Thursday, 30 November 2023

जाने अपने नाम राशि के मुताबिक कैसा रहेगा दिस्मबर मास 2023 मास।



 मेष राशि चू चे चो ला ली लू ले लो अ


गुरु इसी राशि में होने से कुछ रुके हुए महत्वपूर्ण कार्यों में सफलता प्राप्त होगी धर्म कर्म की और रुचि बढ़ेगी विशेष अवसरों और उत्सव में जाने से ही मान सम्मान में वृद्धि होगी परंतु किसी विशेष व्यक्ति के कारण मानसिक तनाव होगा


वृष राशि ई ई उ ए ओ वा वि वू वे वो


तारीख़ 24 तक शुक्र स्व राशि में होने से परिस्थितियों में कुछ सुधार होने के योग हैं धीरे धीरे आर्थिक क्षेत्र में कुछ परिवर्तन एवं लाभ के योग बनेंगे किसी नवीन कार्यों की योजना बनेगी ! परंतु कार्यरूप देने में विघ्न उत्पन्न होंगे ! 


मिथुन राशि का की कू घ ड छ के को ह


मास आरंभ से ही बुध  की स्वग्रही  दृष्टि रहने से धन प्राप्ति के साधन बनेंगे । प्रयास एवं प्रयत्न  करने से उन्नति व लाभ के आसार बढेंगे । 13 तारीख़ से विभिन्न आर्थिक योजनाओं को क्रियान्वित करने में परेशानी व विलम्ब से मानसिक तनाव रहेगा । 


कर्क राशि ही हू हे हो डा डी डू डे डो


मास आरंभ में पंचम सूर्य पर शनि की विशेष दृष्टी रहने  से कारोबार में कई प्रकार के उतार चढ़ाव व अन्य परेशानियाँ रहेगी  । पारिवारिक मन मिटाओ रहेगा । तारीख़ 16 के बाद हालात में कुछ सुधार वहाँ कुछ बिगड़े कार्य बनेंगे उच्च प्रतिष्ठित लोगों से मेलजोल होगा । 


सिंह राशि मा मी मू मे टा टी टू टे


अत्यधिक संघर्ष के बावजूद कुछ कार्यों में सफलता और कुछ कार्यों में विलंब होगा । सोची हुई योजनाओं में आंशिक सफलता मिलेगी । व्यापार के विस्तार की भी योजनाएं बनेंगी  । यात्रा का भी योजना बनेगा ।


कन्या राशि टो पा पी पू ष ण ठ पे पो


परिवार में वाद  विवाद और वैचारिक मतभेद उभरेगें ।  गृहस्थजीवन में भी तनाव रहे हैं व्यवसाय में संघर्ष परिस्थितियों के बावजूद गुजारे योग्य  आय के साधन बनते रहेंगें ।  दूरस्थ यात्रा भ्रमण का योजना भी बनेगी । 


तुला राशि रा री रू रे रो ता ती तू ते


शुक्र स्व  राशि में रहने से परिस्थितियों में सुधार होगा  । विदेश संबंधी सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी । व्यापारियों के लिए समय अच्छा है । धन लाभ और उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे । पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी । 


वृश्चिक राशि तो ना नी नू नै नो या ती यू


अत्यंत कठिन परिस्थितियों में धनलाभ मध्यम होगा । मन उचाट रहेगा । आराम कम दौड धूप अधिक रहेगी । वाद विवाद   से बचें ।  सोची हुई योजनाओं में आंशिक सफलता मिलेगी। 


धनु राशि ये यो भा भी भू धा पा ढ भे


 मास आरंभ में व्यावसायिक जोखिम उठाना पड़ेगा । भोग विलास पूर्ण वातावरण रहेगा । बिगड़े कार्यों में सुधार और प्रगति होगी कुछ नए मुद्दों पर विचार विमर्श रहेगा ।  कुछ अप्रत्याशित लाभ हर्षोल्लास बढ़ाएंगे । व्यवसायिक   प्रतिष्ठा सुदृढ़ होगी । 


