खंडग्रास सूर्य ग्रहण
25 अक्टूबर 2022 कार्तिक अमावस मंगलवार यह खंडग्रास सूर्यग्रहण लगभग संपूर्ण भारत में असम राज्य के गुवाहाटी नगर से दाएं और मेघालय राज्य के नलबाड़ी नगर के दाएं ओर से क्षेत्र राज्य को छोड़कर बाकी सब जगे लगेगा और दिखाई देगा पूर्व भारत को छोड़कर समस्त भारत में यह ग्रस्ता अस्त रूप में ही देखा जा सकेगा भारत में ग्रहण का मोक्ष समाप्ति होने से पहले ही सूर्यास्त हो जाएगा।
अक्टूबर 25 दिसंबर 2022 मंगलवार ९गते कार्तिक
ग्रहण प्रारंभ दिन 2बजकर29 मिनट
परम घास - 4:30 दोपहर बाद
ग्रहण समाप्ति का समय शाम - 6बजकर 32 मिनट
संपूर्ण ग्रहण रहेगा 04घण्टाट 03 मिनट्स
सूतक प्रारम्भ 24अक्तुवर रात 25 अक्तूबर 2022सूर्यउदय से पहले प्रातः 2बजकर 30मिनट से प्रारम्भ हो जाएगा।
सूतक प्रारम्भ शाम 25 अक्तूबर 2022सूर्यउदय से पहले प्रातः 2बजकर 30मिनट से प्रारम्भ हो जाएगा।
ग्रहण काल और बाद में क्या करें?
जब ग्रहण प्रारंभ हो तो स्नान जप मध्यकाल में होम देव पूजा और ग्रहण का मोक्ष समीप होने पर दान तथा पूर्ण मोक्ष होने पर स्नान करना चाहिए।
स्पर्शे स्नानं जपं कुर्यान्मध्ये होमो सुराचर्नम्।
मुच्यमाने सदा दानं विमुक्तौ स्नानमाचरेत्।।
सूर्य का काल में सूर्य की पूजा करने के लिए सूर्य की शुरुआत में सूर्य अष्टक का खराब होना सूर्य स्तोतोत्रु का पाठ होना चाहिए।
ग्रहण काल में क्या सावधानियां रखें*
पका हुआ अन्न,कटी हुई सब्जी, ग्रहण काल में दूषित हो जाते हैं उन्हें नहीं रखना चाहिए परंतु तेल घी दूध दही लस्सी मक्खन पनीर अचार चटनी रब्बा आदि में तिल या कुछ कुशा रख देने से ग्रहण काल में दूषित नहीं होते सूखे खाद्य पदार्थों में डालने की आवश्यकता नहीं।
ध्यान रहे ग्रस्त सूर्य को नंगी आंखों से कदापि नहीं देखे वेल्डिंग वाले काले गिलास में से देख सकते हैं ग्रहण के समय तक ग्रहण की समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करना निषिद्ध है रोगी गर्भवती स्त्रियां बालकों के लिए निश्चित नहीं है काल में सोना खाना-पीना तेल मदन मित्र पुरुषोत्तम निषिद्ध है नाखून भी नहीं काटने चाहिए।
*ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।
*ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं।
*ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
*ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है।
*ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।
*ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।
*ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करते रहना चाहिए।
*गर्भवती स्त्रियां क्या करें*
ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो। गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। सुई से सिलाई भी न करें। माना जाता है इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं। ग्रहण काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करती रहें।
यह ग्रहण स्वाती नक्षत्र तथा तुला राशि में होगा आते इस राशि नक्षत्र में उत्पन्न लोगों के लिए विशेष अशुभ है अतः इस राशि वालों को ग्रहण ग्रहण दान तथा आदित्य स्त्रोत सूर्य अष्टक स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। सूर्य का जप दान चन्द्र दान करें।
ग्रहण का राशियों पर असर
मेष राशि -स्त्री पति के कार्य में अड़चनें
वृषराशि- सुख
मिथुन - चिंता खर्चे कर्य विलम्ब
कर्क -कार्य सिद्ध
सिंह- खर्च धन लाभ
कन्या- धन हानि
तूला- घात
वृश्चिक राशि धन हानि
धनु-लाभ
मकर- सुख
कुंभ- मान
मीन -कष्ट
सभी से मेरा विनम्र अनुरोध रहेगा कि आप सभी इस विषय में अधिक से अधिक लोगों को अवगत कराएं ताकि जनमानस को इसके नुकसान से बचाया जा सके।तथा ग्रहण की खतरनाक किरणों से गर्भावस्था में पल रहे शिशु के लिए अच्छी नहीं होती ताकि गर्भावस्था में शिशु को कोई भी विकार ना आ पाए है तथा शीशु के शरीर में किसी प्रकार की विकृति ना आए हमरा उद्देश्य है कि सभी लोग स्वस्थ और निरोग रहे।
#सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।।
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