लोगों ने किसी विशेष संप्रदाय के धर्माचार्य से दीक्षा लेकर कंठी-तुलसी माला, तिलक आदि धारण करते हुए तप्त मुद्रा से शंख-चक्र अंकित करवाए हों, वे सभी 'वैष्णव' के अंतर्गत आते हैं।
 
'स्मार्त'- वे सभी जो वेद-पुराणों के पाठक, आस्तिक, पंच देवों (गणेश, विष्णु,‍ शिव, सूर्य व दुर्गा) के उपासक व गृहस्थ हैं, 'स्मार्त' के अंतर्गत आते हैं।

कई पंडित यह बता देते हैं कि  जो गृहस्थ जीवन  बिताते हैं वे स्मार्त होते हैं और कंठी माला धारण करने वाले साधु-संत वैष्णव  होते हैं जबकि ऐसा नहीं है जो व्यक्ति श्रुति स्मृति में विश्वास रखता है। पंचदेव अर्थात ब्रह्मा , विष्णु , महेश , गणेश , उमा को मानता है , वह स्मार्त हैं 

प्राचीनकाल में अलग-अलग देवता को मानने वाले संप्रदाय अलग-अलग थे। श्री आदिशंकराचार्य द्वारा यह प्रतिपादित किया गया कि सभी देवता ब्रह्मस्वरूप हैं तथा जन साधारण ने उनके द्वारा बतलाए गए मार्ग को अंगीकार कर लिया तथा स्मार्त कहलाये।

जो किसी वैष्णव सम्प्रदाय के गुरु या धर्माचार्य से विधिवत दीक्षा लेता है तथा गुरु से कंठी या तुलसी माला गले में ग्रहण करता है या तप्त मुद्रा से शंख चक्र का निशान गुदवाता है । ऐसे व्यक्ति ही वैष्णव कहे जा सकते है अर्थात वैष्णव को सीधे शब्दों में कहें तो गृहस्थ से दूर रहने वाले लोग।

वैष्णव धर्म या वैष्णव सम्प्रदाय का प्राचीन नाम भागवत धर्म या पांचरात्र मत है। इस सम्प्रदाय के प्रधान उपास्य देव वासुदेव हैं, जिन्हें छ: गुणों ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज से सम्पन्न होने के कारण भगवान या ‘भगवत’ कहा गया है और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं। 

इस सम्प्रदाय की पांचरात्र संज्ञा के सम्बन्ध में अनेक मत व्यक्त किये गये हैं। 

‘महाभारत’के अनुसार चार वेदों और सांख्ययोग के समावेश के कारण यह नारायणीय महापनिषद पांचरात्र कहलाता है।

नारद पांचरात्र के अनुसार इसमें ब्रह्म, मुक्ति, भोग, योग और संसार–पाँच विषयों का ‘रात्र’ अर्थात ज्ञान होने के कारण यह पांचरात्र है।

‘ईश्वरसंहिता’, ‘पाद्मतन्त’, ‘विष्णुसंहिता’ और ‘परमसंहिता’ ने भी इसकी भिन्न-भिन्न प्रकार से व्याख्या की है।

‘शतपथ ब्राह्मण’ के अनुसार सूत्र की पाँच रातों में इस धर्म की व्याख्या की गयी थी, इस कारण इसका नाम पांचरात्र पड़ा। इस धर्म के ‘नारायणीय’, ऐकान्तिक’ और ‘सात्वत’ नाम भी प्रचलित रहे हैं।

प्रायः पंचांगों में एकादशी व्रत , जन्माष्टमी व्रत स्मार्त जनों के लिए पहले दिन और वैष्णव लोगों के लिए दूसरे दिन बताया जाता है । इससे जनसाधारण भ्रम में पड जाते हैं। दशमी तिथि का मान 55 घटी से ज्यादा हो तो वैष्णव जन द्वादशी तिथि को व्रत रखते हैं अन्यथा एकादशी को ही रखते है। इसी तरह स्मार्त जन अर्ध्दरात्री को अष्टमी पड रही हो तो उसी दिन जन्माष्टमी मनाते हैं। जबकी वैष्णवजन उदया तिथी को जन्माष्टमी मनाते हैं एवं व्रत भी उसी दिन रखते हैं।



रात में  किर्तन आदि करे ‌‌ ‌‌ ऊँ नमोः भगवते वासुदेवाय नम: ' का जाप करे।
क्योंकि जिस मनुष्य को श्री कृष्ण अष्टमी के उपवास पूजन आदि का सौभाग्य मिलता है उसके कोटी जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा वह जन्म बंधन से युक्त मुक्त होकर दिव्य वैकुंठ आदि भगवत धाम में निवास करता है ।

Wednesday, 14 August 2024

जाने आपके नाम राशि के मुताबिक अगस्त 2024 कैसा रहेगा

Monthly Horoscope - May 2024

जाने आपके नाम राशि के मुताबिक अगस्त 2024 कैसा रहेगा









Monday, 6 May 2024

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मई मास 2024 का राशिफल









Saturday, 4 May 2024

जाने अपने नाम राशि के मुताबिक कैसा रहेगा मई मास 2024 मास।

 