मकर राशि भो जा जी खी खू खे खो गा गी


धन एवं विद्या में उन्नति होगी विलासादि कार्यो पर धन का व्यय  होगा । स्त्री एवं संतान की ओर से प्रसन्नता प्राप्त होगी । गृहस्थ जीवन में व्यर्थ का तनाव रहेगा । व्यर्थ की भागदौड़ से मन संतप्त रहे । 


कुंभ राशि गू गे गो सा सी सू से सो दा


कार्य व्यवसाय में व्यवस्थाएं बढ़ेगी परिश्रम और पुरुषार्थ के पश्चात ही धन लाभ हुआ उन्नति के अवसर मिलेंगे परंतु नौकरी में अफसरो  से तनाव व उलझने पैदा होगी । मानसिक तनाव स्वास्थ्य में विकार और संतान चिंता रहेगी ।


मीन राशि दि दु थ झ ‌‌ञ दे दो चा ची


अत्यंत संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में से गुज़रना पड़ेगा । व्यवसाय नौकरी की ओर से बिघ्न बधाएं उत्पन्न होगी ।  परंतु उलझने उभरती व सिमटती  रहेंगी । माता पिता से ही माने मिटाव रहेगा । परिवार में कुछ मनमुटाव वैचारिक  मतभेद और अपनी ही गलती से परेशानी उत्पन्न हो । 

Tuesday, 7 November 2023

जाने कब दीपावली पर्व कब करे पूजा कैसे करें पूजा

 

  

नवम्बर 2024  शुभ संवत् 2081 कार्तिक १३ गते मंगलवार  को धनत्रयोदशी को नवीन बर्तन का क्रय सांय काल में लक्ष्मी नारायण का पूजन करने के बाद अनाज वस्त्र खुशियों एवं उनके यमार्थ निमित्त  दीपदान करें इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।


इस साल 1 नवंबर को दिवाली मनाने का कारण है कि अमावस्या तिथिजो दिवाली के लिए शुभ होती है, 31 अक्टूबरकी रात से शुरू होकर 1 नवंबर को पड़ रही है। दिवाली का मुख्य पूजन अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद किया जाताहै।


ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसारतिथियाँ सूर्योदय से पहले या बाद में शुरू हो सकती हैंऔर इस साल अमावस्या तिथि का समय 1 नवंबर को दीवाली मनाने के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।



31अक्नतुबर   2024 मास १५  गते कार्तिक नरक चतुर्दशी के दिन बिजली , अग्नि, उल्का आदि से मृतकों की शांन्ति के लिए चार मुख वाले दीपक को प्रज्वलित करके यथा शक्ति दान करे। सांय काल को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल,तिल और कुश लेकर तर्पण करें।इस दिन की अर्धरात्रि के समय घृत पूर्ण दीपक जलाकर 30 अक्तुबर को श्री हनुमान जयन्ति मनाई जाती है।


उन्हें मोदक के लिए फल आदि अर्पण करें एवं सुंदरकांड आदि हनुमान स्तोत्र का पाठ करें । 12 नवम्बर 2023 कार्तिक २७ गते कार्तिक रविवार  को कार्तिक मास अमावस्या दीपावली को प्रदा प्रदोष काल में दीपदान करके अपने गृह के पूजा स्थान में मंत्र पूर्वक दीप प्रज्वलित करके श्री महालक्ष्मी की यथा विधि पूजा करनी चाहिए।

               पूजन का समय 


लक्ष्मी पूजा शुक्रवार, 1  नवम्बर  , 2024 पर १६ गते कार्तिक


लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 05:27 पी एम से 07:08 पी एम

अवधि - 01 घण्टा 55 मिनट्स

प्रदोष काल - 05: 27 पी एम से 08:09पी एम

वृषभ काल - 06:11 पी एम से 08:05 पी एम


ब्रह्म पुराण अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को अर्धरात्रि के समय लक्ष्मी महारानी सभी लोगों के घर में जहां-तहां वितरण करती हैं इसलिए अपने घर को सब प्रकार से स्वच्छ शुद्ध और सुशोभित करके दीपावली तथा दीप मालिका मनाने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होते हैं तथा वहां स्थाई रूप से निवास करती है कि अमावस्या प्रदोष काल एवं आज रात्रि व्यापिनी हो तो विशेष विशेष शुभ होती है।


दीपावली  के दिन क्या करे ? 

 इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक कृतियों से निवृत हो मित्र गण तथा देवताओं का पूजन करना चाहिए  ! संभव हो तो दूध दही और खेत से पितरों का पावन याद करना चाहिए ! यदि यह संभव हो तो दिनभर उपवास कर गोधूलि बेला में अथवा वृष सिंह  वृश्चिक और स्थिर लग्न में श्री गणेश कलश षोडश मातृका ग्रह पूजन पूर्वक भगवती लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए ! इसके अंदर महाकाली का तथा  मां सरस्वती का कलम वही आदि के रूप में कुबेर का तुला के रूप में सभी जी पूजन करें ना चाहिए । इसी समय दीप पूजन कर यमराज तथा मित्र गणों के निमित्त सत्संग क्लब दीप दान करना चाहिए तदुपरांत यथो लब्ध निशीथ आदि शिव मूर्तियों में मंत्र जप यंत्र सिद्धि आदि अनुष्ठान संपादित करने चाहिए दीपावली वास्तव में पांच पर्वों का मौसम माना जाता है जिसकी व्याप्ति कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धनत्रयोदशी  होगी ।

इस वार विशेष क्या है ? 

इस वार शुक्वार 1 नवम्बर कार्तिक  १६ गते को भी अमवस्या रहेगी । अतः 2 तारिक शनिवार  नवम्बर 2024 कार्तिक १७  गते पडवा अन्नकूट गोवर्धन पूजा होगी ।  रविवार   3 नवम्बर 2024  कार्तिक १८ गते   द्वितीया भैया दूज  पर्व  मनाया जाएगा  । 

दीपावली के पर्व पर धन की प्रभुत प्राप्ति के लिए धनदा की अधिष्ठात्री भगवती लक्ष्मी का समारोह पूर्वक आभार षोडशोपचार सहित पूजा की जाती है आगे दिए निर्देश शुभ कार्यों में किसी स्वच्छ एवं पवित्र स्थान पर आटा हल्दी अक्षत पुष्प आदि से अष्टदल कमल बनाकर श्री लक्ष्मी का आवाहन स्थापना करके देवों की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए।


इसमें श्री गणेश लक्ष्मी पूजन प्रारंभ कर लेना चाहिए दीपदान महालक्ष्मी पूजन कुबेर बहीखाता पूजन करके घर एवं मंदिरों में दीपजलाने चाहिए। आश्रितों को भोजन मिष्ठान आदि बांटना चाहिए।


निशिता काल मुहूर्त


08 :09 मि0 पी एम से 08 :51पी एम   निशीथ काल में 8:52से पहले पूजन हो जाना चाहिए। 


इस समय श्री सूक्त कनकधारा स्त्रोत लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करना चाहिए