 




मेष राशि चू चे चो ला ली लू ले लो अ 


धन का ख़र्च अधिक दूर स्थान की यात्राएं विदेशी सम्बन्धियों से लाभ  परंतु परिवार में विभिन्न परेशानियों का सामना रहे हैं । व्यवसाय में कठिन हालात का सामना रहे । 


वृष राशि ई ई उ ए ओ वा वि वू वे वो


 आय के साधनों में वृद्धि धर्म कर्म में रुझान परंतु ख़र्च अधिक रहे हैं संतान संबंधी चिंता परन्तु परिवार में भाई बंदु का सहयोग प्राप्त होगा किसी पर भरोसा करना हानिकारक होगा


मिथुन राशि का की कू    के को 


स्वास्थ्य में यहाँ ने मानसिक तनाव बनते कामों में भी टन तथा अपने भी पराये जैसा व्यवहार करेंगे तारीख़ 10से 31 तक बुध मेष राशि में होने से धन लाभ व अकस्मात उन्नति के चांस  बनेंगे । 


कर्क राशि ही हू हे हो डा डी डू डे डो


शनि  कि ढैय्या  के प्रभावों से पारिवारिक एवं व्यवसायिक क्षेत्र में कठिन व संघर्षमयी परिस्थितियों का सामना रहेगा । अपनी ही गलती से कोई बना हुआ कार्य बिगड़ने के योग हैं ख़र्च अधिक रहे । 


सिंह राशि मा मी मू मे टा टी टू टे


 परिवार में व्यर्थ का तनाव वह उलझन बनी  रहेगी । व्यापार अथवा नौकरी में उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे ।  परंतु उन अवसरों का उचित लाभ नहीं उठा सकेंगे  । धन लाभ के साथ साथ ख़र्च भी बढ़ चढ़कर होगा । 


कन्या राशि टो पा पी पू    पे पो


महा के आरंभ में ही  शुभ कार्यों पर धन का ख़र्च होगा । बनते  कामों में भी विध्न उत्पन्न होंगे  । तारीख़ 10  से स्वास्थ्य कुछ नर्म  रहे स्वभावों में तेज़ी तथा व्यर्थ की भागदौड़ अधिक होगी।  विरोधी हानि पहुँचाने का प्रयास करेंगे । 


तुला राशि रा री रू रे रो ता ती तू ते


मास के आरंभ में व्यवसाय में आंशिक लाभ एवं बिलास आदि कार्यों पर धन का व्यय होगा । क्रोध एवं उत्तेजना से कोई बना हुआ कार्य बिगड़ने की योग है । आर्थिक उलझनों के कारण मन में तनाव व चिंताएं रहेगी । 


वृश्चिक राशि तो ना नी नू नै नो या ती यू


स्वास्थ्य संबंधी कष्ट अथवा ख़र्च अधिक रहेंगे विशेष सावधानी बरतें घर परिवार संबंधी उलझनें रहेगी दुर्घटना में चोट आदि का भय बना रहेगा व्यर्थ की यात्रा भी हो 


धनु राशि ये यो भा भी भू धा पा  भे


कुछ सोची हुई योजनाओं में आंशिक सफलता मिलेगी व्यवसाय की स्थिति मध्यम रहे हैं परंतु बनते कामों में विघ्न एवं स्वास्थ्य परेशान बनी रहे । उत्तरार्ध में अचानक यात्रा के संयोग बनेंगे शत्रु भय और ख़र्च की अधिकता रहेगी ।


मकर राशि भो जा जी खी खू खे खो गा गी


 व्यवसायिक क्षेत्रों में परिस्थितियां संघर्षपूर्ण रहेगी साझेदारी के कार्यों में हानि एवं  गुप्त चिंता रहेगी । तारीख़ 14 के पश्चात आय व सुख साधनों में वृद्धि तथा विदेशी कार्यों में प्रगति होगी । धर्म कर्म के कार्यों पर धन का ख़र्च अधिक होगा । 


कुंभ राशि गू गे गो सा सी सू से सो दा


  मानसिक एवं घरेलू उलझनें बढ़ेंगी स्वास्थ्य नरम एवं अफ़सरों से तनाव की स्थिति रहे संयम पूर्वक व्यवहार करना शुभ होगा । उत्तरार्ध में कुछ बिगड़े कार्यों में सुधार होगा । कुछ  सोची समझी योजना में कामयाबी मान सम्मान में वृद्धि एवं यात्रा विलास आदि पर ख़र्च होंगे। 


मीन राशि दि दु   ‌‌ दे दो चा ची


  माँसारंभ में परिवार में विभिन्न समस्याओं का सामना रहेगा । वृथा  भागदौड़ एवं धन लाभ में कमी रहेगी । उत्तरार्ध भाग में कुछ बिगड़े कार्यों में सुधार परिवार में शुभ मंगलकारी कार्य संपन्न होंगे । नए लोगों के साथ संपर्क विदेश  सम्बंधी कार्यों के रुझान बढ़ेगा । 

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