महानिशिथा काल मुहूर्त


लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 

22:55 रात्रि से 25:32 पी एम, नवम्बर 12 रविवार 


श्री महा लक्ष्मी पूजन


श्री महालक्ष्मी पूजन दीपदान आदि के लिए प्रदोष काल से आधी रात तक रहने वाली अमावस श्रेष्ठ होती है यदि अर्धरात्रि काल में अमावस तिथि का अभाव हो तो प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलन, महालक्ष्मी पूजन, गणेश एवं कुबेर आदि पूजन कृत्य करने का विधान है। प्रस्तुत बर्ष में कार्तिक अमावस्या 1 नवम्बर 2024 शुक्रवार  सन 2024  ईस्वी को प्रदोष व्यापनी तथा रात्रि निशीथव्यापनी होने से दीपावली पर्व इसी दिन होगा दीपावली  स्वाति  नक्षत्र तथा तुला  चंद्रमा कालीन होगा। सायं सूर्यास्त प्रदोष काल प्रारंभ के बाद मेष वृष लग्न एवं स्वाति नक्षत्र विद्यमान होने से यह समय अवधि श्री गणेश, महालक्ष्मी पूजन और कृतियों के आरंभ के लिए विशेष रूप से प्रशस्त रहेगी। वहीं खातों एवं नवीन शुभ कार्यों के लिए भी यह मुहर्त अत्यंत शुभ होगा। बुधवार की दीपावली व्यापारियों ,क्रय विक्रय करने वालों के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। लक्ष्मी पूजन दीप दान आदि के लिए प्रदोष काल की विशेषता प्रशस्त माना गया है

कार्तिके प्रदोषे तु विशेषण अमावस्या निशावर्धके। तस्यां सम्पूज्येत् देवी भोग मोक्ष प्रदायनी।

 दीपावली के दिन गृह में प्रदोष काल से महालक्ष्मी पूजन प्रारंभ करके अर्धरात्रि तक जप अनुष्ठान आदि का विशेष महत्व में होता है । प्रदोष काल से कुछ समय पूर्व स्नान आदि उपरांत धर्म स्थल पर मंत्र पूर्वक दीपदान करके अपने निवास स्थान पर श्री गणेश सहित महालक्ष्मी कुबेर पूजा आदि करके अल्पाहार करना चाहिए। तदुपरांत निशिथा आदि मुहूर्तों में मंत्र जप यंत्र सिद्धि आदि अनुष्ठान संपादित करने चाहिए।

दीपावली वास्तव में पांच पर्वों का महत्व माना जाता है। जिसकी व्याप्ति कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धनतेरस से लेकर कार्तिक शुक्ल द्वितीया भाई दूज तक रहती है। दीपावली के पर्व पर धन की प्राप्ति के लिए धन की अधिष्ठात्री धनदा भगवती लक्ष्मी की समारोह पूर्वक आवाहन षोडशोपचार सहित पूजा की जाती है ।आगे दिए गए निर्दिष्ट शुभ कालो में किसी स्वस्थ एवं पवित्र स्थान पर आटा, हल्दी, अक्षत, पुष्प आदि से अष्टदल कमल बनाकर महालक्ष्मी का आवाहन स्थापना करनी चाहिए देवों का विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए।

 आवाहन मंत्र है -

कां सोस्मितां हिरणयप्रकारामाद्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम्। 

पूजा मंत्र है

 ॐ गं गणपतये नमः । लक्ष्म्यै नम:।नमस्ते सर्व देवानां वरदासि हरे: प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा में भूयात्वदर्चनात।।  श्री लक्ष्मी की

 ' एरावतसमारुढो म बज्रहस्तो महाबल:।शत यज्ञाधिपो देवस्तस्मा इंद्राय नमः ।

इस मंत्र से इनकी कुबेर की निम्नलिखित मंत्र से पूजा करें 

कुबेराय नमः, धनदाय नमस्तुभ्यं निधि पद्माधिपाय च। भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादि सम्पद: । 

पूजनौ सामग्री में विभिन्न प्रकार की मिठाई फल ,पुष्प ,अक्षत, धूप, दीप आदि सुगंधित वस्तु में सम्मिलित करनी चाहिए। दीपावली पूजन में प्रदोष निश्चित एवं महा निशित काल के अतिरिक्त चौघड़िया मुहूर्त भी पूजन बहीखाता, पूजन ,कुबेर पूजा ,जप आदि अनुष्ठान की दृष्टि से विशेष प्रशस्त एवं शुभ माने जाते है।


अक्षयै नवमी 10  नवंबर 2024   रविवार  २५ गते कार्तिक    को किया हुआ  पूजा पाठ दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है

 इसी प्रकार हरि प्रबोधिनी एकादशी 12   नवंबर  2023 मंगलवार २७  गते कार्तिक  लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाती है।


Wednesday, 1 November 2023

जाने अपने नाम राशि के मुताबिक कैसा रहेगा नवम्बर मास 2023 मास।

 


मेष राशि चू चे चो ला ली लू ले लो

15 तारीख़ तक पुरूषार्थ एवं परिश्रम से विशेष कार्य में सफलता के आसार बढेंगे घरेलू काम निपटाने की व्यवस्था एवं परेशानी रहेगी 16 तारीख़ से मंगल की दृष्टि से स्वास्थ्य में कष्ट घरेलू उलझने बनते कामों में उलझने   रहेगी मंगल अपनी राशि से कठिन परिस्थितियों के बावजूद निर्वाह योग्य आय के साधन बनाते रहेंगे ।


वृष राशि ई ई उ ए ओ वा वि वू वे वो


तारिक़ तीन से शुक्कर कन्या राशि में होने से पारिवारिक अशांति बढ़ेगी भाई बंधुओं से व्यर्थ में तकरार धन का आपके शरीर कष्ट रहेगा वहान आदि से चोट आदि का भय बनता रहेगा ।


मिथुन राशि का की कू घ ड छ के को ह


उलझनों के बावजूद पराक्रम में वृद्धि होगी ज़मीन ज़्यादा संबंधी समस्याएं उत्पन्न होगी आर्थिक कार्यों में विघ्न होने पर भी गुज़ारे योग्य आय के साधन बनते रहेंगे प्रिय बंधु से मुलाक़ात शुभ एवं धार्मिक कार्यों संबंधी विशेष विचार विमर्श होगा ।


कर्क राशि ही हू हे हो डा डी डू डे डो


वृथा  खर्चों की परेशानी होगी । भाग दौड़ के बावजूद आय अल्प  रहेगी । व्यर्थ के झंझटो और बाद विवाद से दूर रहें । अन्यथा हानि होगी गुज़ारे योग्य धन लाभ व  उन्नति के योग है ।


सिंह राशि मा मी मू मे टा टी टू टे

व्यथा खर्चों के कारण परेशानी होगी भाग दौड़ के उपरांत भी आय अल्प रहेगी । परिवार प सम्बंधित चिंता रहेगी 16 तारीख़ के बाद व्यापार में मित्रों और संबंधियों का सहयोग  प्राप्त होगा नए नए लोगों से मेल मिलाप होगा । 


कन्या राशि टो पा पी पू ष ण ठ पे पो

केतु का संसार इस राशि पर तथा बुद्ध की स्थिति के कारण मानसिक तनाव चिंताएं तथा उलझने रहेगी । अत्यधिक संघर्ष के बाद धनलाभ अल्प रहेगा । खर्चों की अधिकता रहेगी


तुला राशि रा री रू रे रो ता ती तू ते


तारीख़ तीन से शुक्र नीच राशि गत रहने से आय में कमी तथा आकस्मिक ख़र्च धत् अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाएंगे व्यवसाय में भी गंद तथा घरेलू उलझनों के कारण मन चिंतित रहे हैं स्वास्थ्य भी ठीक ना रहें किसी निकट बंधु से मन मीटाव पैदा हो । 


वृश्चिक राशि तो ना नी नू नै नो या ती यू


पूर्वार्ध में स्वास्थ्य विकार,  दुर्घटना से चोट आदि लगने का भय हैं । सावधानी बरतें आकस्मिक खर्चो में भी वृद्धि होगी । उत्तरार्ध में 16 तारीख़ से मंगल इसी राशि पर होने से परिश्रम और पुरुषार्थ बढ़ेगा परंतु शनि की दृष्टि होने से पारिवारिक व व्यावसायिक उलझने  भी होगी ।

 

धनु राशि ये यो भा भी भू धा पा ढ भे


गुरु वक्र होने से आर्थिक परेशानी रहेगी क्रोध की अधिकता वाले ख़र्च भी अधिक रहें बनते कार्यों में विघ्न  उत्पन्न होंगे । 


मकर राशि भो जा जी खी खू खे खो गा गी


मास आरंभ में कुछ कार्य व्यवस्थाएं तथा उत्साह में वृद्धि रहे धन लाभ के अवसर प्राप्त होते रहेंगे स्त्री एवं परिवार से सम्बंधी सुखों में वृद्धि होगी अकस्मात धन प्राप्ति के योग हैं । 


कुंभ राशि गू गे गो सा सी सू से सो दा


पूर्व में अच्छे लोगों के साथ संबंध बनेगे । कुछ बिगड़े कार्य में सुधार होगा । 16 तारीख़ से मंगल दृष्टि शनि पर रहने से धन हानि एवं किसी उच्च अधिकारी से विरोध पैदा हो ।शरीर  कष्ट मानसिक तनाव अधिक रहे । 


मीन राशि दि दु थ झ ‌‌ञ दे दो चा ची


मास आरंभ में राहू का संचार  होने से भी व्यर्थ की भागदौड़ अधिक रहे विरोधी हानि पहुँचाने का प्रयास करेंगे कठिनाइयों के बावजूद निर्वाह योग्य धन प्राप्ति होगी यात्रा में परेशानियाँ अधिक


Wednesday, 25 October 2023

सम्पूर्ण भारत में शनिवार को दिखेगा ग्रहण

  

भारत में  दिखाई  देने वाला यह ग्रहण 

 वर्ष 2023 का पहला खंडास चन्द्र ग्रहण 28एवं  अक्तुवर शनिवार 2023 को लगने जा रहा है। खण्डास चन्द्रग्रह  28  अक्तूबर 2023 शनिवार बार 12  गते कार्तिक  खण्डास चन्द्र ग्रहण (पूर्णिमा ) शनिवार को भारतीय समय के अनुसार रात्रि बज कर 05 मिनट से रात्रि 2बजके  24 मिनट तक दिखाई देगा  यह ग्रहण भारत में दिखाई   देगा  इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल 28 अक्तूबर 4बजकर 05 मिनट से प्रारम्भ माना जाएगा।

खंडग्रास सूर्य ग्रहण 




28 अक्टूबर 2023  शनिवार यह खंडग्रास सूर्यग्रहण लगभग संपूर्ण भारत में दिखाई देगा  भारत में ग्रहण का मोक्ष समाप्ति  इस प्रकार  से है । 

अक्टूबर 28  शनिवार १२ गते कार्तिक 
ग्रहण प्रारंभ रात 1 बजकर05 मिनट

मध्य ग्रहण 1 बजकर 44 मिनट

ग्रहण  समाप्ति का समय  शाम - 2 बजकर 44 मिनट


संपूर्ण ग्रहण रहेगा 01घण्टाट 19 मिनट्स 

सूतक प्रारम्भ 28 अक्तुवर रात 25 अक्तूबर 2023 सूर्यास्त से पहले शाम 4 बजकर 05 मिनट से प्रारम्भ हो जाएगा।


पर्व काल- ध्यान रहे क्योंकि लगभग संपूर्ण भारत  को यह ग्रहण ग्रस्त होगा भारत में 28/29अक्तूबर 2023 है कि मध्य रात्रि 01 :05 पर ये चंद्र ग्रहण शुरू होगा इस समय तक संपूर्ण भारत में  चन्द्रमा उदय हो चुका होगा ।भारत के सभी नगरों ग्रामों 28 अक्तूबर को शाम 4 बजे से शाम छह बजे तक चन्द्रोदय   हो जाएगा ।  खण्ड ग्रास चंद्र ग्रहण 28 अक्तुवर  की रात्रि 1:05 प्रारंभ होकर रात्रि 2:24 पर होगा भारत के सभी  नगरो  में इसका प्रारम्भ मध्य  तथा मोक्ष रूप में देखा जा सकेगा । 


ग्रहण  काल और बाद में क्या करें?


 जब ग्रहण प्रारंभ हो तो स्नान जप मध्यकाल में होम देव पूजा और ग्रहण का मोक्ष समीप होने पर दान तथा पूर्ण मोक्ष होने पर स्नान करना चाहिए।

                स्पर्शे स्नानं जपं कुर्यान्मध्ये होमो सुराचर्नम्।मुच्यमाने सदा दानं विमुक्तौ स्नानमाचरेत्।।


  ग्रहण  काल में सूर्य की पूजा करने के लिए सूर्य की शुरुआत में सूर्य अष्टक का पाठ  होना सूर्य स्त्रोत का  पाठ होना चाहिए।

ग्रहण काल में क्या सावधानियां रखें*

 पका हुआ अन्न,कटी हुई सब्जी, ग्रहण काल में दूषित हो जाते हैं उन्हें नहीं रखना चाहिए परंतु तेल घी दूध दही लस्सी मक्खन पनीर अचार चटनी रब्बा आदि में तिल या कुछ कुशा रख देने से ग्रहण काल में दूषित नहीं होते सूखे खाद्य पदार्थों में डालने की आवश्यकता नहीं।

 ध्यान रहे ग्रहण को नंगी आंखों से कदापि नहीं देखे वेल्डिंग वाले काले गिलास में से देख सकते हैं ग्रहण के समय तक ग्रहण की समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करना निषिद्ध है रोगी गर्भवती स्त्रियां बालकों के लिए निश्चित नहीं है काल में सोना खाना-पीना तेल मदन मित्र पुरुषोत्तम निषिद्ध है नाखून भी नहीं काटने चाहिए।

  • *ग्रहणकाल में प्रकृति में कई तरह की अशुद्ध और हानिकारक किरणों का प्रभाव रहता है। इसलिए कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें ग्रहण काल के दौरान नहीं किया जाता है।                                      
  • *ग्रहणकाल में सोना नहीं चाहिए। वृद्ध, रोगी, बच्चे और गर्भवती स्त्रियां जरूरत के अनुसार सो सकती हैं। 
  • *ग्रहणकाल में अन्न, जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • *ग्रहणकाल में यात्रा नहीं करना चाहिए, दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है।
  • *ग्रहणकाल में स्नान न करें। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें।
  • *ग्रहण को खुली आंखों से न देखें।
  • *ग्रहणकाल के दौरान महामृत्युंजय मत्र का जाप करते रहना चाहिए।

 *गर्भवती स्त्रियां क्या करें*

ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर होता है। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती स्त्रियां घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलना जरूरी हो तो गर्भ पर चंदन और तुलसी के पत्तों का लेप कर लें। इससे ग्रहण का प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं होगा। ग्रहण काल के दौरान यदि खाना जरूरी हो तो सिर्फ खानपान की उन्हीं वस्तुओं का उपयोग करें जिनमें सूतक लगने से पहले तुलसी पत्र या कुशा डला हो। गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ता है। सुई से सिलाई भी न करें। माना जाता है इससे बच्चे के कोई अंग जुड़ सकते हैं। 

      ग्रहण काल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करती रहें।


यह ग्रहण अश्वनी नक्षत्र तथा मेष राशि  में होगा आते इस राशि नक्षत्र में उत्पन्न लोगों के लिए विशेष अशुभ है अतः इस राशि वालों को ग्रहण ग्रहण दान तथा आदित्य स्त्रोत सूर्य अष्टक स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। सूर्य का जप दान चन्द्र दान करें।

 ग्रहण का राशियों पर असर

  • मेष राशि - दुर्घटना शरीर कष्ट शत्रुता 
  • वृषराशि-  धन हानि 
  •  मिथुन -  धन लाभ हानि चिन्ता 
  • कर्क -रोग कष्ट
  • सिंह- सन्तान संम्बन्धित चिंता 
  •  कन्या-  शत्रु भय खर्च 
  • तूला- स्त्री/ पति परेशानी
  •  वृश्चिक राशि  रोग गुप्त चिन्ता 
  • धनु- खर्च अधिक कार्य बिल्म्ब 
  •  मकर-  कार्य लाभ 
  • कुंभ- धन लाभ 
  •  मीन - धन हानि व्यर्थ यात्रा 


सभी से मेरा विनम्र  अनुरोध रहेगा कि आप सभी इस विषय में अधिक से अधिक लोगों को अवगत कराएं ताकि जनमानस को इसके नुकसान से बचाया जा सके।तथा ग्रहण की खतरनाक किरणों से गर्भावस्था में पल रहे शिशु के लिए अच्छी नहीं होती ताकि गर्भावस्था में शिशु को कोई भी विकार ना आ पाए है तथा शीशु के शरीर में किसी प्रकार की विकृति ना आए हमरा उद्देश्य है कि सभी लोग स्वस्थ और निरोग रहे।

#सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः 

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।।



Saturday, 14 October 2023

जाने आश्विन नवरात्रे कब से क्या है पूजन विधि

 



प्रतिपदा  15 अक्तुबर २९ गते आश्विन  से शरद नवरात्रि आरंभ हो रहे हैं इस दिन श्री दुर्गा माता के सम्मुख अखंड दीप प्रज्वलित करके श्री दुर्गा पूजन कलश स्थापन प्रमुख देवी देवताओं का आवाहन पूजन आदि के बाद श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ किया जाता है प्रतिपदा 15 अक्तुवर  रविवार   10:25 प्रातः के बाद कलश की स्थापना करनी चाहिए 

देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।

नवरात्रि  एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ  रातें || नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों -महालक्ष्मी माँ सरस्वती और माँ दुर्गा के नौ  स्वरूपों की पूजा की जाती है ||
            शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी ,चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता ,कात्यायनी  कालरात्रि, महागौरी ,सिद्धिदात्री ॥

 इस दिन स्नान ध्यान आदि के बाद शुद्ध पात्र में रेत मिट्टी डालकर मंगल पूर्वक जो गेहूं सप्तधान्य के बीज वपन करने चाहिए तथा श्री दुर्गा जी की मूर्ति के सम्मुख अखंड दीप प्रज्वलन एवं मंत्र उच्चारण सहित घट स्थापन करना चाहिए फिर षोडशोपचार पूजन सहित श्री दुर्गा पूजन करके संकल्प पूर्वक प्रतिपदा से नवमी तिथि तक देवी के सम्मुख दीप जलाकर श्री दुर्गा सप्तशती का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए प्रतिपदा के दिन  ॥       

Friday, 6 October 2023

जाने कंहा लगेगा अक्तूबर 14 को कंकण सूर्य ग्रहण

 



भारत में अदृश्य  दिखाई  देने वाला यह ग्रहण 

 वर्ष 2023 का पहला कंकण सूर्य ग्रहण 14 अक्तुवर शनिवार 2023 को लगने जा रहा है। कंकण सूर्यग्रहण 14 अक्तूबर 2023 शनिवार बार 28  गते अशोज ये कंकण सूर्यग्रहण अमावस्या शनिवार को भारतीय समय के अनुसार रात्रि 8बज कर 34 मिनट से रात्रि 2बजके  25 मिनट तक दिखाई देगा  यह ग्रहण भारत में दिखाई  नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा।न कोई परहेज़ ही भारत में माना जाएगा ।

यह ग्रहण सुदूर दक्षिणी क्षेत्रो को छोडकर लगभग सम्मपूर्ण उतरी अमरीका से लेकर दक्षिणी अमेरिका के देशों तक दिखेगा । 

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